नई दिल्ली : प्रोफेसर यूनुस मोहम्मद की अगुआई वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार जब से सत्ता में आई है, तब से सार्क संगठन के पक्ष में हवा बनाने में जुटी है। ऐसे में भारत ने बांग्लादेश को चेतावनी भरे लहजे में समझाने की कोशिश की है कि उसे आतंकवाद जैसे मुद्दे को सामान्य तौर पर नहीं लेना चाहिए।
यह बात स्वयं विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बांग्लादेश सरकार में विदेश मामलों के सलाहकार (विदेश मंत्री के समकक्ष) तौहीद हुसैन को कही। इसका खुलासा शुक्रवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने किया।
विदेश मंत्रालय ने दी जानकारी
इसके साथ ही विदेश मंत्रालय की तरफ से अंतरिम सरकार के कुछ सलाहकारों की ओर से लगातार भारत के हितों के खिलाफ की जा रहे बयानबाजी के मुद्दे पर अभी नाराजगी जताई गई है और कहा है कि इससे द्विपक्षीय रिश्तों को सुधारने की कोशिशों को नुकसान पहुंचेगा।
जायसवाल ने कहा, 'जब विदेश मंत्री जयशंकर ने मस्कट (दोहा) में बांग्लादेश के तौहीद हुसैन से मुलाकात की थी, तब बांग्लादेश का मुद्दा उठा था। लेकिन हम सब जानते हैं कि सार्क संगठन किस देश की वजह से और किस तरह की गतिविधियों से सार्क की मौजूदा स्थिति के लिए जिम्मेदार है। विदेश मंत्री जयशंकर ने यह स्पष्ट कर दिया कि बांग्लादेश को आतंकवाद के मसले को सामान्य तौर पर नहीं लेना चाहिए।'
2016 से स्थगित है सार्क की बैठक
पाकिस्तान के लिए उमड़ रहा प्रेम
सिर्फ सार्क के मुद्दे पर ही नहीं बल्कि दूसरे मुद्दों पर भी बांग्लादेश यह संकेत देने की कोशिश कर रहा है कि वह पाकिस्तान के साथ है। पूर्व पीएम शेख हसीना के कार्यकाल में आंतरिक सुरक्षा का हवाला देते हुए पाकिस्तान के जिन आयातों पर रोक लगा दी थी, उसे खोल दिया गया है।
पाकिस्तानी नागरिकों के लिए सुरक्षा मंजूरी लेने की बाध्यता खत्म कर दी गई है। जबकि जनवरी, 2025 में जब भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने ढाका की यात्रा की थी, तब यह साफ तौर पर बता दिया था कि भारत अपने इस पड़ोसी देश के सात बेहतर संबंध चाहता है।
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