सूरन की खेती कर कमा रहे लाखों का मुनाफा,जानें बेहतरीन खेती के टिप्स

सूरन की खेती कर कमा रहे लाखों का मुनाफा,जानें बेहतरीन खेती के टिप्स

सूरन की मांग न केवल भारत में बल्कि अरब देशों में भी तेजी से बढ़ रही है, जिससे इसकी खेती एक लाभदायक व्यवसाय बन गई है. पहले इसे गांवों में घरों के पीछे, बगीचों या घूरों के पास थोड़ी मात्रा में उगाया जाता था, लेकिन अब किसान वैज्ञानिक तरीकों से इसकी व्यावसायिक खेती कर रहे हैं .सूरन की खेती से किसान मात्र 7-8 महीने में अपनी लागत का चार गुना तक मुनाफा कमा सकते हैं. यह फसल कम मेहनत में अधिक लाभ देती है. इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसे आवारा पशु नुकसान नहीं पहुंचाते हैं दूसरा इसमें कम रोग और कीट संक्रमण होता है. यह फसल मौसम की मार से भी सुरक्षित रहती है.

अगर किसान सही तकनीकों और उन्नत किस्मों का चयन करें, तो इसकी खेती बहुत ही आसान और फायदेमंद साबित हो सकती है. आमतौर पर फरवरी-मार्च में इसकी बुवाई की जाती है, लेकिन अगर सिंचाई और बीज सामग्री उपलब्ध हो तो इसे किसी भी मौसम में उगाया जा सकता है.

सूरन की बेहतर किस्में

सूरन की खेती करने का सबसे सटीक टाइम फरवरी और मार्च का महीना होता है. साथ ही रेतीली दोमट मिट्टी में इसकी खेती करना ज्यादा लाभदाक होता है. क्योंकी इस तरह की मिट्टी में सूरन के कंदों की वृद्धि तेज होती है. इन सबके अलावा सही मात्रा में बीज और उन्नत किस्मों पर भी ध्यान देने की ज़रूरत होती है. अखिल भारतीय समन्वित कन्द फसल अनुसंधान परियोजना के तहत आन्ध्र प्रदेश कृषि वि.वि. द्वारा विकसित सबसे लोकप्रिय किस्म ‘गजेंद्र’ किस्म है इसके अलावा से कि गजेंद्र एन-15, श्री पदमा, कुसुम, राजेंद्र ओल कोयम्बटूर, और संतरा गाची किस्म  हैं.

सूरन की बुवाई का सही तरीका

सूरन लगाने के लिए पहले खेत को कल्टीवेटर फिर रोटावेटर से भूरभूरा बना लें. और खेत की तैयारी के समय ही इसमें गोबर की खाद को भी मिला लें. इसके बाद दो-दो फीट की दूरी 30 सेंटीमीटर गहरा, लंबा और चौड़ा गड्ढा खोद लें. और फिर इन्ही गड्ढों में ओल के कंदों को  200-400 ग्राम कंद को 60 x 60 सेमी500-700 ग्राम कंद → 90 x 60 सेमी सेमी रोप दें. इस तरह एक एकड़ में 4 हजार गड्ढे खोदने पड़ते हैं.

कंदों अगर छोटा हो तो सीधे बुआई करें और अगर कंदों का आकार 250 से 300 ग्राम की बीच हो तो टुकड़ों में काटकर बोना बेहतर होता है. इसके लिए  20  क्विंटल प्रति एकड़ ओल की कंद की जरूरत होती है. अगर चाहें तो इसको बागों के बीच के हिस्से में भी आसानी से उगा सकते हैं. रोपण से पहले कंदों का उपचार 1 ग्राम बाविस्टीन और 1.5 मिलीलीटर क्लोरोपाइरीफॉस प्रति लीटर पानी में मिलाकर 15 मिनट तक डुबोकर करें.

सूरन की खेती में देखरेख

ओल की फसल के लिए केवल तीन पानी चाहिए. जून के बाद पानी की जरूरत नहीं होती. सूरन का आकार बड़ा होने के लिए उचित देखभाल के साथ-साथ समय पर निराई गुड़ाई जरूर करें.

सूरन से कमाई लाखों में

5 से 6 महीने में ओल के कंद तीन से चार किलो वजन के हो जाते हैं. अगर आप एक एकड़ में ओल की खेती कर रहे हैं तो आपको 150 क्विंटल तक उपज मिल जाएगी. जो बाजार में 3 से 4 हजार रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बिक जाएगी. और आपको 5-6 महीने की इस फसल से 4-5 लाख की आमदनी हो जाएगी. एक एकड़ में ओल की खेती करने पर 1 से डेढ़ लाख का खर्च आता है. जिसको कुल आमदनी में से घटाने के बाद भी आपको 2 से ढाई लाख का शुद्ध मुनाफ़ा हो जाता है.

बागों में लगाएं सूरन

सूरन की खेती को आम, केला और अन्य बागों में इंटरक्रॉप (अंतरवर्ती फसल) के रूप में सफलतापूर्वक किया जा सकता है. खासतौर पर केले के साथ सूरन की खेती काफी लाभदायक होती है. अगर  केले के साथ सूरन की खेती करनी हो, तो केले के पौधों की दूरी 3.6 मीटर × 1.8 मीटर रखनी चाहिए.इस पद्धति में 45 सेंटीमीटर के अंतराल पर सूरन की तीन पंक्तियाँ लगाई जाती हैं.इस तरीके से जमीन का अधिकतम उपयोग होता है और दोनों फसलों से अधिक उत्पादन प्राप्त होता है.इसके आलावा भिंडी, टमाटर, पालक या मिर्च या करेला जैसी सब्जी फसलों के साथ इसे उगा सकते हैं. 






You can share this post!


Click the button below to join us / हमसे जुड़ने के लिए नीचें दिए लिंक को क्लीक करे


Related News



Comments

  • No Comments...

Leave Comments