नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) और सूक्ष्म वित्त (Microfinance) लोन देने वाली इकाइयों को बड़ी राहत दी है। अब बैंक इन कंपनियों को अधिक कर्ज दे सकेंगे, क्योंकि आरबीआई ने उनके लिए बैंक वित्त पर लागू जोखिम भारांश (Risk Weight) को घटा दिया है। इसे बैंक और NBFC के लिए बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है।
क्या है यह बदलाव और इसका असर?
आरबीआई के इस निर्णय से बैंकों की ऋण देने की क्षमता में वृद्धि होगी, क्योंकि उन्हें उपभोक्ता ऋण के लिए सुरक्षा निधि के रूप में कम पूंजी अलग रखनी होगी। इससे उपभोक्ताओं को आसानी से ऋण उपलब्ध हो सकेगा और एनबीएफसी व माइक्रोफाइनेंस कंपनियों को भी फंडिंग की बेहतर सुविधा मिलेगी।
पिछले साल बढ़ाया गया था जोखिम भारांश
नवंबर 2023 में, आरबीआई ने एनबीएफसी और माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के कर्ज देने के मानकों को कड़ा कर दिया था। इसके तहत उन सभी एनबीएफसी के लिए, जिनकी बाहरी क्रेडिट रेटिंग के अनुसार जोखिम भार 100% से कम था, उनके कर्ज पर जोखिम भार 25% तक बढ़ा दिया गया था। इससे बैंकों की मुश्किल बढ़ गई थी। उन्हें कंपनियों को दिए जाने वाले लोन पर अतिरिक्त पूंजी अलग रखने की जरूरत पड़ रही थी, जिससे ऋण प्रवाह प्रभावित हुआ था।
क्षेत्रीय ग्रामीण और स्थानीय बैंकों के लिए नियम
आरबीआई ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन सूक्ष्म वित्त ऋणों को उपभोक्ता कर्ज की श्रेणी में नहीं रखा गया है और जो कुछ नियामकीय मानकों को पूरा करते हैं, उन्हें नियामकीय खुदरा पोर्टफोलियो (Regulatory Retail Portfolio - RRP) में शामिल किया जा सकता है। हालांकि, इसके लिए बैंकों को उचित नीतियां और संचालन प्रक्रियाएं लागू करनी होंगी।
इसके अलावा, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB) और स्थानीय क्षेत्र बैंक (LAB) द्वारा दिए गए माइक्रोफाइनेंस ऋणों पर 100% जोखिम भारांश लागू रहेगा।
RBI के फैसले का क्या होगा असर?
इक्रा के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अनिल गुप्ता ने कहा, "इस क्षेत्र में मौजूदा प्रतिकूल परिस्थितियों को देखते हुए यह एक स्वागतयोग्य कदम है। इससे संबंधित कंपनियों को राहत मिलेगी और ऋण प्रवाह में तेजी आएगी।"
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