पोप बनने की प्रक्रिया क्या है? जानें ईसाई धर्म के इस सर्वोच्च पद के बारे में

पोप बनने की प्रक्रिया क्या है? जानें ईसाई धर्म के इस सर्वोच्च पद के बारे में

पोप फ्रांसिस अस्वस्थ हैं और उनकी हालत गंभीर बनी हुई है. वेटिकन की ओर से जारी आधिकारिक बयान में बताया गया है कि 88 वर्ष के पोप को रेस्पिरेटरी अटैक के बाद ऑक्सीजन पर रखा गया है और ब्लड ट्रांस्फ्यूजन की जरूरत है. ईसाई धर्म (रोमन कैथोलिक) के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस को 14 फरवरी को ब्रांकाइटिस के कारण रोम के अस्पताल में भर्ती किया गया था. बाद में उनके दोनों फेफड़ों में निमोनिया हो गया, जिसके कारण उनकी स्थिति गंभीर होती गई और अभी भी वह खतरे से बाहर नहीं हैं. आइए जान लेते हैं कि पोप कैसे बनाए जाते हैं, इनके काम क्या हैं और इस पद की अहमियत क्या है?

वेटिकन में है पोप का निवास

यूरोप महाद्वीप में स्थित दुनिया के सबसे छोटे देश के प्रशासक पोप होते हैं. इटली के रोम शहर के पास स्थित इस स्वाधीन देश का क्षेत्रफल सिर्फ 44 हेक्टेयर है और लैटिन इसकी राजभाषा है. इस देश की जनसंख्या करीब 800 बताई जाती है, जहां ईसाई धर्म के प्रमुख संप्रदाय रोमन कैथोलिक के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप का निवास है. इसी के कारण यह दुनिया भर में जाना जाता है.

साल 1996 में जॉन पॉल द्वितीय ने तय की प्रक्रिया

बताया जाता है कि साल 1996 में पोप के चुनाव की प्रक्रिया को जॉन पॉल द्वितीय ने संहिताबद्ध किया था. फिर बेनेडिक्ट 16वें ने उस प्रक्रिया को बिना किसी तरह के छेड़छाड़ के बरकरार रखा. इसमें तय किए गए नियमों के अनुसार नए पोप के चुनाव के लिए 80 साल से कम उम्र के कार्डिनल ही वोट दे सकते हैं. इनकी कुल संख्या 115 होती है. पोप के लिए चुनाव वेटिकन सिटी में चैंबरलिन चर्च के देखरेख में सिस्टीन चैपेल में होता है.

पोप बनने के लिए दो तिहाई मत जरूरी

पोप बनने के लिए किसी कार्डिनल को दुनिया भर के कार्डिनल्स के दो-तिहाई मत चाहिए होते हैं. यानी पोप पद के लिए 77 कार्डिनल्स के वोट जरूरी होते हैं. इसके लिए चुनाव में कागज के मत पत्र इस्तेमाल किए जाते हैं. गुप्त मतदान के बाद इन मत पत्रों की गिनती की जाती है. गिनती के लिए तीन-तीन कार्डिनल्स के तीन ग्रुप बनाए जाते हैं. पहला ग्रुप स्क्रूटनियर्स बैलट गिनता है. फिर दूसरा ग्रुप रिवाइजर मतों की दोबारा गिनती करता है. तीसरा ग्रुप इन्फर्मी कहलाता है, जो अन्य कॉर्डिनल्स से बैलट जमा करता है.

भट्टी का धुआं देता है पोप के चयन का संकेत

इस चुनाव में हर कार्डिनल दिन में चार वोट डालते हैं. स्क्रूटनियर कार्डिनल मत पत्रों को गिनकर दूसरी प्लेट में रखते हैं. साथ ही यह भी सुनिश्चित करते हैं कि सभी कार्डिनल्स ने वोट डाल दिए हैं. मतदान के हर चरण के बाद मत पत्रों पर एक खास रसायन डालकर भट्टी में डाला जाता है. भट्टी की चिमनी से काला या सफेद धुआं निकलता है. चिमनी से काला धुआं निकलने का मतलब यह है कि चुनाव प्रक्रिया अभी जारी है. सफेद धुआं निकलने से संकेत मिल जाता है कि पोप को चुन लिया गया है.

नए पोप चुने जाने के बाद वह खुद अपने नाम का चयन करते हैं. इसके बाद बैसिलिका की बालकनी में पहुंचते हैं. इसके लिए पोप पहले से तय कपड़े पहनते हैं. हजारों लोग बाहर उन्हें देखने के लिए खड़े होते हैं.

कैथोलिक ईसाइयों के सर्वोच्च आध्यात्मिक नेता

ईसा मसीह के बाद ईसाई धर्म (रोमन कैथलिक) के सर्वोच्च पद को पोप कहा जाता है. पोप का अर्थ है पिता. इनको होली फादर भी कहा जाता है. ये वेटिकन सिटी के राष्ट्राध्यक्ष होने के साथ ही दुनिया भर में फैले 1.2 अरब कैथोलिक ईसाइयों के सर्वोच्च आध्यात्मिक नेता होते हैं. वैसे तो इनके नियमित कामों में रविवार को वेटिकन पहुंचने वाले दुनिया भर के श्रद्धालुओं को संबोधित करना शामिल है. ये उन्हें आशीर्वाद देते हैं. इसके अलावा विदेश दौरे करते हैं. इस दौरान दूसरे देशों के साथ वेटिकन के संबंध बनाते हैं. चर्च के कानूनों का पालन कराते हैं. इसके तहत हर बिशप को रोम जाना अनिवार्य होता है, जिससे वे बता सकें कि उनके डायोसिस में क्या चल रहा है.

कोई भी कैथोलिक जिसका बपतिस्मा हो चुका हो, पोप बनने की योग्यता रखता है. बपतिस्मा पानी के साथ की जाने वाली एक धार्मिक रीति है, जिससे किसी व्यक्ति को चर्च की सदस्यता दी जाती है. वैसे तो पोप का चयन जीवन भर के लिए होता है, पर पोप सेलेस्टीन पंचम और पोप बैनेडिक्ट ने अपनी इच्छा से यह पद छोड़ दिया था. इस पद को छोड़ने की शर्त यही है कि इससे अपनी इच्छा से त्यागपत्र दिया जाना चाहिए.






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