हिमंत बिस्वा सरमा 4 साल से कह रहे हैं कि वह मदरसों को मौलवी बनाने की जगह नहीं रहने देंगे. उन्हें तोड़-तोड़ करके स्कूल बनाए जा रहे हैं. अब योगी आदित्यनाथ भी उसी रास्ते पर चलते हुए दिख रहे हैं. यूपी के मुख्यमंत्री ने मंगलवार को विधानसभा में कहा कि सपा के नेता अपने बच्चों को अंग्रेजी पढ़ा रहे हैं और देश को कठमुल्लापन की ओर ले जाना चाहते हैं. हम ऐसा नहीं होने देंगे. योगी आदित्यनाथ लगातार सपा नेताओं को मदरसा, मस्जिद पर घेरते रहे हैं. तो क्या बीजेपी तीन तलाक, UCC के बाद मुसलमानों के लिए एक और मोर्चा खोल रही है? कहीं बीजेपी का असम मॉडल लागू करने की तैयारी तो नहीं?
पहले जानिए सीएम योगी ने क्या कहा, हमारी सरकार में विभिन्न बोलियों ब्रज,भोजपुरी, अवधी, बुंदेलखंडी को सम्मान मिल रहा है. हमारी सरकार अलग-अलग एकेडमी का गठन भी हो रहा है. यह सभी हिंदी की उपभाषा हैं,यानी हिंदी की बेटियां हैं. समाजवादियों का दोहरा चरित्र है. अपने बच्चों को इंग्लिश पब्लिक स्कूल में भेजेंगे, दूसरे के बच्चों को गांव के विद्यालय में पढ़ने को कहेंगे. यानी जाकी रही भावना जैसी. इसीलिए आपने कल अवधी भोजपुरी बुंदेली भाषा का विरोध किया. अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाएंगे और दूसरे को कहेंगे उर्दू पढ़ाओ. कठमुल्ला, मौलवी बनाना चाहते हैं, यह नहीं चलेगा.
अखिलेश का जवाब
योगी के इस बयान पर सियासी हंगामा मच गया. अखिलेश यादव ने भी विरोध जताया. उन्होंने कहा- मौलाना और ‘योगी’ दोनों बनना अच्छी बात है. लेकिन बुरा योगी बनना अच्छा नहीं है. अगर हम शिक्षा की बात करें तो समाजवादी पार्टी ने अपने कार्यकाल के दौरान लैपटॉप बांटे थे. मैं शर्त लगा सकता हूं कि जिस वार्ड में सीएम रहते हैं वहां आपको 100-200 लैपटॉप मिल जाएंगे. हम शिक्षा कभी नहीं रोकते, हम वो लोग हैं जो लैपटॉप बांटते हैं.
क्या है बीजेपी का असम मॉडल?
बात इसके आगे भी
असम सरकार का कहना है कि धार्मिक शिक्षा को सरकारी खर्चे पर नहीं चलाया जा सकता. वैसे तो सारे सरकारी मदरसे पूरी तरह से सामान्य स्कूल बन चुके हैं. निजी मदरसे अभी भी कार्यरत हैं, लेकिन इन्हें सरकारी मान्यता या वित्तीय सहायता नहीं मिलती. असम सरकार ने गैर-पंजीकृत मदरसों की जांच और निगरानी भी बढ़ा दी है.
विरोध हुआ पर माने नहीं
सरकार के इस फैसले का मुस्लिम संगठनों और कुछ राजनीतिक दलों ने विरोध किया क्योंकि वे इसे धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप मानते हैंः वहीं, सरकार का तर्क है कि बच्चों को धार्मिक शिक्षा की बजाय आधुनिक और वैज्ञानिक शिक्षा दी जानी चाहिए, जिससे वे करियर के बेहतर अवसर पा सकें. असम में अभी भी कई निजी मदरसे हैं, जो अपने कोर्स को आधुनिक शिक्षा के साथ जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं.
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