International Womens Day 2025 : अब नारी नहीं रही अबला,टर्म इंश्योरेंस रिपोर्ट ने चौंकाया

International Womens Day 2025 : अब नारी नहीं रही अबला,टर्म इंश्योरेंस रिपोर्ट ने चौंकाया

नई दिल्ली : भारत में महिलाएं, तेजी से अपनी वित्तीय सुरक्षा की जिम्मेदारी उठा रही हैं। इसका पता इस बात से चलता है कि टर्म इंश्योरेंस खरीदने वाली लगभग 44 प्रतिशत महिलाएं अब एक करोड़ रुपये या उससे अधिक का कवर चुनती है। 

टर्म लाइफ इंश्योरेंस में महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि

आंकड़ों से पता चलता है कि निवेश से जुड़ी पालिसियों, स्वास्थ्य बीमा और टर्म लाइफ इंश्योरेंस में महिलाओं की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। पालिसी बाजार के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि यह बदलाव वित्तीय निर्णय लेने में व्यापक परिवर्तन का हिस्सा है, जो कार्यबल में अधिक भागीदारी और डिजिटल वित्तीय उपकरणों तक बढ़ती पहुंच से प्रेरित है।

गृहिणियां भी किसी के कम नहीं

आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में टर्म इंश्योरेंस खरीदने वाली महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़कर 18 प्रतिशत हो गई है। इसमें वेतनभोगी महिलाएं 49 प्रतिशत के साथ सबसे आगे हैं। इसके बाद गृहिणियों का स्थान है जो 39 प्रतिशत है। 31-40 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं ने सबसे ज्यादा टर्म इंश्योरेंस खरीदा है और महिलाओं द्वारा खरीदे जाने वाले टर्म इंश्योरेंस में इनकी हिस्सेदारी 48 प्रतिशत है।

स्वास्थ्य बीमा में पालिस प्रस्तावकों के तौर पर महिलाओं की भागीदारी पिछले ये सालों में 15 प्रतिशत से बढ़कर 22 प्रतिशत हो गई है, जो वित्तीय जागरूकता में वृद्धि को दर्शाता है। इस खंड में अधिकांश महिलाएं उच्च कवरेज का विकल्प चुन रही हैं।

70-75 प्रतिशत 10 लाख रुपये या उससे अधिक की बीमा राशि चुन रही हैं। 40 वर्ष से अधिक आयु की महिलाएं बढ़ती चिकित्सा लागत को देखते हुए एक करोड़ के कवरेज को अधिक किफायती मानती हैं और इसके लिए वह सुपर टाप-अप प्लान का उपयोग कर रही हैं। यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (यूएलआइपी) में कुल निवेश का 19 प्रतिशत अब महिलाओं द्वारा किया जा रहा है।

पिछले वर्ष 8.9 करोड़ महिलाएं श्रम बाजार से बाहर रहीं 

  1. पिछले छह सालों के दौरान जहां शहरी महिलाओं के रोजगार पाने की दर में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
  2. वहीं, 2023-24 में 8.9 करोड़ से अधिक शहरी महिलाएं श्रम बाजार से बाहर रहीं चेन्नई स्थित ग्रेट लेक्स इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट द्वारा भारत का लैंगिक रोजगार विरोधाभास' जारी रिपोर्ट में शिक्षित महिलाओं के कौशल के कम उपयोग और विविधता के प्रति प्रतिक्रिया के बढ़ते जोखिम सहित दबाव वाली चुनौतियों की भी चेतावनी दी गई है।
  3. यह रिपोर्ट आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण और समय उपयोग सर्वेक्षण के द्वितियक डेटा के विश्लेषण पर आधारित है।
  4. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत व्यक्तिगत पसंद या सामाजिक मनदंडों की बाधाओं के कारण 1.9 करोड़ से अधिक स्नातक और शिक्षित शहरी महिलाओं के कौशल का उपयोग करने में विकल रहा है।

घर खरीदने वाली महिलाओं की संख्या 14 प्रतिशत बढ़ी

हाल के वर्षों में महिलाओं के बीच संपत्ति एक अच्छा निवेश विकल्प बनकर उभरी है। यही कारण है कि पिछले वर्ष आवासीय संपत्ति खरीदने वालों में महिलाएं पुरुषों से आगे रही हैं। रियल एस्टेट मार्केटप्लेस स्क्वायर यार्ड्स की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, कैलेंडर वर्ष 2004 के दौरान देश के आठ प्रमुख शहरों में 1.29 लाख आवासीय संपत्तियां केवल महिलाओं के नाम पर पंजीकृत हुई है और इसमे वार्षिक आधार पर 14 प्रतिशत की वृद्धि रही है। 2023 में 1.14 लाख आवास महिलाओं के नाम पर पंजीकृत हुए थे। 

पिछले वर्ष संयुक्त (महिला और पुरुष) रूप से आवास पंजीकरण में सात प्रतिशत की गिरावट रही है। हालांकि, कुल पंजीकरण आवासों में यह अभी भी शीर्ष पर है और इस श्रेणी की कुल 40 प्रतिशत हिस्सेदारी रही है। 2024 के दौरान केवल पुरुषों के नाम पर 2.13 लाख आवास पंजीकृत हुए है और इसमें 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

 






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