जिनकी आत्मा जितनी शुद्ध होती है, उनकी आस्था उतनी ही प्रबल और स्थाई होती है, शुद्धता ,प्रबलता और स्थायित्व एक दुसरे के पूरक हैं ,अब जिनकी आत्मा जितनी शुद्धता हैं ,उसकी दृष्टि में महाकुंभ वैसा ही हैं, सैफई में अय्याशी करनेवालों की आस्था, देश में सजायापता फालतू नेता लालू आस्थाहीन हो महाकुंभ को फालतू बता रहे ,ममता का बंगाल चुनावी हिंसा का केंद्र ,रामनवमी ,सरस्वती पूजा पर प्रतिबंध लगाने वाली ,चुनावी मृत्यु से जीत पाने वाली ,महाकुंभ को मृत्युकुंभ कह रही,खरगे को गरीबी उन्मूलन सूझ रहा,जों अपने धर्म का उदघोष नही कर सकते वों महाकुंभ पर ज्ञान दे रहे,हिन्दू आस्था से खिलवाड़ सनातन का अपमान आपकों सम्मान के लिए तरसा देगा,मतदाताओं से दुरी सत्ता से बहुत दूर कर देगी,चुनावी जीत के लिए सनातनी दिलों को जीतना भी है जरुरी इतना समझ लीजिए।
छत्तीसगढ़ के त्रिवेणी संगम राजिम में भी कुंभ चल रहा,प्रयागराज के महाकुंभ के साथ राजिम कुंभ में भी छत्तीसगढिंया पूण्य स्नान कर रहे ,आस्था के इस माहौल में छत्तीसगढिंयों ने अपनी निष्ठा सत्ता के लिए किधर है ये बताई ? शहरी सरकारें चुन ली गई पंचायतों के लिए दंगल जारी है,सुशासन के दांवो के बीच नगरीय निकाय चुनाव परिणामों ने उसे पुष्ट किया,प्रदेश में भाजपा की ऐतिहासिक जीत हुई इसका श्रेय मुखिया को मिला ,तों घर के हार की कसक भी मिली,कुनकुरी के हार के बाद जशपुर के तीनों जिला पंचायत सीटों पर हार ईशारा किस ओर कर रहा,घर में प्रभाव देर से और असंतोष जल्दी पनपता है,आत्मीयता अधिकार भी मांगता है,उपेक्षा से आत्मीयता कायम नही की जा सकती,पूर्ववर्ती से भी गलतियाँ ऐसी ही हुई सरकार बनी सरकार चलाने के लिए विश्वस्त सहयोगियों की जरूरत थी ,अधिकारी और कार्यकारी चुने गए ,दुर्ग जिले के अधिकारी पाटन के कई पुराने एसडीएम मंत्रालय में सर्व शक्तिमान हो गए, अनुविभागीय अनुभव था ही विभाग बाँट अपने -अपने भाग के साथ पूर्व मुखिया को भी भाग देने लगे, यही हाल कार्यकारियों ( चाटुकारों ) के चयन का था ,चाटुकार ,चाटुकार ही रहे ,कार्यकारी नही बन पाए ,अनुविभागीय अधिकारी सर्व शक्तिमान हो मंत्रालय में बैठकर भी प्रशासनिक सक्षमता नही प्राप्त कर पाए,वोटों की जगह नोटों की चाहत, जनहित से बड़ा स्वहित, अनुविभाग की जगह मंत्रालय में मालिक हो गए, पर स्तर नही बदला, भर्ष्टाचार का अनुविभागीय इतिहास प्रदेश का भर्ष्टाचार का इतिहास बन गया,कस्बों गाँवो ,शहरों से कार्यकारी वों ढूंढे गए जिनके लिए खुद का धन कुबेर बनना जरुरी था, चाहे मुखिया दुखिया हो जाए,सियारों ने टोली बनाई एक दुसरे को ऐसे रंगा की वों रंग मुखिया पर भी चढ़ा।
मानव संसाधन के चुनावों में ही गलती ,उसी गलती ने सरकार का चुनावी नियोजन कर दिया ,पांच साल में सरकार भर्ष्टाचार की भेट चढ़ गई ,दल वों है अलग, बेल वाले ही है सब, सों इतनी करारी हार के बाद राजनीतिक पुर्नवास हो रहा ,जिसे जनता ने नकारा उसे आलाकमान अपने सर आँखों पे बिठा रहा,पर आपके दल का चाल चरित्र और चेहरा अलग है, राज्यों से लेकर केंद्र में सत्ता है, ऐसे में कोई कैसे ऐसे घर में हारता है ? नीव हिलेगी तों सत्ता भी कंपित होगी, कौन सी पूर्ववर्तियों की गलतियों का दोहराव हो रहा ,घर में ही क्यों दुराव हो रहा,कारिंदे आपने भी चुने है ,मंत्रालय में उन्हें सुशोभित किए है ,शोभायमान तों है पर कारगर नही बन पा रहे , भर्ष्टाचारियों की फ़ौज है, तब भी मौज में थे आज भी मौज में है ,आर्थिक घोटालों की जानकारी क्या वित्त सचिव को नही है? स्वास्थ्य घोटाला , शराब घोटाला , खनिज घोटाला ,पीएससी घोटाला, विभाग दर विभाग घोटाले ,स्वास्थ्य सचिव ,आबकारी सचिव ,खनिज सचिव,GAD विभाग दर विभाग सचिव फिर भी वों घोटालों की तह तक नही पहुँच पा रहे, सतही जाँच जिसमें नही कोई आंच,वन, राजस्व में खेल जारी है ,युवा विधायकों का द्वंद भारी है, कोई रेत खनन में मगन तों किसी को एमपी की दारू प्यारी ,प्यारे मतदाताओं को बांटा भारी ,जिनका जोश सामुदायिक होश पर पड़ रहा भारी उन्हें ना देना मंत्री पद भारी ,कुछ कारिंदे चिन्हित है फिर भी वों ऐंठे है । अरण्य भवन में जगल राज, प्रमुख के काले कारनामें, कुछ तों सर्किट हाउस में पूरा फ्लोर बुक कर रहे, संपर्को से अपने जन संवाद कर रहे ,DMF की पुरानी बंदर बाँट की जों आहट नही ले पाए ,वों कैसे जिलों के मालिक बने बैठे हैं ? ये तों सवाल पीठ खुजाने का है, नीयत का है,सबकों घी नही पचती,सजग भारतीय सेवा संवर्ग के अधिकारी नही होंगे तों कर्मचारियों से आप क्या उम्मीद रखेंगे ? मुखिया के पास सुचना ना हो तों ये सामंजस्य की कमी है प्रशासन में शाषन का आभाव है, बातें दबी जुबानों की एक दिन चर्चा बनती है, और चर्चाओं से जनधारणा बदलती है, गुलाब कांटे रहित ही बुके में सजता है ,हांथो की शोभा, संबंधो, प्रभावों को बढ़ाता है,सूचना ना हो तों बताओं कागजी दे दे, पर आप इन कागजी शेरों को पहले पहचान ले ,चुनावों में यदि आपकों है चाव तों ,पाना है यदि बुके आगे और तों ------------------------------------------गुलाबों से काँटों को निकाल फेंकिए...
चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल
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