मुखिया के मुखारी –कौन है वों पिता (नेता ) जिसे औरंगजेब जैसा पुत्र चाहिए ? 

मुखिया के मुखारी –कौन है वों पिता (नेता ) जिसे औरंगजेब जैसा पुत्र चाहिए ? 

क्रूर, कट्टर ,कुलनाशक, बर्बर हत्यारा ------जैसी कुकर्मियों को दी जाने वाली उपमाएं भी जिसके लिए कमतर हों ,उस दुर्दांत आक्रांता की कुख्याति  जों  इतिहास में दर्ज है, जिसने अपने खुद के फरमानों और लिखे अपने इतिहास में अपनी बर्बरता का वर्णन किया ,जिसने जजिया कर लगाया ,कईयों मंदिर विध्वंस किए, तलवार की नोक पर धर्मान्तरण करवाया,सिक्ख गुरु तेगबहादुर का सर कलम करवाया ,साहेबजादों को दीवार में  चुनवाया, संभाजी महाराज को नारकीय प्रताड़ना दे हत्या की, कईयों हिंदूओ को गाजर मुली की तरह काटा,अपने सगे भाईयों का सर कलम कर नजराने में जेल में बंद अपने पिता को भिजवाया, जिस पुत्र के दुर्दांतता से पिता पीड़ित रहा ,ऐसी असुरी प्रवृति के मालिक औरंगजेब के सम्मान में नेता है मैदान में ,जिस प्रवृति को कोई अपने घर में ना स्वीकारें उस दुर्दांत को देश को स्वीकारने कहा जा रहा,विदेशी मुस्लिम आक्रांता इस देश में सिर्फ अपने सीमाओं का विस्तार करने नही आये थे ,उनकी धार्मिक कट्टरता भी उसके मूल में थी,मुगलों से पहले भी कई मुस्लिम आक्रांताओं ने भारत पर आक्रमण किया, शहर लुटे ,मंदिर के खजाने लुटे ,मंदिर तोड़े, ये लूटपाट ऐतिहासिक प्रमाण है, की मुगलों के आने से पहले देश सोने की चिड़िया था,मुगलों ने भी वही किया,उनमें सबसे दुर्दांत औरंगजेब था।

मुस्लिम आक्रांताओं की धर्मान्धता थी की उन्होंने धर्मान्तरण करा वर्तमान बिगाड़ा ,मंदिर तोड़ भूतकाल बिगाड़ा, संभल पर नजर भविष्य बिगाड़ने की, योजना थी ,चोट आत्मा तक पहुंचे इसलिए मथुरा काशी ,अयोध्या का विध्वंस किया ,मस्जिद बनाए भगवानों के विग्रहों को संवेदना रहित हो मस्जिदों के सीढ़ियों के नीचे दबवाया,प्रताड़ना इतनी की आपका आत्मविश्वास मर जाए ,आप दास्ता को मजबूर हो जाए,यदि सिर्फ राज स्थापित करना था तों धार्मिक स्थलों का विध्वंस क्यों ? धर्मान्तरण क्यों ?  इतिहास प्रमाणों से भरे पड़े है फिर भी बेशर्म नेता दुर्दांत औरंगजेब के सम्मान में खड़े है,जब भारत में सब हिन्दू थे मुट्ठी भर सैनिकों के साथ आक्रांता आये थे, तों मुस्लिम धर्म का इतना प्रसार कैसे हुआ? जजिया की मज़बूरी ,कुछ पाने की लालसा और तलवार की नोक पर हुआ धर्मान्तरण कुछ ने मन से भी स्वीकारा होगा ?पर भारत बांग्लादेश ,पाकिस्तान की कुल मुस्लिम आबादी के सांख्यिकी सबूत है उनके धार्मिक कट्टरता का ,औरंगजेब के बचाव में सपा और कांग्रेस सबसे आगे है ,बोटी -बोटी काटने की बात करने वाले औरंगजेबी भक्त इमरान मसूद ,राशिद अल्वी,अबू आजमी, इन तर्कों को बढ़ावा दे रहे, अधिकांश मुस्लिम शिक्षित है,नेता हैं ,आम मुस्लिम मौन सहमति दे रहे ,विरोध के स्वर बहुत मद्धिम है ,जिनके राजनीतिक कद कम हो चुके, ऐसे यदमुल्ला गंधमुल्लाओं से कद्र मिल रही है।

