जैन धर्म में रोहिणी व्रत बहुत विशेष माना गया है. रोहिणी व्रत हर माह पड़ता है. इस तरह से साल में कुल 12 रोहिणी व्रत पड़ते हैं. रोहिणी व्रत रोहिणी नक्षत्र में रखा जाता है.जैन धर्म की मान्यताओं के अनुसार, प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में ये व्रत रखा जाता है. इस दिन व्रत के साथ ही भक्ति भाव से भगवान वासुपूज्य स्वामी जी का पूजन किया जाता है. यह जैन धर्म के प्रमुख व्रत-त्योहारों में से एक है.
कल रखा जाएगा रोहिणी व्रत
पंचांग के मुताबिक, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी आज 6 मार्च को रोहिणी व्रत रखा जाएगा. क्योंकि कल रोहिणी नक्षत्र का संयोग रहेगा. 6 मार्च को रात 12 बजकर 6 मिनट तक रोहिणी नक्षत्र रहेगा. ऐसे में रोहिणी व्रत त्रयोदशी तिथि में मनाना शुभ होगा.
रोहिणी व्रत की पूजा विधि
रोहिणी व्रत का क्या है महत्व?
रोहिणी व्रत जैन समुदाय के लिए बहुत ही महत्व रखता है. ये व्रत लगातार तीन, पांच या सात साल तक अवश्य किया जाता है. इस व्रत को महिलाएं और पुरुष दोनों ही रख सकते हैं. महिलाएं रोहिणी व्रत अपने पति की लंबी उम्र और सुख-शांति के लिए रखती हैं. महिलाओं के लिए ये व्रत रखना अनिवार्य भी माना गया है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रोहिणी व्रत रखने से आत्मा के विकार दूर होते हैं. ये व्रत कर्म के बंधनों से मुक्ति दिलाता है. माना जाता है कि जो श्रद्धापूर्वक रोहिणी व्रत रखते हैं उनके सभी प्रकार के दुख और दरिद्रता दूर हो जाती है. घर में माता लक्ष्मी का आगमन होता. साथ ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं.
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