परमेश्वर राजपूत,गरियाबंद/छुरा -आज देश भर में होली का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास पूर्वक मनाया जा रहा है। वहीं हम छत्तीसगढ़ प्रदेश की बात करें तो यहां के वनांचल जिला गरियाबंद के आदिवासी क्षेत्र की बात करें तो यहां होली का पर्व अपने संस्कृति और परंपरा के अनुसार मनाते नजर आए रात में सभी गांव के होलिका दहन स्थान पर एकत्रित होते हैं सभी अपने घरों से एक एक लकड़ी लेकर पहुंचते हैं और पुजा अर्चना कर होलिका दहन किया जाता है। वहीं सुबह से सभी लोग एक-दूसरे के ऊपर रंग डालकर ढोल नगाड़ों की धुन पर नाचते गाते हैं। जिसके बाद सभी नहा धोकर अपने इष्ट देवता की पुजा अर्चना करते हैं इस अवसर पर कुछ आदिवासी परिवार महुआ का फूल को अपने इष्ट देवी देवता पर अर्पित करते हैं। तत्पश्चात अपने घरों में बने व्यंजन को एक दूसरे के घर आदान-प्रदान कर व्यंजन का लुत्फ उठाते हैं। वहीं इस अवसर पर बच्चे,बुढ़े और जवान सभी रंगों में सराबोर नजर आए। तो कुछ युवा डीजे की धुन पर थिरकते नजर आते हैं। और एक दुसरे को गुलाल लगाकर होली की बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित की। यह सिलसिला देर रात तक चलते रहता है वाकई यह दृश्य देखकर लगता है कि लोग एक दूसरे से गिले शिकवे भुलाकर एक रंग में रंग जाते हैं।
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