अभद्र हैं सारे, मुस्लिम बहुल कश्मीर में कोई मुख्यमंत्री नही बन सकता, मुस्लिम बहुल सीटों से कोई सांसद ,विधायक पार्षद नही बन सकता,चुने जाने के लिए मुस्लिम होना जरुरी है, AMU, जामिया, 370 के पहले कश्मीर में आरक्षण लागु नही था ,ये इनका दलित प्रेम है ,AMU ,बरेली में हिन्दू होली नही खेल सकते पर इन्हें ब्रज में होली खेलनी है,गुलाल लगाने, प्रसाद खाने संगीत की इस्लाम में मनाही है ,पर इन्हें गरबा खेलना है,अपने महिलाओं पर पाबंदी रखना है,सर्वे भवन्तु सुखिनः में अपना सुख भी तों शामिल है ,वसुधैव कुटुम्बकम हो पर अपने कुटुंब की भी तों रक्षा करनी है,सर्वधर्म समभाव के लिए अपने धर्म के लिए भी भाव तों जरुरी है,सम्मान सबका हो पर क्या इसके लिए अपना अपमान करवाना जरुरी है,सालों से मुस्लिम तुष्टीकरण हो रहा वक्फ बोर्ड ,1991 वर्शिप एक्ट उसके ताजा प्रमाण है,मुस्लिम एक मुश्त वोट देते हैं ये यदि ग्राह्य है तों यही हिन्दुओं का संवैधानिक अधिकार है,फिर क्यों किसी मतदाता के मत को संप्रदायिक कहा जाता है ? चुनावों में मस्जिदों से फतवे कौन ,किसके लिए जारी करवाता है? दलित मुस्लिम ,मुस्लिम यादवों का राजनीतिक समीकरण कौन बनाता है? धर्म जाति आधार पर मत मांगना फिर सबका अधिकार है,क्षुद्र स्वार्थों के लिए सत्ता की चाहत में आफत को बुलावा कौन दे रहा?  एकतरफा सहिष्णुता से संघर्ष टाला नही जा सकता ,अपना अधिकार छोड़ के कौन समर्थ बचा है?देश का बटवारा भी इसी औरंगजेबी मानसिकता ने करवाया,बलात धर्मान्तरित होकर भी लोग कट्टर हो गए ,यदि औरंगजेब सही था तों ये अपमान है ,गुरु तेगबहादुर गुरुगोविंद सिंह का छत्रपति शिवाजी ,संभाजी का और हर उन सनातनियों का उनके पूर्वजों का जिन्होंने इतने अत्याचारों के बाद भी अपना धर्म नही बदला ,जितनी जरूरत आज हर सनातनियों को मुस्लिम आक्रांताओं, औरंगजेब के काले कारनामों को जानने की है, उतनी ही जरूरत गजवा ए हिन्द ,काफिर, गाजी जैसे शब्दों का मतलब समझने की है, राग दरबारियों ,वामपंथी इतिहासकारों ने जों भ्रम फैलाया है, उससे अब निकलना होगा ,सही इतिहास पढ़ना और लिखना होगा,विकास चाहिए तों किसी से "काश" ना कहलवाइए ,समदर्शी न्याय प्रिय बनिए और यदि बनना है औरंगजेब प्रेमी तों फिर औरंगजेबी प्रवृति वाले सारे अवगुणों से भरे पुत्रों के पिता बन जाइए ,सवाल बस एक ही है सोचिएगा थोड़ा ----------------- कौन है वों पिता (नेता ) जिसे औरंगजेब जैसा पुत्र चाहिए ? 

चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल
 

 






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