अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर पहली बार वंदे भारत एक्सप्रेस की पूरी कमान महिलाओं को मिली है। इस दिन का उद्देश्य समाज में उनके साथ होने वाले भेदभाव और असमानताओं के खिलाफ जागरूकता फैलाना है।
महिलाएं आज शिक्षा, विज्ञान और कई क्षेत्रों में सफलता हासिल कर नई ऊंचाइयों को छू रही हैं। महिला दिवस को खास बनाने के लिए कई स्टेशनों पर 'ऑल विमेंस क्रू' मेंबर ट्रेन चला रही हैं। अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर पहली बार वंदे भारत एक्सप्रेस की पूरी कमान महिलाओं के जिम्मे है।
क्षत्रपति शिवाजी महराज टर्मिनस से रफ्तार भरने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस की पूरी कमान महिलाओं के हाथों में रहने वाली है। इसके अलावा भी कई और ट्रेनें हैं जो केवल महिलाएं ही आज संचालित कर रही हैं। ट्रेन की लोको पायलट, असिस्टेंट लोको पायलट, ट्रेन मैनेजर, टिकट एक्जामिनर से लेकर कैटरिंग स्टॉफ तक सभी महिलाएं शामिल है। इस ट्रेन की कमान संभालेंगी एशिया की पहली महिला लोको पायलट, सुरेखा यादव और सहायक लोको पायलट सुनीता कुमारी होंगी।
कौन हैं सुरेखा यादव?
58 वर्षीय सुरेखा यादव कई मायनों में एक नई मिसाल हैं। पश्चिमी महाराष्ट्र क्षेत्र के सतारा की रहने वाली सुरेखा यादव ने अपनी उपलब्धियों के लिए अब तक राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार जीते हैं। सुरेखा यादव, जो भारत ही नहीं बल्कि एशिया की पहली ट्रेन ड्राइवर हैं। मार्च 2023 में सुरेखा भारत की सेमी-हाई स्पीड वंदे भारत एक्सप्रेस चलाने वाली पहली महिला बनीं. सुरेखा के नाम इसके अलावा भी कई और रिकॉर्ड हैं। उन्होंने भारतीय रेलवे में इतिहास रचते हुए पुरुष-प्रधान इस क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाई।
देश में कई ऐसे स्टेशन हैं जहां की पूरी कमान महिलाओं के ही हाथों में है। वहां का हर काम महिलाओं के हाथों मे ही है। महिला दिवस के खास मौके पर राज्य और केंद्र सरकार के अलावा कई ऑफिस रेलवे, फ्लाइटों का संचालन महिलाएं ही कर रही हैं। आज के समय में महिलाएं हर क्षेत्र में आगे हैं।
सुरेखा यादव के बारे में मुख्य बातें:



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