देश के पहले सहकारिता विश्वविद्यालय में इसी सत्र से होगी पढ़ाई,ई-लर्निंग के जरिए डिग्री प्रोग्राम होंगे उपलब्ध

देश के पहले सहकारिता विश्वविद्यालय में इसी सत्र से होगी पढ़ाई,ई-लर्निंग के जरिए डिग्री प्रोग्राम होंगे उपलब्ध

किसानों की समृद्धि और कृषि विकास में सहकारिता क्षेत्र की भूमिका तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में सहकारिता से जुड़ी तकनीक, स्किल से लैस युवाओं और प्रोफेशनल्स की जरूरत भी बढ़ी है. इस जरूरत को पूरा करने के लिए सहकारिता मंत्रालय देश का पहला सहकारिता विश्विद्यालय को मंजूरी दी गई है. इसमें इसी सत्र 2025-26 से डिग्री कोर्सेस शुरू किए जाने की तैयारी चल रही है. युवाओं को रेगुलर, डिस्टेंस मोड के साथ ही ई-लर्निंग के जरिए कई तरह के डिग्री प्रोग्राम की शुरूआत की जाएगी.

केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बीते दिनों दिल्ली में सहकारिता मंत्रालय की समीक्षा बैठक में बताया कि गुजरात के आनंद में स्थित ग्रामीण प्रबंधन संस्थान (IRMA) को त्रिभुवन सहकारिता विश्वविद्यालय बनाया जा रहा है. विश्वविद्यालय के लिए 500 करोड़ रुपये बजट की व्यवस्था की गई है. उन्होंने कहा कि सहकारिता क्षेत्र में ट्रेंड वर्कफोर्स तैयार करने के लिए विश्वविद्यालय की जरूरत महसूस की गई है. सहकारिता क्षेत्र में प्रवेश करने वाले युवाओं को लेखा, प्रशासनिक पेशेवरों को तकनीकी शिक्षा और सहकारिता विकास के लिए ट्रेनिंग मिलेगी. 

स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर होगा विश्वविद्यालय

किसानों की समृद्धि केवल न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी पर ही आश्रित नहीं है, बल्कि सहकारिता के जरिए भी इसे बढ़ावा दिया जा रहा है. इस विश्वविद्यालय का कैंपस गुजरात के आनंद स्थित इंस्टीट्यूट आफ रूरल मैनेजमेंट (इरमा) में होगा, जो वर्तमान में एक सोसाइटी के तौर पर रजिस्टर है.  इस विश्वविद्यालय का नाम स्वतंत्रता सेनानी त्रिभुवन दास पटेल के नाम पर रखा जाएगा. केंद्र ने मौजूदा बजट सत्र में त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय के गठन के लिए विधेयक पेश किया है, जिसे संसद से जल्द पारित कराने की योजना है. सरकार का प्रयास है कि इस शैक्षणिक सत्र से पढ़ाई शुरू हो जाए.

शिक्षा से व्यवस्थित होगा सहकारिता क्षेत्र 

विश्वविद्यालय का उद्देश्य सहकारिता क्षेत्र को शिक्षा के माध्यम से व्यवस्थित करना है. वर्तमान में यह क्षेत्र बिखरा हुआ है और सहकारी शिक्षण और प्रशिक्षण असंगठित है. विभिन्न राज्यों और संस्थानों में अलग-अलग तरीके से कुछ कोर्स उपलब्ध हैं, जिनमें एकरूपता का अभाव है. देश में कृषि, उर्वरक वितरण, चीनी एवं दूध उत्पादन खरीद, खाद्यान्न की खरीद एवं मछली उत्पादन आदि क्षेत्रों में सहकारी समितियां सक्रिय हैं, लेकिन इनमें कुशल और प्रशिक्षित लोगों की कमी है. 

राज्यों में सहकारिता कॉलेज खोलने की योजना 

सहकारी क्षेत्र के विकास की गति को देखते हुए भविष्य में बड़ी संख्या में योग्य कर्मचारियों की जरूरत है. यह केंद्रीय विश्वविद्यालय की तरह कार्य करेगा और इसमें डिग्री स्तर से पढ़ाई शुरू होगी. दूरस्थ शिक्षा और ई-लर्निंग पाठ्यक्रम भी संचालित होंगे. विद्यार्थियों को तकनीकी शिक्षा, लेखा एवं प्रशासनिक प्रशिक्षण भी मिलेगा. विश्वविद्यालय की ओर से देश-विदेश में कहीं भी कैंपस खोला जा सकता है. जबकि, राज्यों में भी सहकारी कालेज खोलने की संभावनाएं जताई जा रही हैं. रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि राज्यों के किसी न किसी विश्वविद्यालय में सहकारिता से संबद्ध पढ़ाई होगी, जिसकी संबद्धता सहकारिता विश्वविद्यालय के पास होगी.






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