भारत में पहली बार ट्रेन अपहरण की घटना 6 फरवरी 2013 को छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में हुई थी. यह घटना आज भी लोगों के जेहन में ताजा है, क्योंकि यह घटना न सिर्फ देश में पहली बार ट्रेन हाईजैक होने के कारण चर्चित रही, बल्कि इसके पीछे एक खतरनाक गैंगस्टर का नाम भी जुड़ा था.
कैसे हुई थी ट्रेन हाईजैक?
इस घटना के दौरान, बदमाशों ने जन शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन को हाईजैक किया था. ट्रेन के ड्राइवर और अन्य स्टाफ को बंदूक की नोक पर बंधक बना लिया गया था. बदमाशों ने ड्राइवर से ट्रेन को दूसरी जगह ले जाने का आदेश दिया था. ट्रेन में लगभग 450 से ज्यादा यात्री मौजूद थे और उन्हें भी अपहरणकर्ताओं के कब्जे में लिया गया था. यह ट्रेन दुर्ग से बिलासपुर जा रही थी.
प्रीतम सिंह का खतरनाक प्लान: गैंगस्टर के बेटे ने की साजिश
इस हाईजैकिंग की साजिश एक कुख्यात गैंगस्टर के बेटे ने रची थी. गैंगस्टर उपेंद्र सिंह के बेटे, प्रीतम सिंह उर्फ राजेश ने अपने पिता को छुड़ाने के लिए यह खतरनाक कदम उठाया. उपेंद्र सिंह, जो कि एक अपराधी था, उस समय बिलासपुर सेंट्रल जेल में बंद था. उसे दुर्ग कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के लिए लाया गया था.
प्रीतम सिंह ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर यह साजिश रची थी. जैसे ही उपेंद्र सिंह की कोर्ट सुनवाई खत्म हुई और पुलिस उसे ट्रेन में वापस बिलासपुर ला रही थी, प्रीतम सिंह ने ट्रेन को हाईजैक कर लिया. उसने रायपुर के पास कुम्हारी रेलवे स्टेशन के पास अपनी योजना को सफलतापूर्वक अंजाम दिया और अपने पिता को छुड़ा लिया.
रेल अपहरण का परिणाम
इस घटना के बाद आरोपियों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि, यह घटना भारतीय रेलवे इतिहास में एक काले अध्याय की तरह दर्ज हो गई, क्योंकि यह पहली बार था जब किसी ट्रेन को अपहरण किया गया था. इस घटना ने यह भी दिखाया कि कैसे अपराधी अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं, और भारत में रेलवे सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए थे.
यह घटना भारतीय रेलवे के लिए एक कड़ी चेतावनी थी, और इसके बाद रेलवे सुरक्षा में कई सुधार किए गए. साथ ही, यह घटना इस बात की भी याद दिलाती है कि कभी भी अपराधी अपने स्वार्थ के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. 6 फरवरी 2013 को हुआ यह अपहरण न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे भारत में एक सनसनी बन गया था.
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