हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी देर रात तक बज रहा है डीजे

हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी देर रात तक बज रहा है डीजे

भाटापारा :  हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी शहर व ग्रामीण क्षेत्रों मे बेधड़क हाई बेस आवाज के साथ सार्वजनिक रुप देर रात तक डीजे बज रहा है वही 12 दिन बाद बोर्ड परीक्षाओं प्रारंभ होने जा रहा है इस कानफोडू ध्वनि प्रदूषण के कारण परीक्षार्थियों का भी असुविधा का सामना करना पडा रहा लेकिन सार्वजनिक रुप से प्रतिबंधित डीजे पर स्वतः संज्ञान लेकर कारवाई को लेकर स्थानीय पर असहाय महसूस कर रहा जिसके लिये आम पब्लिक कि शिकायत कि भी आवश्यकता स्थानीय प्रशासन द्वारा महसूस किया जा रहा है जिसके कारण शादी सीजन प्रारंभ होने के बाद बेधड़क बजे प्रतिबंधित डीजे पर लगाम नही लग पा रहा है.

हाईकोर्ट के सख्त आदेश के बाद भी बज रहा है डीजे

डीजे से हो रहे ध्वनि प्रदूषण को लेकर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेने और जनहित याचिका के साथ हस्तक्षेप याचिका पर हाईकोर्ट ने एक जनहित सुनवाई के मामले मे । चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा, जस्टिस अरविंद कुमार चन्देल की युगल पीठ ने शासन को प्रकरण में कार्रवाई की जानकारी देने को कहा था । कोर्ट ने यह भी निर्देश दिए हैं कि शहरों में साइलेन्स जोन घोषित कर डीजे प्रतिबंधित करना चाहिए।

डीजे के कानफोड़ू शोर से हो रही दिक्कतों पर चीफ जस्टिस ने दो माह पूर्व 29 सितंबर को स्वत: संज्ञान लिया है। कोर्ट ने उच्चतम न्यायालय तथा छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट द्वारा इस विषय पर दिए गए पूर्व के आदेशों का उल्लेख करते हुए इनके पालन के संबन्ध में मुख्य सचिव को रिपोर्ट देने का अंतरिम आदेश पारित किया था।

सुनवाई के दौरान युगल पीठ ने नाराजगी जाहिर करते हुए छत्तीसगढ़ शासन के मुख्य सचिव को यह बताने को कहा कि उत्सवों के अवसर के दौरान ध्वनि विस्तारक यंत्रों, डीजे द्वारा उत्पन्न ध्वनि प्रदूषण के खतरे को खत्म करने के लिए क्या प्रयास किए? कोर्ट ने इस संबंध में एक विस्तृत शपथपत्र प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे। इस पर शासन ने नियम बनाकर डीजे प्रतिबन्धित करने की जानकारी दी।

चीफ जस्टिस ने माना कि बिलासपुर शहर सहित अन्य शहरों में ध्वनि प्रदूषण की वर्तमान स्थिति बदहाल है। जो कि समाचारों की कतरनों से भी स्पष्ट है। यह जिम्मेदार राज्य अधिकारियों के अपमानजनक कृत्य के अलावा और कुछ नहीं है। वे ध्वनि प्रदूषण के खतरे को रोकने में कोई भी प्रयास करने में विफल रहे हैं । सर्वोच्च न्यायालय के साथ साथ इस न्यायालय द्वारा विभिन्न आदेश व निर्देश पारित करने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है।

गौरतलब है कि पिछले साल 19 फरवरी को भी हाईकोर्ट ने डीजे से प्रदूषण पर दायर एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए महाधिवक्ता कार्यालय को शासन से यह दिशा निर्देश लेने को कहा था कि कोर्ट के आदेश पर क्या कार्रवाई की जा रही है। शहर में बज रहे कानफोडू.

शहर थाना प्रभारी परिवेश तिवारी

जहाँ जहाँ डीजे बजने कि शिकायत मिल रही है वहां वहां कार्यवाही किया जा रहा है






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