ये रहीं देश की सभी महिला मुख्यमंत्री,पढ़े इनके किस्से

ये रहीं देश की सभी महिला मुख्यमंत्री,पढ़े इनके किस्से

भारतीय जनता पार्टी की सुषमा स्वराज, कांग्रेस की शीला दीक्षित और आम आदमी पार्टी की आतिशी के बाद दिल्ली को रेखा गुप्ता के रूप में अब एक और महिला मुख्यमंत्री मिल गई हैं. आजादी के बाद से अब तक की बात करें तो रेखा गुप्ता देश की 18वीं महिला मुख्यमंत्री हैं. आइए जान लेते हैं इनके किस्से.

सुचेता कृपलानी: कामराज प्लान ने देश को दी पहली महिला CM

देश की पहली महिला मुख्यमंत्री थीं सुचेता कृपलानी. उनको यूपी का सीएम बनाया गया था, जबकि इस प्रदेश से उनका कोई नाता नहीं था. पंजाब में जन्मीं सुचेता कृपलानी बंगाली थीं और दिल्ली में पढ़ाई की थी. फिर भी उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री को हटाकर उनको कुर्सी सौंपी गई थी.

आजादी के बाद एक समय ऐसा आ गया था, जब पंडित जवाहरलाल नेहरू की सत्ता को उन्हीं की पार्टी के लोग चुनौती देने लगे थे. इनमें एक बड़ा नाम था यूपी के तत्कालीन सीएम चंद्रभानु गुप्ता का. दिल्ली में बैठे लोग चंद्रभानु गुप्ता की चुनौती से इस कदर डरे कि उनको हटाने के लिए कामराज प्लान ले आए. इस प्लान के तहत पुराने लोगों को अपने-अपने पदों से इस्तीफा देना था. ऐसे में चंद्रभानु गुप्ता को भी इस्तीफा देना पड़ा.

इसके बाद कांग्रेस के सामने समस्या खड़ी हो गई कि यूपी का अगला सीएम किसे बनाया जाए. पार्टी में फूट भी पड़ चुकी थी. चौधरी चरण सिंह, कमलापति त्रिपाठी और हेमवती नंदन बहुगुणा जैसे बड़े दावेदार थे पर गुप्ता इन्हें सीएम नहीं बनने देना चाहते थे. ऐसे में अप्रत्याशित रूप से कांग्रेस ने महिला को मुख्यमंत्री बनाने की ठानी और सुचेता कृपलानी को इसके लिए चुन लिया गया.

मायावती: लालजी टंडन को राखी बांध मायावती ने बटोरीं सुर्खियां

यूपी की ही एक और महिला मुख्यमंत्री मायावती हमेशा चर्चा में रहती थीं. वह 39 साल की उम्र में राज्य की सीएम बनी थीं. इसके बाद चार बार यह पद संभाला. दरअसल, बसपा प्रमुख ने साल 2001 में मायावती को उत्तराधिकारी घोषित किया था. साल 2002 में मायावती ने भाजपा से गठबंधन कर तीसरी बार यूपी में सरकार बनाई थी. तब मायावती ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालजी टंडन को राखी बांधी थी, जिसने खूब सुर्खियां बटोरी थीं. हालांकि, साल 2003 के अगस्त में भाजपा ने समर्थन वापस ले लिया तो मायावती के हाथ से सत्ता चली गई. माना जाने लगा कि बसपा के लिए सत्ता में लौटना मुश्किल है पर सबको चौंकाते हुए साल 2007 में बसपा ने पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया और पूरे पांच साल मायावती सीएम रहीं.

आतिशी मार्लेना: 2019 में पहली बार चुनाव लड़ा, 2024 में बन गईं सीएम

आम आदमी पार्टी की आतिशी के दिल्ली का सीएम बनने की कहानी भी काफी दिलचस्प है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने पहली बार उनको पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से चुनाव में उतारा तो वह तीसरे नंबर पर रहीं. साल 2020 में वह कालकाजी सीट से विधायक चुनी गईं. साल 2023 में वह शिक्षा मंत्री बनाई गईं, जब मनीष सिसोदिया को जेल जाना पड़ा था. फिर मुख्यमंत्री केजरीवाल को भी जेल जाना पड़ा. जमानत पर रिहा होने के बाद भी उन्होंने सत्ता नहीं संभाली और आतिशी को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने का मौका मिल गया.

जयललिता: अभिनेता न नेता, वकील बनना चाहती थीं

कभी छापेमारी में जूते-चप्पलों की संख्या को लेकर चर्चा में रहीं तमिलनाडु के सीएम की कुर्सी तक पहुंचीं जे जयललिता अभिनेता और नेता नहीं बनना चाहती थीं, बल्कि उनकी दिलचस्पी तो वकील बनने में थी. हालांकि, किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. केवल दो साल की उम्र में उनके पिता का निधन हो गया. इस पर मां ने उनको बेंगलुरु में दादा-दादी के पास छोड़ दिया. वहीं से वह संध्या के नाम से तमिल फिल्मों में अभिनय करने लगीं.

तमिल सुपरस्टार एमजी रामचंद्रन के साथ उनकी जोड़ी हिट हो गई. बाद में एमजी रामचंद्रन राजनीति में आए तो जयललिता को भी ले आए. एमजी रामचंद्रन ने ही एआईएडीएमके गठित की थी.

