रायपुर : प्रदेश में विधानसभा,लोकसभा चुनाव के बाद अब नगरीय निकाय चुनाव में जो दुर्गति कांग्रेस की हुई उसके लिए काग्रेस ही गुनहगार है। ये बात हम नहीं प्रदेश के खाटी पैदाइशी कांग्रेसी नेता बयां कर रहे है। कांग्रेस में ईमानदारी और निष्ठा से काम करने वाले नेताओ्ं को अपने स्वार्थ के लिए वरिष्ठ नेताओं को पीछे ढकेल कर फ्रंट में अतिक्रमण कर कांग्रेस के शासन काल में अवैध कमाई के चक्कर में कांग्रेस की प्रतिष्ठा को दांव पर लगाकर कांग्रेस को कही का नहीं छोड़ा।
ये हाल सिर्फ छत्तीसगढ़ की नहीं है पूरे देश में कांग्रेेस का नाम लेवा नहीं बचा है। हाल ही में हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद खाता ही नहीं खोल पाई । दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के घटक दलों ने कांग्रेस के हाव भाव को देखकर खुद को अलग कर चुनाव लड़ा उसकी भी वही दुर्गति हुई ।
इंडिया गठबंघन के घटक दलों ने कांग्रेस को अपने से दूर किया तो दिल्ली की जनता ने इंडिया गठबंधन के घटकदलों को इंडिया गेट से बाहर कर दिया। इस सब के कारणों को पीछे मुडक़र देखें तो साफ दिखाई देगा कि इसके पीछे वो कांग्रेसी नेता है जिनको कांग्रेस की मूल विचारधारा औऱ संगठन की मजबूती के लिए कोई सरोकार नहीं है। उनका एक सूत्रीयकाम था कि पुराने कांग्रेिसयों को हटाकर कांग्रेस में काबिज हो जाए और उसमें उन्हें भारी सफलता मिली। कांग्रेस पूरी तरह राजनीतिक पटल से बेदखल हो गई । छद्म कांग्रेसियों ने असली कांग्रेस को अपना मुखौट बनाया औऱ कांग्रेस की नैय्या डूबो दी। अब कांग्रेस का हालात देखकर छटपटा रहे है।जो कांग्रेस की दुर्गित बर्दाश्त नहीं पर पाए वो पार्टी को नमस्ते कर दूसरी पार्टी में शामिल हो गई है।
भाजपा को नगर निगमों में मिली एक तरफा जीत छत्तीसगढ़ के नगरीय निकाय चुनाव में बीजेपी को एकतरफा जीत मिली है। 10 नगर निगमों में कब्जा जमाया है। वहीं कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा। 49 नगर पालिकाओं में 35 में बीजेपी, 8 में कांग्रेस, 1 में आम आदमी पार्टी 5 में निर्दलीयों को जीत मिली। इसके अलावा 114 नगर पंचायत में 81 में भारतीय जनता पार्टी, 22 में कांग्रेस 1 में बसपा और 10 पर निर्दलीयों को जनता ने चुना है। इस जीत की 5 बड़ी वजह रहीं। इनमें 6 से 7 महीने पहले से ही मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव और अन्य मंत्री विधायक जुटे थे।14 महीने की भाजपा सरकार ने 7400 करोड़ के प्रोजेक्ट दिए। इसका निकाय चुनाव में बड़ा असर देखने को मिला। वहीं कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल मजबूती से निकाय चुनाव लड़ते दिखाई नहीं दिए।
हर जिले में लोकार्पण कार्यक्रम रायपुर से लेकर बस्तर और सरगुजा तक हर जिले में लोकार्पण-भूमिपूजन कार्यक्रम हुए। इन कार्यक्रमों में सडक़, नाली, सामुदायिक भवन, पानी की टंकी, स्कूल-हेल्थ सेंटर के लिए बिल्डिंग जैसे प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण और भूमि पूजन किया गया। इसके जरिए भाजपा यह बताने की का प्रयास करती रही कि कांग्रेस के दौर में कोई काम नहीं हुआ अब आगे काम होगा, इसका असर वोटर्स पर पड़ा। इलाके के जनप्रतिनिधियों के साथ विष्णुदेव और नगरीय प्रशासन विभाग के मंत्री अरुण साव मंचों पर दिखाई देते थे।
घोषणाओं का वोटर्स पर असर कांग्रेस से पहले भाजपा अपना घोषणा पत्र लेकर आई। जिलों की लोकल समस्याओं के हिसाब से भी अलग घोषणा पत्र जारी किया गया। इसमें महिलाओं के नाम पर प्रॉपर्टी होने पर टैक्स में छूट देने, पट्टा मालिकों को जमीन का मालिक बनाने जैसी बातों का शहरी और ग्रामीण इलाकों में असर दिखा। भाजपा विधानसभा चुनाव के बाद दोबारा से महतारी वंदन योजना को भुनाती दिखी। महिलाओं के बीच यह बात पहुंचाई गई कि जिन महिलाओं को महतारी वंदन का पैसा नहीं मिल रहा है, उन्हें भी निकाय चुनाव के बाद मिलेगा। कई जगहों पर आचार संहिता के दौरान फॉर्म भरवाने के मामले भी सामने आए। पट्टे पर रहने वालों से भी मालिकाना हक दिलाने का फॉर्म भरवाया जाता रहा। इसका वोटर्स पर साइकोलॉजिकल असर पड़ा।
माहौल बनाने में 9 आक्रामक रायपुर में भारतीय जनता पार्टी ने अपने प्रत्याशियों के लिए नामांकन रैली निकाली। ऐसा कोई आयोजन कांग्रेस पार्टी की ओर से नहीं हुआ। कांग्रेस महापौर पद की प्रत्याशी दीप्ति दुबे स्कूटी पर नामांकन दाखिल करने गईं। सादगी के लिहाज से ये चर्चा में जरूर रहा, लेकिन माहौल कुछ पक्ष में रहा। रायपुर में मुख्यमंत्री साय ने रोड शो भी किया। यह स्थिति लगभग प्रदेशभर में रही। आक्रामकता से भीड़ जुटाकर बीजेपी लगातार सभा और रोड शो करती दिखी। कांग्रेस इस मामले में काफी पीछे रही। 173 नगरीय निकायों में 30ही जीत सकी कांग्रेस छत्तीसगढ़ नगर निकाय चुनाव के नतीजे शनिवार को आ गए।
राज्य के कुल 173 निकायों में से बीजेपी ने एकतरफा प्रदर्शन किया। सभी 10 नगर निगमों में बीजेपी के प्रत्याशी जीते, कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला। इनमें सबसे बड़ी जीत रायपुर से मीनल चौबे और सबसे छोटी जीत चिरमिरी से रामनरेश राय की हुई है। मीनल चौबे 1 लाख 53 हजार से ज्यादा मतों से दीप्ति दुबे को हराया है, जबकि रामनरेश राय ने डॉ. विनय जायसवाल को 5 हजार से ज्यादा वोटों से मात दी है। इसके अलावा 49 में से 35 नगरपालिकाएं भाजपा के खाते में गईं, जबकि सिर्फ 8 पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की।आप ने बिलासपुर की बोदरी नगर पालिका में जीत दर्ज की। निकाय चुनाव मेंआप की यह पहली जीत है। 11 फरवरी को 114 नगर पंचायत में भी वोटिंग हुई थी। इसमें भी बीजेपी ने 81 पंचायत पर कब्जा जमाया। यानी 173 निकायों में 126 पर बीजेपी और महज 30 पर ही कांग्रेस जीत सकी है।
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