नई दिल्ली : वास्तु शास्त्र में हर दिशा का एक विशेष महत्व माना गया है, लेकिन सबसे अधिक महत्व ईशान कोण को दिया गया है। इस दिशा में देवताओं का स्थान माना जाता है। उत्तर-पूर्व दिशा को ईशान कोण कहा जाता है। वास्तु के अनुसार, ईशान कोण से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। ऐसे में इस दिशा से जुड़े वास्तु नियमों का ध्यान रखने से स्वास्थ्य, खुशी और समृद्धि में वृद्धि होती है।
ईशान कोण में क्या होना चाहिए
देवताओं की दिशा होने के कारण इस दिशा में पूजा घर या मंदिर बनाना शुभ माना जाता है। इस दिशा में पूजा करने से देवी-देवताओं का आशीर्वाद आपके ऊपर बना रहता है। साथ ही इस दिशा को ज्ञान, बुद्धि, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक भी माना गया है।
इसलिए आप इस दिशा में बच्चों का कमरा भी बनवा सकते हैं। इससे उनकी एकाग्रता बढ़ती है। इस दिशा का संबंध जल तत्व से भी माना गया है, इसलिए आपको इस दिशा में एक्वेरियम या फिर छोटा-सा फव्वारा लगाने से भी लाभ मिल सकता है।
नहीं होनी चाहिए ये चीजें
वास्तु के अनुसार आपके घर में ईशान कोण में शौचालय या फिर रसोई नहीं होनी चाहिए। इसी के साथ इस दिशा में भारी फर्नीचर और जूते-चप्पल भी नहीं रखने चाहिए, वरना आपको वास्तु दोष का सामना करना पड़ सकता है, जिससे आपको जीवन की परेशानियां बढ़ सकती हैं। इसके साथ ही इस दिशा में किसी भी प्रकार की गंदगी नहीं होना चाहिए।
रखें इन बातों का ख्याल
ईशान कोण में साफ-सफाई का विशेष रूप से ध्यान रखें। साथ ही इस दिशा में हर चीज को व्यवस्थित तरीके से रखें। इसी के साथ इस बात का खासतौर से ध्यान रखें कि ईशान कोण में कोई भारी वस्तु नहीं होनी चाहिए, ताकि सकारात्मक ऊर्जा का स्वतंत्र रूप से प्रवाह जारी रहे। साथ ही इस दिशा में काले रंग की वस्तुएं रखने से भी बचना चाहिए।
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