रायपुर : तेलीबांधा पुलिस ने ओवरलोड राखड़ परिवहन करने वाले वाहनों पर बड़ी कार्रवाई की। भारतीय संत सनातन धर्म रक्षा संघ के अध्यक्ष राहुल तिवारी की शिकायत पर सीएसपी अजय कुमार के निर्देशानुसार थाना प्रभारी नरेंद्र मिश्रा ने एनटीपीसी रायगढ़ से दुर्ग जाने वाले भारी वाहनों को रोका। जांच के दौरान चौंकाने वाले तथ्य सामने आए—अधिकांश वाहन क्षमता से कहीं अधिक भार लेकर चल रहे थे, कई वाहनों के दस्तावेज अधूरे थे, और कुछ ड्राइवरों के पास लाइसेंस तक नहीं था।
इस कार्रवाई में परिवहन माफिया की गहरी साठगांठ उजागर हुई। ट्रांसपोर्टरों ने कबूल किया कि ओवरलोडिंग का यह अवैध खेल प्रशासन की नाक के नीचे नहीं, बल्कि उसकी मिलीभगत से चल रहा है। वाहन मालिकों सोनू-मोनू के अनुसार, आरटीओ को हर महीने प्रति गाड़ी ₹5,000 की घूस दी जाती है, साथ ही यातायात पुलिस को भी हिस्सा पहुंचाया जाता है। इतना ही नहीं, एनटीपीसी प्रबंधन की लापरवाही भी इस अपराध को बढ़ावा दे रही है, क्योंकि लोडिंग के बाद किसी भी वाहन को धर्म कांटा में तौलकर भेजने की जहमत नहीं उठाई जाती। नतीजा—हर दिन सड़कों पर मौत बनकर दौड़ती ये ओवरलोड गाड़ियां।
तेलीबांधा पुलिस ने सभी वाहनों को जब्त कर थाने में खड़ा किया और धर्म कांटा में वजन की जांच कराई। तय सीमा से अधिक भार पाए जाने पर कुल ₹1,20,500 का जुर्माना लगाया गया, जिसके भुगतान के बाद वाहनों को छोड़ा गया। अब सवाल यह है कि क्या पुलिस की यह कार्रवाई केवल एक दिखावा थी या वास्तव में परिवहन माफिया और उसमें लिप्त अधिकारियों के खिलाफ ठोस कदम उठाए जाएंगे? ओवरलोडिंग से सड़क दुर्घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन प्रशासनिक तंत्र की नाकामी और भ्रष्टाचार के चलते यह अवैध धंधा बेरोकटोक जारी है। अगर सरकार ने अब भी सख्त कदम नहीं उठाए, तो आम जनता को इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी होगी।
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