टेस्ला की एंट्री से पहले भारत सरकार अपनी इलेक्ट्रिक वाहन नीति (EV Policy) में बड़ा बदलाव कर सकती है। इससे टेस्ला जैसी ग्लोबल कंपनी के लिए भारत में इलेक्ट्रिक कारों को बेचना आसान हो सकता है। नई EV नीति के तहत, कार निर्माताओं को दूसरे साल में ही 2,500 करोड़ रुपये का टर्नओवर दिखाना होगा। पहले बनाए गए ड्राफ्ट में चौथे साल तक 5,000 करोड़ रुपये और 5वें साल तक 7,500 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया था।
नई नीति के तहत, कम से कम 4,150 करोड़ रुपये (500 मिलियन डॉलर) के शुरुआती निवेश पर, इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर 15% का रियायती आयात शुल्क लागू होगा। वहीं, निवेश के पहले 5 सालों में 10,500 करोड़ रुपये का रेवेन्यू लाना जरूरी होगा। इसके अलावा, यह निवेश जमीन केवल खरीदने या बिल्डिंग बनाने के लिए नहीं किया जा सकता। हालांकि, 5% निवेश चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
कब लागू होगी नई नीति
भारी उद्योग मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय के साथ मिलकर इस नीति पर अंतिम चर्चा कर रहा है। उम्मीद है कि मार्च के मध्य तक नई नीति की आधिकारिक घोषणा हो जाएगी और अगस्त तक आवेदन स्वीकार किए जाएंगे। इससे Tesla जैसी कंपनियां भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Vehicles) का आयात शुरू कर सकेंगी।
EV पॉलिसी में क्या हो सकते हैं बदलाव
नई ईवी नीति के तहत महंगी गोड़ियों को इम्पोर्ट ड्यूटी से राहत दी जा सकती है। विदेशी कंपनी को भारत में कम से कम 500 मिलियन डॉलर का निवेश कर मैन्युफैक्चरिंग शुरू करना होगा। 35,000 डॉलर से अधिक कीमत की इलेक्ट्रिक गाड़ियों के आयात पर केवल 15% की रियायती कस्टम ड्यूटी ली जाएगी। ये रियायत 5 सालों तक लागू होगी। कंपनी को तीन साल के भीतर स्थानीय निर्माण शुरू करना होगा.
पहले पांच सालों में 40,000 इलेक्ट्रिक गाड़ियां (हर साल 8,000) आयात करने की अनुमति होगी। लोकिन, तीन साल में 25% और पांच साल में 50% स्थानीय उत्पादन करना जरूरी होगा।
टेस्ला की क्या है योजना
टेस्ला के भारत में आने की चर्चा तब तेज़ हुई जब फरवरी 2024 में PM नरेंद्र मोदी ने एलन मस्क से मुलाकात की. मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि उनकी एलन मस्क से वाशिंगटन DC में बहुत अच्छी बातचीत हुई और उनके बीच स्पेस, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन पर चर्चा हुई। इसके बाद, 18 फरवरी को Tesla ने भारत में नौकरी के लिए 13 वैकेंसी निकालीं, जिनमें दिल्ली और मुंबई में सेल्स व सर्विस की नौकरियां शामिल हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, Tesla 2025 के दूसरे छमाही में भारत में अपने पहले शोरूम को दिल्ली के एयरोसिटी और मुंबई के BKC में खोल सकती है। खबरें ये भी हैं कि टेस्ला Model Y को सबसे पहले लॉन्च किया जाएगा। Tesla ने पहले भी कुछ कारों को टेस्टिंग के लिए भारत लाने की कोशिश की थी, लेकिन हाई टैक्स के कारण ये योजना आगे नहीं बढ़ी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी भारत में हाई इम्पोर्ट ड्यूटी को लेकर नाराजगी जताई थी।
1 फरवरी 2025 को पेश किए गए बजट में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 40,000 डॉलर से अधिक कीमत की गाड़ियों पर इंपोर्ट ड्यूटी को 125% से घटाकर 70% कर दिया, लेकिन कुल टैक्स अभी भी 110% है। EV नीति के अनुसार, इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर आयात शुल्क 15% किया जाएगा, लेकिन ये केवल उन्हीं गाड़ियों के लिए होगा जो भारत में असेंबल की जाएंगी।
मैन्युफैक्चरिंग पर नहीं बनी बात?
टेस्ला शुरूआत से ही भारत में कारों की मैन्युफैचरिंग शुरू करने के पक्ष में नहीं है। कंपनी भारत में कारों को इम्पेर्ट करके बेचेना चाहती है। हालांकि, भारत की ईवी नीति किसी भी मैन्युफैक्चरर को केवल इम्पोर्ट की हुई कारें बेचने की अनुमति नहीं देता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, Tesla की कारें जर्मनी के बर्लिन प्लांट से सीधे भारत में आयात की जाएंगी। ट्रंप ने इस बारे में कहा है कि अगर टेस्ला भारत में फैक्ट्री लगाए तो ठीक है, लेकिन ये अमेरिका के हित के लिए सही नहीं है। अब देखना है कि भार सरकार अपनी EV नीति में क्या बदलाव करती है।
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