विश्व ग्लूकोमा सप्ताह का शुभारंभ: जागरूकता और समय पर जांच से बचा जा सकता है दृष्टिहीनता

विश्व ग्लूकोमा सप्ताह का शुभारंभ: जागरूकता और समय पर जांच से बचा जा सकता है दृष्टिहीनता

बेमेतरा टेकेश्वर दुबे:- कलेक्टर रणबीर शर्मा के निर्देशानुसार और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. यशवंत कुमार ध्रुव के आदेश पर बेमेतरा जिले में 9 से 15 मार्च 2025 तक ‘विश्व ग्लूकोमा सप्ताह’ मनाया जा रहा है। इस सप्ताह का उद्देश्य ग्लूकोमा के बारे में जागरूकता फैलाना और समय पर जांच कराकर दृष्टिहीनता से बचाव करना है। इसका उद्घाटन जिला चिकित्सालय बेमेतरा में किया गया, जिसमें डॉ. स्वाती यदु, डॉ. विजया रमन राहायक, विजय कुमार देवांगन, दीपा शर्मा, दीपक साहू, और हाशिम खान सहित स्वास्थ्य कर्मी, मरीज और उनके परिजन उपस्थित रहे।

इस वर्ष का थीम है: "ग्लूकोमा मुक्त विश्व के लिए एकजुट होना", जिसके तहत जिले के सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर जागरूकता अभियान और जांच शिविरों का आयोजन किया जा रहा है।

ग्लूकोमा: धीमी गति से बढ़ने वाली अंधत्व की बीमारी

डॉ. यशवंत कुमार ध्रुव ने बताया कि ग्लूकोमा (कौंचबिंद) आंखों में एक स्थिति है जिसमें आंखों का तनाव धीरे-धीरे बढ़ता है और ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंचाता है, जिससे नजर धीरे-धीरे चली जाती है। सही समय पर इसका उपचार कराने से दृष्टिहीनता से बचा जा सकता है। नोडल अधिकारी डॉ. भेखराम साहू ने बताया कि 40 वर्ष से अधिक उम्र के सभी व्यक्तियों को नियमित रूप से अपनी आंखों की जांच करानी चाहिए। ग्लूकोमा के लक्षणों में आँखों के चारों ओर रंगीन गोले दिखना, आँखों में दर्द और रोशनी का कम होना शामिल है। अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए, तो यह अंधत्व का कारण बन सकता है।

जांच और उपचार से दृष्टि बचाने की अपील

जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अशोक कुमार बसोड ने कहा कि ग्लूकोमा का समय पर पता चलने पर इसे बढ़ने से रोका जा सकता है। यदि सही समय पर उपचार किया जाए, तो बची हुई दृष्टि को बचाया जा सकता है। उन्होंने सभी नागरिकों से अपील की है कि 40 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को नेत्र विशेषज्ञ से नियमित रूप से अपनी आंखों की जांच अवश्य करानी चाहिए।






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