आम और लीची के नए बागों की देखभाल ऐसे करें,होगा अच्छा उत्पादन

आम और लीची के नए बागों की देखभाल ऐसे करें,होगा अच्छा उत्पादन

आम और लीची की उन्नत खेती के लिए सही समय पर उचित कृषि प्रबंधन आवश्यक होता है. विशेष रूप से नए बागों की देखभाल और उन पेड़ों के लिए सावधानी बरतनी आवश्यक होती है जिनमें फूल आने वाले होते हैं. सही पोषण प्रबंधन, सिंचाई, और कीट एवं रोग नियंत्रण के उपाय अपनाकर अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है.

नए बागों की देखभाल: नए बागों में प्रारंभिक देखभाल करना अत्यंत आवश्यक होता है ताकि पौधे स्वस्थ रूप से विकसित हो सकें. इसके लिए निम्नलिखित उपाय किए जाने चाहिए

मल्चिंग हटाना: बाग के चारों ओर की घास-फूस, पुआल या पॉलीथीन की मल्चिंग को हटाकर हल्की जुताई-गुड़ाई करें. इससे मिट्टी में वायु संचार अच्छा होगा और पोषक तत्वों का अवशोषण बेहतर होगा.

खाद एवं उर्वरक प्रबंधन: यदि पौधा एक वर्ष का है, तो निम्नलिखित मात्रा में खाद और उर्वरकों का प्रयोग करें: 50-55 ग्राम डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP), 85 ग्राम यूरिया, 75 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP), 5 किग्रा अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद को पौधे के चारों ओर (कैनोपी के अनुसार) रिंग बनाकर प्रयोग करें. यह मात्रा प्रति वर्ष के आधार पर गुणा करके दी जानी चाहिए.

सिंचाई प्रबंधन

हल्की-हल्की सिंचाई करना फायदेमंद रहेगा. अधिक पानी देने से जड़ सड़न एवं अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.

दीमक नियंत्रण

यदि बाग में दीमक की समस्या है, तो क्लोरोपाइरीफॉस 20 ईसी @ 2.5 मिली प्रति लीटर पानी की दर से मुख्य तने और आस-पास की मिट्टी में छिड़काव करें.

  1. फूल आने वाले पेड़ों की देखभाल: जो बाग निकट भविष्य में फूल देने वाले हों, उनमें निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए:
  2. कीट एवं रोग नियंत्रण
  3. हापर एवं अन्य कीटों के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड (8 SL) @ 1 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
  4. फफूंदजनित रोगों (चूर्णिल आसिता) से बचाव के लिए हेक्साकोनाजोल @ 1 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
  5. यदि मंजर खुलकर नहीं आ रहे हैं, तो घुलनशील सल्फर फफूंदनाशक 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.

रासायनिक छिड़काव से बचाव

एक बार फूल खिलने के बाद किसी भी प्रकार के कीटनाशक या फफूंदनाशक का प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे परागण प्रभावित होता है.

मधुमक्खी पालन

लीची में अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए 15-20 मधुमक्खी कॉलोनी बक्से प्रति हेक्टेयर स्थापित करें. मधुमक्खियों की सहायता से परागण में सुधार होता है और फल लगने की दर बढ़ती है. लीची के बागों में मधुमक्खी पालन से उच्च गुणवत्ता की शहद भी प्राप्त होती है.

फूल से फल बनने की अवस्था में

सावधानियां: फूल खिलने के बाद से फल बनने तक निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए:

सिंचाई प्रबंधन: इस अवस्था में किसी भी प्रकार की सिंचाई नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इससे फूल झड़ सकते हैं और फल बनने की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है.

रासायनिक छिड़काव से बचाव: इस दौरान किसी भी कृषि रसायन का छिड़काव न करें.

फल झड़ने से बचाव

  1. फल लगने के बाद प्लानोफिक्स @ 1 मिली प्रति 3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
  2. इससे फलों का झड़ना कम होगा और उनकी गुणवत्ता बेहतर होगी.

फल मक्खी एवं अन्य कीट नियंत्रण

आम के बागों में फल मक्खी की समस्या गंभीर हो सकती है. मिथाइल यूजीनॉल फेरोमोन ट्रैप @ 15 ट्रैप प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें. इससे कीटों की संख्या में कमी आती है और फल की गुणवत्ता बनी रहती है.

बाग की मिट्टी की देखभाल

  1. फल लगने के बाद मिट्टी को हमेशा हल्का नम रखना चाहिए.
  2. अत्यधिक सूखने से फल गिरने की संभावना बढ़ जाती है.
  3. नियमित रूप से हल्की सिंचाई करें, लेकिन जलभराव से बचें.






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