महाकुंभ महाशिवरात्रि को आस्था भव्यता, दिव्यता और अलौकिकता के साथ सम्पन्न हुआ,विश्व व्यापी महाकुंभ में श्रद्धालुओं ने देश विदेश से आकर संगम में डुबकी लगाई ,अपनी आस्था प्रकट कर अध्यात्मिक संतुष्टि से सारोबार हुए,ऐसा आयोजन जों स्वस्फूर्त था ,आपार जन समूह संगम तट पर एकत्रित हुआ,66 करोड़ श्रद्धालुओं ने साबित कर दिया की आस्था सर्वोपरि है,सहिष्णुता और समरसता इसकी पूरक हैं। सनातन धर्म को जितनी कोशिशें बदनाम करने की, कि जाती है उससे ज्यादा सघन दुष्प्रचार महाकुंभ के लिए किया गया,व्यवस्थाओं के नाम पर छद्म विरोध शुरू हुआ, जिसका उद्देश्य हिन्दू हितों पर घात करना था,चेतना के लिए भाव जागृत हुए ,सुप्त सामाज में अस्मिता की चाह जागी और जागृत सामाज ने स्वर्णिम इतिहास रच दिया,आत्मविश्वास ने आत्मगौरव को अभिभूत करने वाला स्वर्णिम क्षण दिया, स्वर्णिमता - कर्मठता ,धैर्य ,लगन और दूरदृष्टि से आई ,भाव जागृत हुए पर इस भाव के जनक और पोषक दोनों ने कितना दुरूह कार्य किया,धर्म पथ को रोशन करने वालों पर रोज नित नए आघात और आरोंप जिनके लिए महाकुंभ सिर्फ एक मेला था उन्होंने आरोंप लगाया,योगी सरकार ने इसका खूब प्रचार -प्रसार किया अव्यवस्थाएं फैलाई। जिनके लिए कुंभ आस्था का महासमागम था उन्होंने प्रचार किया ,66 करोड़ से भी उपर श्रद्धालुओं को संगम स्नान करवाया,एकात्मकता का प्रतीक महाकुंभ इस बात का प्रमाण है की जाति व्यवस्था की बदनामी सनातनियों के उपर जबरदस्ती थोपी गई है।
आमंत्रण ना मिलने पर महादेव ने भी राजा दक्ष को सजा दी ,धार्मिक आयोजनों में आमंत्रण पुरानी व्यवस्था है,जिसे महादेव भी मानते थे ,अब के नेताओं को लगता है वों परम्पराओं से परे है , चूँकि उनकी आस्था धर्म में नही वोटों में है,उन्होंने श्रद्धालुओं को मतदाता समझने की भूल की धर्म को नीचा दिखाने की हरसंभव कुचेष्टा की,संख्या से लेकर व्यवस्था का फर्जी रुदन श्रद्धालुओं की श्रद्धा देख कंठ अवरुद्ध कर रहा,भ्रमित नेताओं ने भ्रम फ़ैलाने का कुत्सित कर्म किया, गंगा जल को दूषित बताया,स्नान के अयोग्य बताया फिर भी कारवां थमा नही ,जन समुद्र संगम तट पर आया गंगा पवित्रता के आगे नेताओं के अपवित्र वाणी को धराशाई होना ही था,राजनीतिक हैसियत बढ़ाने चले थे ,वाणी की हैसियत गिर गई ,धर्म ध्वजा ऐसी लहराई की पूरा विश्व उसका अनुगामी बन गया,फिरंगियों ने भी स्नान किया, सनातन को आत्मसात किया, वों सात समंदर पार से समझ गए अपने आप को सनातनी रंग में रंग लिया, देश में ही कुछ रंगे सियार हैं,मानव सांड है,लाल नही भगवा रंग देख भड़क जाते हैं ,बदहवास हो बयान देते है सजायापता नेता जों स्वास्थ्य के आधार पर जमानत में है कुंभ को फालतू बता रहे,न्यायालय को उनके बयान का संज्ञान लेना चाहिए ,स्वास्थ्य आधारित जमानत को रद्द करना चाहिए।
मृत्युकुंभ बताने वाली के राज्य में मृत्यु चुनाव होते है ,चुनावी हिंसा बंगाल की पहचान है,तों क्या बंगाल में चुनाव ना हो ,वैसे अपने शब्दों कर्मों की नियती देखने के लिए चुनाव की तैयारी कर लीजिए जल्द चुनाव है बंगाल बिहार में ,भाव शून्य नही जागृत भाव से मतदान होगा,कितना भाग्य और कर्म आपके साथ है ,इसका फैसला होगा ,जिन -जिन को आपतियाँ थी महाकुंभ से उन -उन को अपनी संपत्तियां (वोट ) लुटने का डर था वामपंथी तों स्वघोषित नास्तिक है ,बाकि विपक्षी राजनेता बिना हिन्दू आस्था के स्वघोषित हिन्दू हैं,जिन्हें न हिन्दू धर्म की ,न हिन्दुओं की परवाह है ,समय चक्र बदलता है,धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हिन्दू धर्म का अपमान अब नही चल पायेगा, जागृत सनातनी आपकों सनातन का महत्व समझाएगा, ये चेतना एक दिन में जागृत नही हुई भगीरथी प्रयास का परिणाम है । त्रिपुंड धारी जन नेता को उपासना स्थलों में श्रद्धा नवत देख श्री राम मंदिर ,काशी विश्वनाथ, महाकाल से लेकर अन्य धार्मिक स्थलों का कायाकल्प में शनै: शनै: हिन्दू अस्मिता जगाई भागीरथी प्रयास भागीरथ के संगम तट पर उतर आया एकाकार हो गया, पूरा हिन्दू समाज सहिष्णुता की मिशाल जहां चहुँओर समरसता बही ,प्रयागराज ने दिल खोलकर सबका स्वागत किया, भव्य आयोजन के पुरोधाओ को श्रेय तों मिलेगा ही, हेय के पात्र लोगों की छटपटाहट की वजह यही है,आस्था का सूरज ओजमयी है,अंधकार अधर्म का छटने को है,आस्था ,धर्म ,भक्ति की शक्ति महाकुंभ प्रगटीकरण था जनमानस का ,प्रमाण था उनके सनातनी होने का, जिनकी कर्मठता ने ये ऐतिहासिक उपलब्धि दिलाई उनकी श्रेष्ठता हमेशा कायम रहेगी ,उन श्रेष्ठतमों के ऋणी रहेंगे सदा सनातनी, भगवा लहराएगा ऊँचा ---------------------------सनातनियों ने भगवा चुन लिया
चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल
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