महाकुंभ में उमड़ता श्रद्धालुओं का सैलाब बता रहा की सनातन चेतना जाग गई है,हिन्दू अस्मिता की ओर अग्रसर है ,हिंदूओ की एक बहुत बड़ी संख्या को श्रद्धालुओं के रूप में देखकर विपक्ष व्याकुल है कांग्रेस, टीएमसी राजद,सपा के नेताओं के बयान बता रहे की वों विशेष समुदाय और विशेष जातियों के तुष्टीकरण कर राजनीतिक संतुष्टि पाना चाह रहे,वर्तमान परिदृश्य में विपक्षी ताकत क्षीण हो रही ,हार पे हार से सत्ता जाने का डर बिहार और बंगाल में है,जों सत्ता से दूर है ,वों भी सत्ता के लिए छटपटा रहे ,दिल्ली की जीत और महिला मुख्यमंत्री का बनना बता रहा की भाजपा तेजी से भविष्य के भी रास्ते गढ़ रही ,वहां अभी भी आरएसएस की मर्जी चल रही ,विपक्षी गठबंधन भ्रमित है, अपनी ही पुरानी बातों पर अड़ी है,सघन दुष्प्रचार के बाद भी महाकुंभ में श्रद्धालुओं का लगा तांता बता रहा की विपक्षी नेताओं की वाणी से ओंज जाता रहा ,लोग उनकी बातों से प्रभावित नही हो रहे,निष्ठा से उपर आस्था हो गई, बदलते राजनीतिक चेतना के अनुकूल विपक्षी दल चैतन्य नही हो पा रहे,27 साल लम्बे अरसों के अंतराल के बाद दिल्ली का दिल भाजपा ने जीता।
पांच वर्षो के बाद छत्तीसगढ़ में राजनीतिक फिजा बदली भाजपा सत्ता में आई और अब मजबूती से अपने पांव जमा रही ,नगरीय निकायों में ऐतिहासिक सफलता ने पंचायत परिणामों की पटकथा लिख दी थी, पंचायत के दंगल में कांग्रेसी पहलवान ढेर हो रहे, वजूद ही बचा पाएंगे भाजपा का मंगल ही मंगल दिख रहा ,इन चुनावों के बाद दोनों तरफ नियुक्तियां होनी है,थकी हारी अंतर्विरोधों से घिरी असंतोष से भरी छ.ग.कांग्रेस को संगठन में नियुक्ति करनी है,गुटों में बटी कांग्रेस निर्गुट हो पायेगी इसकी संभावना कम है ,बदलाव के पहले ही बयानों से बवाल मचाने की कोशिशे हो रही ,टांग मार गिराने की मंशा दिख रही,सत्ता के निर्वासन ने बुद्धि से भी निर्वासित कर दिया,सत्ता में गलतियाँ दिखती नही ,विपक्ष में वही गलती अपराध बन जाती है ,कांग्रेस में यही हो रहा,आरोपों की बौछार है, किसी को किसी के सम्मान की नही परवाह है,ऐसे कैसे आगे बढ़ेगी पार्टी ? कांग्रेस पीछे छुट रही, हारे थके नेता जरुर आगे बढ़ रहे ,संगठन में नियुक्ति कार्यकर्ताओं की होगी या फिर अपने ही मनोनीत होंगे ये सवाल बड़ा बवाली है,जीत से उत्साहित भाजपा को विष्णु सरकार को मंत्रिमंडल का विस्तार करना है निगम मंडलों में राजनीतिक नियुक्तियां करनी है, जीत के उत्साह से भरी कार्यकर्ताओं और नेताओं की अपेक्षाओं पर खरा उतरना होगा,तेरह महीनें सबने इंतजार कर लिया अब ना वक्त है और ना ही ऐसा कोई दस्तूर, महत्वाकाक्षाएं सबकी है मेहनत सबने किया तों सबकों सत्ता में भागीदारी,सत्ता सुख सिर्फ चुनिदों को क्यों ?
पांच साल में छत्तीसगढ़ की शांत धरा में धार के विरुद्ध काम हुए ,अराजकता को धार दी गई ,घपले घोटाले हुए, प्रदेश के औद्योगिक शहरों की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासतें बदल गई ,रोहिंग्या घुसपैठिये भिलाई ,कोरबा और बीरगांव में एक ही तासीर की ,समस्याएं भिलाई में तों सरकारी जमीनों पर कब्जे हो रहे, अवैध निर्माण हो रहे ,मस्जिद और वक्फ की आड़ में सरकारी जमीनों पर मिलकियत बताई जा रही, भाजपा की जीत का बड़ा कारण था की छत्तीसगढ़िया पुरानी सरकार के क्रियाकलापों से उकता गया था,तों उसने कांग्रेस सरकार को निपटा दिया ,पुराने घोटालों की जाँच चल रही,पुस्तक घोटाले ,आयुष्मान घोटाले ,सीजीएमएससी घोटाले के बाद ,महिला बाल विकास विभाग में हुए घोटाले की चर्चा है, पुस्तक घोटाले के आलावा बाकि सारे घोटाले कांग्रेस सरकार के दौर में हुए, अब तों आरोपियों को जमानत भी मिलने लगी ,फिर भी अधिकारी आपकों कोई राज नही बता रहे ,कब तक पुरानी सरकार के घोटालों की परत खुलते रहेगी ? कब जाँच होगी ?कब छत्तीसगढ़ को न्याय मिलेगा? जिन्होंने अपने सात पुश्तों के लिए कमा लिया वों मौज में जिनके पुश्तों का भविष्य ख़राब हो गया ,वों बैचेनी में, बैचेन जनता कैसे चैन ले जब दिखे की आरोपों की सच्चाई नही आ रही सामने ,अधिकारी राज छिपाए और राजनीति उन्हें आँखों का तारा बनाए, भर्ष्टाचार की जाँच हर विभाग में हो ,तय समय सीमा में हो ,क्या ऐसी व्यवस्था नही हो सकती ? छत्तीसगढ़ में आंदोलन के नाम पर बलौदाबाजार हिंसा हुई, ये पुट हिंसा कहां से आया सामाजिक परिवेश को क्षुद्र राजनीतिक स्वार्थो के लिए बदलने की कोशिश हो रही ,पंचायती हार से तिलमिलाहट और बढ़ेगी ,प्रवृतियां शकुनि वाली कानी ना कर दे व्यवस्थाओं को ,क्योकि व्यवस्था वाली कारिंदे कभी नही बदलती कहते हैं -------------------सरकारें बदलती हैं, व्यवस्थाएं नही बदलती
चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल
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