रायगढ़ : छत्तीसगढ़ की माटी से जुड़े किसान विद्याधर पटेल ने अपनी अनोखी सोच और कठोर परिश्रम से राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है। लैलूंगा विकासखंड के ग्राम कोड़केल के इस प्रगतिशील कृषक को आईआईएचआर बैंगलोर में आयोजित गरिमामय समारोह में “राष्ट्रीय नवाचार किसान सम्मान” से नवाजा गया। केंद्रीय इस्पात एवं भारी उद्योग मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी के हाथों सम्मानित होने वाले श्री पटेल देश के उन आठ किसानों में शामिल हैं, जिन्होंने अपने नवाचार से कृषि क्षेत्र में क्रांति लाई है। खास बात यह है कि छत्तीसगढ़ से इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए केवल श्री पटेल का चयन हुआ, जो पूरे राज्य के लिए गर्व की बात है।
“गेंदा बाबा” के नाम से मशहूर श्री विद्याधर पटेल ने अपनी दूरदर्शिता और आधुनिक तकनीकों को अपनाकर गेंदा की खेती को एक नए आयाम पर पहुंचाया। उन्होंने पॉली बेग तकनीक का उपयोग कर 1.5 लाख गेंदा पौधे तैयार किए और उनकी बिक्री से 30 लाख रुपये की आय अर्जित की। इस तकनीक ने न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया बल्कि क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए भी एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया।
विद्याधर पटेल की इस उपलब्धि के पीछे इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल, अनुसंधान सेवाओं के निदेशक डॉ. विवेक त्रिपाठी, और विस्तार सेवाओं के निदेशक डॉ. एस.एस. टुटेजा का मार्गदर्शन रहा। इसके साथ ही, कृषि विज्ञान केंद्र, रायगढ़ के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. बी.एस. राजपूत, वैज्ञानिक डॉ. मनीषा चौधरी, डॉ. के.डी. महंत, डॉ. के.एल. पटेल, डॉ. के.के. पैंकरा, डॉ. सोलंकी और कृषि विज्ञान केंद्र के समस्त स्टाफ ने इस सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
राष्ट्रीय पहचान की ओर कदम
राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाले विद्याधर पटेल की यह उपलब्धि छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए गर्व का विषय है। यह सम्मान न केवल उनकी मेहनत और नवाचार का प्रमाण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि छत्तीसगढ़ के किसान आधुनिक तकनीकों को अपनाकर कृषि के क्षेत्र में क्रांति ला सकते हैं। गेंदा बाबा की इस सफलता ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि अगर इरादे मजबूत हों, तो मिट्टी भी सोना उगल सकती है!
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