रायपुर : नगर निगम में सभापति के लिए जोड़तोड़ के प्रयासों के आगे अब एक दूसरे को काटने के लिए नई रणनीति के तहत अब जब नेताओं को सबूत के साथ एक दूसरे के अपराधों की सूची भी सौंपी जा रही है,भारतीय जनता पार्टी के सबसे प्रबल दावेदार सूर्यकांत राठौड़ के ख़िलाफ़ जिला न्यायालय रायपुर में जाति का प्रकरण भी चल रहा है, जिसके कारण भाजपा कोई बदनामी मोल नहीं लेना चाहती.
ग़ौरतलब है कि सूर्यकांत राठौड़ की जाति का प्रमाण पत्र मध्य प्रदेश का बना हुआ है और सन 1994 में मध्य प्रदेश शासन के द्वारा उपरोक्त सर्टिफ़िकेट की पुष्टि होना बाक़ी है इसी के आधार पर न्यायालय में जाति के मामले में लेकर उपरोक्त प्रकरण चल रहा भारतीय जनता पार्टी की मुसीबत यह है भारी संख्या में पार्षद जीतकर आये है, उसमें से वरिष्ठ और अनुभव वाले वही वाले पार्षदों को चयन करना है. भारतीय जनता पार्टी को तय करना है जाति के अनुसार संतुलन बनाकर नगर निगम में प्रभावी तरीके से जनता का कार्य हो सके.
सूर्यकांत राठौर - सभापति रेस में सूर्यकांत राठौड़ का भी नाम सामने आया है, लेकिन जातिगत राजनीति के चलते सूर्यकांत राठौर का सभापति बनना मुश्किल दिख रहा है, जाति का एक मामला सूर्यकांत राठौर के खिलाफ भी चल रहा है. बीजेपी के मुखर नेता व पार्षद मनोज वर्मा रायपुर निगम के सभापति के लिए प्रबल दावेदार माने जा रहे है, मनोज वर्मा एक ऐसा नेता है जो अपने किए काम से जाने जाते है. इसकी घोषणा जल्द होगी. निकाय चुनाव 2025 में कांग्रेस पार्टी पूरी तरह साफ़ हो गई है, कांग्रेस सभापति के लिए उम्मीदवार खड़े करने की स्थिति में ही नहीं है, अब सभापति के लिए निर्णय भाजपा को ही लेना है.
आपको बता दें कि रायपुर निगम अब महिला मेयर के हाथों में है, जिसे देखते सभापति के लिए किसी पुरुष को ही प्राथमिकता दी जाएगी, चूँकि राठौड़ के जाति विवाद में फंसे होने के कारण एक मात्र प्रबल दावेदार मनोज वर्मा और सूर्यकांत राठौड़ ही है, अब फैसला पार्टी को लेना है. हालाँकि दोनों ही पुराने और अनुभवी पार्षद है.
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