आम के बढ़िया उत्पादन पाने के लिए बौर लगते ही निपटा लें ये ज़रूरी काम,कम लागत में मिलेगी अच्छी पैदावार

आम के बढ़िया उत्पादन पाने के लिए बौर लगते ही निपटा लें ये ज़रूरी काम,कम लागत में मिलेगी अच्छी पैदावार

आम की फसल को पावडरी मिलड्यू और सूटी मोल्ड से बचाना जरूरी है ताकि बौर सुरक्षित रहे और उत्पादन बढ़े. वैज्ञानिक प्रबंधन तकनीकों जैसे जैविक, कल्चरल और रासायनिक नियंत्रण अपनाएं. समय पर बागों की निगरानी करें और सही उपाय अपनाएं. इससे रोगों का असर कम होगा और आम की गुणवत्ता व उपज बढ़ेगी

आम भारत का प्रमुख फल है, जिसे फलों का राजा कहा जाता है. इसकी व्यावसायिक खेती किसानों के लिए आर्थिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण होती है. आम के उत्पादन में कई जैविक एवं अजैविक कारक प्रभावित करते हैं, जिनमें से पावडरी मिलड्यू एवं सूटी मोल्ड प्रमुख रोग हैं, जो विशेष रूप से बौर (मंजर या फूल)के समय आम की फसल को गंभीर रूप से नुकसान पहुँचा सकते हैं. इन रोगों के प्रभाव को कम करने और स्वस्थ फल उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए उचित रोकथाम और प्रबंधन आवश्यक है.

पावडरी मिलड्यू का प्रभाव और रोकथाम

रोग का कारण

पावडरी मिलड्यू रोग मुख्य रूप से कवक के कारण होता है. यह रोग आम के बौर, पत्तियों और छोटे फलों पर सफेद पाउडर जैसी परत बना देता है, जिससे पौधों की प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया प्रभावित होती है.

लक्षण

बौर पर सफेद पाउडर जैसी परत दिखाई देना.

संक्रमित फूल मुरझाने लगते हैं और गिर जाते हैं.

प्रभावित छोटे फल सूखकर गिर जाते हैं.

पत्तियों पर सफेद फफूंद की परत बनती है, जिससे वे पीली पड़ जाती हैं.

पावडरी मिलड्यू रोग का प्रबंधन कैसे करें?

संस्कृतिगत उपाय: बाग में उचित वायु संचार के लिए पौधों की उचित छँटाई करें और उचित दूरी पर वृक्ष लगाएँ.

जैविक उपाय: नीम का तेल (5ml/L) या लहसुन-नीम-अदरक का अर्क छिड़काव करने से इस रोग की तीव्रता कम हो सकती है.

रासायनिक उपाय

सल्फर आधारित फफूंदनाशी जैसे वेटेबल सल्फर (0.2%) या कैराथेन (0.1%) का छिड़काव करें.

डिनोकैप (0.1%) या ट्रायडिमेफॉन (0.1%) का भी प्रयोग किया जा सकता है.

आवश्यकतानुसार 10-15 दिन के अंतराल पर पुनः छिड़काव करें.

सूटी मोल्ड का प्रभाव और रोकथाम

रोग का कारण:-

सूटी मोल्ड रोग नामक कवक द्वारा होता है. यह रोग मुख्य रूप से चूसक कीटों जैसे कि मिलीबग, एफिड और व्हाइटफ्लाई द्वारा स्रावित हनीड्यू (मीठा पदार्थ) पर विकसित होता है. इस कवक के कारण पत्तियों और बौर पर काले रंग की परत जम जाती है.

लक्षण

पत्तियों, बौर और फलों पर काली परत जम जाती है.

प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया बाधित होती है, जिससे पौधा कमजोर हो जाता है.

फल का रंग और गुणवत्ता प्रभावित होती है.

पत्तियाँ और बौर समय से पहले झड़ सकते हैं.

 

 






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