कबीरधाम : छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले के परसवारा ग्राम पंचायत में हाल ही में सम्पन्न पंचायत चुनाव में निर्वाचित महिला जनप्रतिनिधियों की जगह उनके पतियों ने शपथ ली. इससे राज्य में हड़कंप मच गया.इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद सरकार ने पंचायत सचिव को सस्पेंड कर दिया है.
महात्मा गांधी की ग्राम पंचायत की परिकल्पना
महात्मा गांधी चाहते थे कि ग्राम पंचायतें लोगों के सशक्तिकरण और लोकतंत्र में उनकी भागीदारी का इजाफा करें. गांव में सुशासन हो और इसमें महिलाओं की भी भागीदारी हो. महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई, लेकिन इसके बाद भी महिलाओं के अधिकारों पर पुरुषों का वर्चस्व देखने को मिल रहा है.
महिला सशक्तिकरण के प्रयासों पर गंभीर चोट
छत्तीसगढ़ के परसवारा ग्राम पंचायत में महिला निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की जगह उनके पतियों ने शपथ ली. महिला सशक्तिकरण के प्रयासों पर इस घटना ने गंभीर चोट पहुंचाई है. छत्तीसगढ़ में पंचायत चुनाव में महिलाओं के लिए 50% आरक्षण का प्रावधान है, लेकिन इसके बावजूद महिलाओं की जगह उनके पतियों ने शपथ ली.
छिड़ी बहस
सरकार ने इस घटना के लिए पंचायत सचिव को जिम्मेदार मानते हुए सस्पेंड कर दिया है. अधिकारियों के अनुसार, इस मामले की शुरुआती जांच में पंचायत सचिव की लापरवाही साबित हुई है. उधर, इस घटना के बाद कांग्रेस और बीजेपी के बीच राजनीतिक बहस छिड़ गई है. कांग्रेस ने इसे महिलाओं के सशक्तिकरण पर चोट बताया, जबकि बीजेपी ने दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है.
महिला सशक्तिकरण की दिशा में प्रयास
महिला सशक्तिकरण के लिए सरकारें लगातार प्रयास कर रही हैं. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में संज्ञान लिया है और एक समिति का गठन किया है, जिसने कठोर दंड देने का सुझाव दिया है. महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए समाज में मानसिकता में बदलाव की जरूरत है. जब तक मानसिकता में बदलाव नहीं होगा, तब तक पंचायती राज की वास्तविक अवधारणा को जमीन पर उतारने का सपना अधूरा ही रहेगा.
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