तब खाई थी मुख्यमंत्री बनने की शपथ

यह साल 1989 की बात है. 25 मार्च को तमिलनाडु विधानसभा में बजट पेश हो रहा था. इससे पहले के चुनाव में जयललिता की एआईएडीएमके पार्टी ने विधानसभा चुनाव में 27 सीटें जीती थीं और वह विपक्ष की महिला नेता बनी थीं. मुख्यमंत्री थे डीएमके के एम करुणानिधि. बजट भाषण शुरू होते ही जयललिता और उनकी पार्टी के विधानसभा में हंगामा शुरू कर दिया. तभी किसी ने करुणानिधि की तरफ फाइल फेंक दी, जिससे उनका चश्मा गिरा और टूट गया. यह देश जयललिता सदन से बाहर जाने लगीं तो मंत्री दुरई मुरगन सामने आ गए और उनको रोकने के लिए साड़ी खींच ली, जिससे वह फट गई. खुद जयललिता जमीन पर गिर गईं.

वह फटी साड़ी के साथ बाहर आ गईं और शपथ ली कि मुख्यमंत्री बन कर ही विधानसभा सदन में लौटेंगी. साल 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद हुए चुनाव में जयललिता ने कांग्रेस के साथ समझौता कर राज्य की 234 में 225 सीटों पर जीत हासिल कर ली और वह तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बन गईं.

सुषमा स्वराज-रेखा गुप्ता: हरियाणा से भाजपा की दोनों महिला मुख्यमंत्रियों का नाता

दिल्ली की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री सुषमा स्वराज दोनों का ही हरियाणा से गहरा नाता है. साल 1977 में सुषमा स्वराज ने पहली बार केवल 25 साल की उम्र में हरियाणा विधानसभा का चुनाव जीता था. इतनी छोटी उम्र में ही वह चौधरी देवी लाल की सरकार में श्रम मंत्री बनाई गई थीं. रेखा गुप्ता भी हरियाणा में जींद की रहने वाली हैं.

हालांकि, भाजपा के दो वरिष्ठ नेताओं की आपसी खींचतान के बीच 12 अक्तूबर 1998 को पार्टी के आदेश पर जब सुषमा स्वराज दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं तो उनके सामने ढेरों चुनौतियां थीं. सरकार चलाने के लिए केवल 52 दिन मिले. सामने विधानसभा चुनाव था. पार्टी को मजबूत करना था, जिसे पूर्ववर्ती नेताओं ने आपसी मतभेद से कमजोर कर दिया था. फिर भी इतने छोटे से कार्यकाल में जनता से जुड़े मुद्दों पर काम करने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी. हालांकि, 1998 के चुनाव में भाजपा को हार मिली पर इसका सारा जिम्मा सुषमा स्वराज का नहीं था.

ये रहीं देश की सभी महिला मुख्यमंत्री

  1. सुचेता कृपलानी ने यूपी ही नहीं देश की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं और 3 साल 162 दिनों तक पद पर रहीं.
  2. नंदिनी सत्पथी ने ओडिशा के सीएम की कुर्सी चार साल 185 दिन संभाली थी.
  3. शशिकला काकोडकर ने गोवा की सत्ता पांच साल 258 दिन चलाई.
  4. अनवरा तैमूर ने असम सीएम की कुर्सी 206 दिनों तक संभाली.
  5. वीएन जानकी तमिलनाडु की सीएम बनीं पर 23 दिनों तक ही कुर्सी पर रह पाई थीं.
  6. जे जयललिता तमिलनाडु में 14 साल 124 दिनों तक सत्ता में रहीं और दूसरी सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाली महिला बनीं
  7. मायावती ने अलग-अलग कार्यकाल में सात साल पांच दिनों तक बागडोर संभाली. एक कार्यकाल पांच साल का रहा.
  8. राजिंदर कौर ने मुख्यमंत्री के रूप में 83 दिनों तक पंजाब की बागडोर संभाली
  9. सुषमा स्वराज केवल 52 दिन ही सीएम रह पाईं, जिन्हें हराकर शीला दीक्षित सीएम बनी थीं
  10. शीला दीक्षित का नाम सबसे लंबे कार्यकाल वाली महिला मुख्यमंत्री के रूप में दर्ज है. वह 15 साल 15 दिन दिल्ली की सत्ता पर काबिज रहीं.
  11. राबड़ी देवी ने सात साल 190 दिन बिहार की सत्ता संभालीी.
  12. उमा भारती मध्य प्रदेश में 259 दिन सीएम रहीं.
  13. वसुंधरा राजे ने राजस्थान में दो बार कार्यकाल पूरा किया और 10 साल 9 दिन तक सीएम रहीं.
  14. ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की सत्ता में ​लगातार 13 सालों से भी अधिक समय से हैं.
  15. आनंदीबेन पटेल दो साल 77 दिन तक गुजरात की मुख्यमंत्री रहीं.
  16. महबूबा मुफ्ती 2 साल 76 दिन जम्मू-कश्मीर की सीएम रहीं.
  17. आतिशी ने 21 सितंबर 2024 को दिल्ली की सत्ता संभाली और फरवरी 2025 तक पद पर रहीं.






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