महाराष्ट्र : महाराष्ट्र की राजनीति में शिवसेना (उद्धव ठाकरे) के भीतर चल रही उथल-पुथल ने ताजा हलचल मचा दी है। पिछले कुछ महीनों में शिवसेना (यूबीटी) के कई पूर्व विधायक और पदाधिकारी एकनाथ शिंदे गुट में शामिल हो चुके हैं, जिसके बाद पार्टी के अंदर गहरी असंतोष की भावना पनपने लगी है। विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन और उसके बाद बढ़ते मतभेदों के कारण शिवसेना के भविष्य पर संकट मंडरा रहा है।
किशोर तिवारी ने उठाए गंभीर सवाल
शिवसेना (यूबीटी) के नेता किशोर तिवारी ने हाल ही में एक न्यूज चैनल पर आरोप लगाए, जिससे पार्टी में उथल-पुथल मच गई। तिवारी ने पार्टी के बड़े नेताओं पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सांसद संजय राउत, विनायक राउत, अरविंद सावंत और मिलिंद नार्वेकर ने 'मातोश्री' और 'सेना भवन' पर कब्जा किया। इसके साथ ही, तिवारी ने यह भी कहा कि पार्टी में प्रभावशाली जनाधार वाले नेताओं को पार्टी छोड़ने के लिए मजबूर किया गया, और चुनावी हार के लिए इन नेताओं को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
किशोर तिवारी को पार्टी से बाहर किया
किशोर तिवारी के इस बयान के बाद शिवसेना (यूबीटी) ने तुरंत एक्शन लिया और उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया। तिवारी को प्रवक्ता पद से हटा दिया गया और पार्टी कार्यालय से उनका नाम हटा दिया गया। यह कदम शिवसेना के अंदर की गुटबाजी और असंतोष को उजागर करता है, जिससे पार्टी की साख पर गहरा असर पड़ सकता है।
उद्धव ठाकरे ने किया डैमेज कंट्रोल
इस घटनाक्रम के बाद उद्धव ठाकरे ने खुद मोर्चा संभाला। उन्होंने पार्टी के सांसदों और विधायकों की एक बैठक बुलाकर सभी से इस संकट से निपटने के लिए चर्चा की। सांसदों की बैठक 20 फरवरी को हुई, जबकि विधायकों की बैठक 25 फरवरी को बुलाई गई है। उद्धव ठाकरे ने इस दौरान अपने समर्थन को मजबूत करने की कोशिश की और पार्टी को एकजुट रखने की दिशा में कदम उठाए।
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