आज के समय में डायबिटीज (मधुमेह) एक गंभीर समस्या बन चुकी है, खासकर भारत में, जहां इस बीमारी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। एक बार डायबिटीज हो जाए तो इसे पूरी तरह ठीक करना मुश्किल होता है, लेकिन खानपान में बदलाव और नियमित व्यायाम से इसे कंट्रोल किया जा सकता है।आयुर्वेद में कुछ ऐसी जड़ी-बूटियां बताई गई हैं, जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करती हैं। इन्हीं में से एक है गुड़मार, जिसे 'मधुनाशिनी' भी कहा जाता है। यह औषधीय पौधा डायबिटीज के मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
गुड़मार क्या है और यह कैसे काम करता है?
गुड़मार मुख्य रूप से भारत के मध्य और दक्षिणी हिस्सों में पाया जाता है और यह एक लता के रूप में बढ़ता है। इसकी खासियत यह है कि इसकी पत्तियां चबाने पर मीठे स्वाद की अनुभूति खत्म हो जाती है, जिससे मीठा खाने की इच्छा कम हो जाती है। यही कारण है कि इसे 'मधुनाशिनी' यानी "मिठास को नष्ट करने वाली" कहा जाता है। गुड़मार ब्लड शुगर कंट्रोल करने में बेहद प्रभावी माना जाता है। इसमें मौजूद जिम्नेमिक एसिड शरीर में ग्लूकोज के अवशोषण को कम करता है, जिससे शुगर लेवल स्थिर रहता है। यह पैंक्रियाज में इंसुलिन उत्पादन को बढ़ाने में भी सहायक होता है, जिससे टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों को खासा फायदा होता है।
डायबिटीज ही नहीं, वजन और कोलेस्ट्रॉल को भी करता है कंट्रोल
गुड़मार सिर्फ डायबिटीज ही नहीं, बल्कि वजन घटाने में भी मदद करता है। यह मेटाबॉलिज्म को तेज करता है, जिससे शरीर में जमा अतिरिक्त चर्बी कम होती है। इसके अलावा, यह कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स को नियंत्रित करने में भी प्रभावी माना जाता है, जिससे हृदय रोगों का खतरा कम होता है।आयुर्वेद में इसे चूर्ण या पत्तियों के रूप में सेवन करने की सलाह दी जाती है। गुड़मार पाउडर को गर्म पानी या गुनगुने दूध के साथ लेने से बेहतर परिणाम मिलते हैं। हालांकि, इसे इस्तेमाल करने से पहले किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है। अगर आप भी डायबिटीज या बढ़ते वजन से परेशान हैं, तो गुड़मार को अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं। यह एक प्राकृतिक उपाय है, जो आपके स्वास्थ्य को सुरक्षित और बेहतर बनाए रखने में मदद कर सकता है।
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