अटल जी ने अटल सत्य बोला था -चिंगारी का खेल बुरा होता है,गिरधर गोमांग के एक मत से विश्वास मत हारने वाली बाजपेई सरकार से ज्यादा मत की महत्ता कोई नही समझता सकता , मत के लिए चिंगारी से रोज खेल हो रहा समय अनुकूल ना हो तों लोग साथ छोड़ देते है,यहां तों हांथ का साथ रोज छुट रहा,वक्तव्य बदलने की मज़बूरी है, गैर जरुरी बयानों से रोज छिछा लेदर हो रहा,संभल कुंभ, औरंगजेब भारतीय कप्तान पर दिए गए वक्तव्यों से दुरी बनाने की नाकाम कोशिश हो रही,शोभायात्राओं पर पथराव के बाद भारतीय क्रिकेट टीम के जश्न की रैली पर पथराव बता रहा कि बिगड़ैल उदंडता की ओर अग्रसर है ,राजनीतिज्ञ अपने चिंगारी के खेलों में मस्त है,छत्तीसगढ़ में भी चिंगारी का खेल जारी है,जनभावनाओं की उपेक्षा अपने और अपनों के लिए आपार अपेक्षा ने पुरानी कांग्रेस सरकार को स्वेच्छाचारी बनाया,स्वेच्छाचारिता ने भर्ष्टाचार को जन्म दिया, घपले घोटालों में लंदी फंदी आपार बहुमत की सरकार चुनाव में उस पार पहुँच गई, सत्ता से दूर विपक्षी तमगा पहन ली, भर्ष्टाचार के आरोपों से सारे सत्ता के केंद्र और कर्णधार घिरे, घिरते ही जा रहे ,कुछ जेल पहुँच गए, कुछ जेल के मुहाने पर खड़े है, छवि राजनीतिक ,सामाजिक धूमिल हुई पर अकूत सम्पत्ति के मालिक बने बैठे है।
भाजपा इन्ही आरोपों के साथ चुनाव मैदान में उतरी, जनता ने पुरानी सरकार को रुखसत किया ,भाजपा सत्तासीन हुई, पर सीन छत्तीसगढ़ का कुछ बदल नही रहा ,छत्तीसगढ़ियों ने भाजपा को विधानसभा से लेकर शहर और गाँवो की सत्ता तक बिठा दिया, पर व्यवस्था नही बदल रही,दावें सुशासन के चल रहे तों जीत पर जीत मिल रही,दावें सिर्फ दांवे ही ना रह जाए, उपेक्षा अपेक्षाओं की खुमारी सत्ता की उतार देती है, पता आपकों भी है पुरानी सरकार के भर्ष्टाचारों की जांच कब तक चलेगी ? क्या कभी कोई कार्यवाही होगी ? सुशासन में बेबसी का कैसा ये आलम है, की स्वास्थ्य मंत्री कह रहे क्या अफसरों को टांग दू ?कब किस सरकार ने किस भर्ष्टाचारी को टांगा है ? लालू यादव जैसे सैकड़ो उदाहरण है,अफसरों को टांगिए मत ,ना किसी ने ये कहा है, ना किसी को ये आपसे अपेक्षा है, बस कार्यवाही कर दीजिए । भर्ष्टाचारी अधिकारी बिना बजट के कर रहे थे खरीदी वों भी सारे थर्ड पार्टी प्रोडक्टो की ,दागदार जाँच समिति किसने और क्यों गठित की ? अफसरों से तब भी सहानुभूति थी अब भी है क्यों?
जब सरकारें जेनरिक मेडिकल स्टोर खोल रही उन्ही दवाओं का उपयोग करने लाखों रूपये का विज्ञापन दे रही ,तों फिर आप महंगे दरो पर थर्ड पार्टी प्रोडक्ट क्यों खरीद रहे ? खेल सिर्फ ब्रांडेड, जेनरिक, प्रोपेगेंडा, ( थर्ड पार्टी प्रोडक्ट ) का है ज्ञानी बहुत है आपके पास इतना ही ज्ञान उनसे ले लीजिए हाँ पूर्ववर्ती सरकार के नुमाइनदों ,क्रियाकलापो का अनुसरण करना है तों बात अलग है,पर अनुसरण हो नही पायेगा ,जनता देख रही जानकारी उन तक भी पहुँच रही,राजस्व ,वन विभाग में भी भर्ष्टाचार की सुगबुगाहट है ,पर सबसे आगे अभी सरकार की छवि बनाने वाला विभाग है,छत्तीसगढ़ जनसंपर्क और संवाद दोनों में है ,भर्ष्टाचार के किस्से आबाद, विभाग छत्तीसगढ़ का पर कारनामे सब गैर छत्तीसगढ़ियों वाले, विज्ञापनों की बंदरबांट के किस्से पुराने नही हुए थे, कि हिस्से नए बनाने लग गए ,एक तरफ सम्पर्क मध्यप्रदेश का तों दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में होर्डिंग्स लगने लग गए, चिंगारी का ये खेल जनसंपर्क को भारी पढ़े ना पढ़े ,सरकार और भाजपा की छवि पर भारी पड़ेगा, महाकुंभ में छत्तीसगढ़ शासन की भागीदारी थी जिसके लिए एक इवेंट कंपनी को कार्य दिया गया था, कुंभ में खाने और होर्डिंग्स का करीब 52 करोड़ का बिल व्यापक भर्ष्टाचार की कहानी कह रहा है,क्या महाकुंभ के पवित्र आयोजन में सहभागिता के लिए ये आचार -विचार व्यवहार- भर्ष्टाचार का उचित है ? भोजन में आचार हो तों स्वाद है, आचार का ही भोजन बेस्वाद है,पता नही जनसंपर्क संचनालय सरकार का है या इसे व्यापारियों ने प्रायोजित कर रखा है,भर्ष्टाचार की बली पुरानी सरकार चढ़ गई,भंजित खंडित सारे प्रतिमान हो गए फिर भी ना जाने क्यों उसी पथ पर अग्रसर हो रहे, बाबुओं के भरोसे काम हो रहे ,वक्त नही अब चुनावों का केंद्र के इशारे समझिए,छवि सरकार की, भविष्य छत्तीसगढ़ियों का गढ़ना है तों फिर ------------------उन्हीं चिंगारियों का खेल खेलना छोड़िये
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