तेलंगाना में हाल ही में संपन्न हुए एमएलसी चुनावों में बीजेपी की शानदार जीत और कांग्रेस की करारी हार ने राज्य की राजनीति में नए समीकरण पैदा कर दिए हैं।
2023 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने भारत राष्ट्र समिति (BRS) से सत्ता हासिल की थी, लेकिन दो साल के भीतर ही उसकी लोकप्रियता में आई गिरावट कई महत्वपूर्ण राजनीतिक संकेत दे रही है।
राज्य में बीआरएस लगातार कमजोर हुई है। उसके कई विधायक कांग्रेस के साथ जुड़ चुके हैं और विधानसभा स्पीकर ने मामले को लटका रखा है। दूसरी तरफ बीजेपी राज्य में लगातार खुद को तेजी से स्थापित करती जा रही है। मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और कांग्रेसी मंत्रियों के जबरदस्त प्रचार के बावजूद बीजेपी ने तीन में से दो सीटें जीत लीं और तीसरे पर निर्दलीय को कामयाबी मिली। कांग्रेस, बीजेपी के हाथों अपनी एक सीट भी गंवा बैठी।
तेलंगाना में कांग्रेस की तेजी से बढ़ती अलोकप्रियता की क्या वजह हो सकती है-
1.तेलंगाना में कांग्रेस सरकार की ओर से दमदार शासन का अभाव!
तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद जनता को जिस बड़े बदलावों की उम्मीद थी, शायद उसे शासन में उस तरह से अपेक्षित सुधार नहीं दिख रहे हैं। विकास कार्यों में सुस्ती और प्रशासनिक फैसलों में कथित पारदर्शिता की कमी भी कांग्रेस की अलोकप्रियता की बड़ी वजह हो सकती है।
2.कांग्रेस की आंतरिक कलह
कांग्रेस में गुटबाजी कोई नई बात नहीं है। मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के नेतृत्व पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले दावेदारों के असंतोष ने भी संभवत:पार्टी की चुनौती बढ़ाई है। इससे बीजेपी को अपनी पकड़ मजबूत करने का मौका मिला है।
3. मुख्य विपक्षी दल की कमजोरी
तेलंगाना के एमएलसी चुनाव परिणाम को देखने से लगता है कि बीआरएस (भारतीय राष्ट्र समिति) की लगातार गिरती लोकप्रियता और कांग्रेस के अंदरुनी खींचतान का फायदा बीजेपी ने उठाया है। बीजेपी ने खुद को मजबूत विपक्ष के रूप में स्थापित कर लिया है और इसे जनता का समर्थन भी मिलने लगा है।
तेलंगाना एमएलसी चुनाव में बीजेपी की बड़ी जीत के मायने ?
1.2028 विधानसभा चुनाव के लिए महत्वपूर्ण: बीजेपी की यह जीत संकेत देती है कि वह 2028 के विधानसभा चुनावों के लिए मजबूत दावेदारी पेश करने के लिए तैयार है। एमएलसी चुनाव में दो सीटों पर जीत ने राज्य में पार्टी का आत्मविश्वास बढ़ाया है। कर्नाटक के बाद यह दक्षिण भारत का दूसरा ऐसा राज्य है, जहां वह कभी भी चौंकाने का उम्मीद पाल सकती है।
2. लोकसभा चुनाव से मिली मजबूती: 2024 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने तेलंगाना में पहली बार आठ सीटें जीतकर सत्ताधारी कांग्रेस की बराबरी की। वहीं, उसका वोट शेयर भी विधानसभा के 14% से बढ़कर 35.35% हो गया था। यह दिखाता है कि तेलंगाना की जनता अब तेजी से बीजेपी को एक विकल्प के रूप में देखने लगी है।
3.बीआरएस की कमजोरी का फायदा: बीआरएस, जो कभी तेलंगाना की राजनीति में प्रमुख ताकत थी, अब कमजोर पड़ चुकी है। लोकसभा चुनावों में उसे एक भी सीट नहीं मिली और उसका वोट शेयर भी घटकर 16.7% रह गया। इससे बीजेपी को खुद को एक मजबूत विपक्षी पार्टी के रूप में पेश करने का अवसर मिला है।
Comments