भारत का इकलौता गांव,जहां पर पिछले 5 हजार साल से महादेव हैं यहां के सरंपच

भारत का इकलौता गांव,जहां पर पिछले 5 हजार साल से महादेव हैं यहां के सरंपच

 महाशिवरात्रि पर्व को लेकर पूरे देश में हर्षोउल्लास का माहौल है। देशभर के शिवालय सज-धज कर तैयार हैं और भगवान शिव की पूजा-अर्चना को लेकर भक्त भी आतुर हैं। हर तरफ बम-बम की गूंज हैं। ऐसे में हम आपको एक ऐसे शिवालय से रूबरू कराने जा रहे हैं, जिसका इंतिहास त्रेतायुग से मिलता है। ऐसी मान्यता है कि मंदिर में विराजमान शिवलिंग की स्थापना भगवान श्रीराम के पूर्वजों ने करवाई थी। इस मंदिर से जुड़ा किस्सा भी ऐतिहासिक है। जिस गांव में भगवान महादेव विराजमान हैं, वहां कभी पंच-सरपंच का चुनाव नहीं हुआ। यहां के प्रधान महादेव हैं।

पंच और सरपंच की कमान

ये मंदिर हरियाणा के कैथल जनपद के गांव खड़ालवा में स्थित है। ऐतिहासिक महत्ता के साथ-साथ पांच हजार वर्षों से स्वयं भोले शिव शंकर पंच और सरपंच की कमान संभाले हैं। इस धरा पर शिवशंभू को पातालेश्वर और खट्वांगेश्वर के नाम से जाना जाता है। किसी समय में यहां विकसित संस्कृति थी। बाद शकों और हूणों के हमलों ने इस गांव को तबाह कर दिया। इसके बाद यह दोबारा आबाद नहीं हुआ। केवल पांच हजार वर्ष से इस भूखंड पर प्राचीन शिव मंदिर स्थिति है। इन्हीं को इस गांव का पंच और सरपंच माना जाता है।

गांव का इतिहास हजारों वर्ष पुराना

राजस्व विभाग में इस गांव की कृषि और गैर कृषि भूमि है। गांव में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल, धर्मशाला, सहकारी बैंक, अस्थायी बस स्टेंड, गौशाला, पुरुष-महिलाओं के अलग स्नान गृह, दो सडक़ें, गलियां और ग्रामीण परिवेश से जुड़ी विभिन्न सुविधाएं हैं। लेकिन गांव में न कोई स्थायी दुकान है न कोई पूर्णत रिहायशी मकान। गांव का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। खुदाई के दौरान आज भी पुरानी दीवारों के अवशेष, मिट्टी के बर्तन, औजार, मिट्टी की चूडिय़ां और मानवीय जन जीवन से जुड़ी वस्तुओं के अवशेष मिलते हैं।

मतदाता सूची में केवल एक मतदाता

ग्रामीणों का कहना है हरियाणा प्रदेश में सितंबर माह में पंचायती राज चुनाव हुए। पंच, सरपंच, ब्लाक समिति और जिला परिषद के चुनावी समर में अनगिनत भावी उम्मीदवार उतरे। लेकिन खड़ालवा में पंच और सरपंच की चौधरी को लेकर चुनावी शंखनाद नहीं हुआ। ग्रामीण बताते हैं कि इस गांव की मतदाता सूची में केवल एक मतदाता है। इस गांव में आजादी के बाद से ही प्राचीन शिव मंदिर की देखरेख में रहने वाले केवल साधु समाज के लोग मत बनवाते हैं।

भगवान राम की वंशावली रघुवंश जुड़ा है संबंध 

पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव का संबंध भगवान राम की वंशावली रघुवंश जुड़ा है। राज काज का परित्याग कर रघुवंश के राजा खटवांग ने गांव खड़ालवा में भगवान शिव की आराधना करते हुए मोक्ष की प्राप्ति की थी। समय के साथ-साथ हुए बदलाव ने सभ्यता को तो धुंधला कर दिया। लेकिन शिव की पौराणिक महत्ता कभी कम नहीं हुई। मंदिर का निर्माण पटियाला के महाराज ने करवाया था। मंदिर में मुगलों ने हमला किया पर कभी शिवलिंग के पास भटक नहीं पाए।






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