जैन मुनि ऋषभ सागर जी का प्रवचन: अच्छे कर्मों का फल अवश्य मिलता है

जैन मुनि ऋषभ सागर जी का प्रवचन: अच्छे कर्मों का फल अवश्य मिलता है

परमेश्वर राजपूत, गरियाबंद : गायत्री मंदिर परिसर में आयोजित प्रवचन सभा में जैन मुनि ऋषभ सागर जी ने जीवन में अच्छे कर्मों, विनय, क्षमा और समय के महत्व पर गूढ़ विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि "दूसरों को नुकसान पहुंचाने का विचार स्वयं को ही नुकसान पहुंचाता है, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति को अपने कर्मों का फल स्वयं ही भोगना पड़ता है।"

सज्जन और दुर्जन के कर्मों का स्वभाविक परिणाम

मुनि श्री ने उदाहरण देते हुए समझाया कि सज्जन व्यक्ति का कभी कोई बुरा नहीं कर सकता और दुर्जन व्यक्ति का कोई भला नहीं कर पाता। जिस प्रकार सूर्य का प्रकाश सबको समान रूप से मिलता है, लेकिन बंद आँखों वाले को वह प्रकाश नहीं दिखता, उसी प्रकार सज्जनता और दुर्जनता के अपने परिणाम होते हैं।

समय की सीख: कठिनाइयाँ भी शिक्षक होती हैं

उन्होंने कहा कि समय कई बार हमें कुछ सिखाने के लिए कठिन परिस्थितियाँ देता है। जैसे सोने को तपाकर कुंदन बनाया जाता है, वैसे ही जीवन की कठिनाइयाँ हमें मजबूत और परिपक्व बनाती हैं। हमें परिस्थितियों से भागने की बजाय उनसे सीखना चाहिए।

संबंध निभाने की सच्ची कला

मुनि श्री ने संबंधों की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि "संबंधों से अधिक, संबंध निभाने की भावना महत्वपूर्ण होती है।" उदाहरणस्वरूप उन्होंने कहा कि "जैसे एक पेड़ अपनी छाया सबको देता है, वैसे ही हमें भी दूसरों के प्रति प्रेम और आदरभाव रखना चाहिए।"

विनय और क्षमा की महानता

"विनय में इतनी ताकत होती है कि वह पत्थर को भी पिघला सकता है।" उन्होंने बताया कि जब किसी व्यक्ति के व्यवहार में विनम्रता होती है, तो वह सबसे सम्मान प्राप्त करता है। इसी तरह, "क्रोध करना अपने साथ बुरा करना है और क्षमा करना अपने साथ भला करना" यह सिद्धांत हमें आंतरिक शांति देता है।

अच्छे कर्मों का फल: बैंक खाते का उदाहरण

मुनि श्री ने एक सुंदर उदाहरण देते हुए कहा कि "जिस प्रकार बैंक का कैशियर आपको पैसे तभी देता है जब आपके खाते में धन जमा हो, वैसे ही जीवन में अच्छे परिणाम तभी मिलते हैं जब हमने अच्छे कर्म किए हों।" इसलिए, हमें सतत अच्छे कर्म करते रहना चाहिए, क्योंकि उनका शुभ फल कभी भी मिल सकता है।

श्रद्धालुओं में उत्साह और प्रेरणा

मुनि ऋषभ सागर जी के इस प्रवचन से श्रद्धालु अत्यंत प्रेरित हुए और उन्होंने अपने जीवन में अच्छे कर्मों को अपनाने का संकल्प लिया। उनकी यह अमृतवाणी न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करने वाली थी, बल्कि जीवन को सफल बनाने के लिए एक अमूल्य मार्गदर्शन भी थी।इस अवसर पर प्रमुख रूप से ललित पारख, विकास पारख, मनिष पारख, सुमित पारख, सुरज पारख,मिलेश्वरी साहु, डाक्टर जोशी सहित बडी संख्या में धर्म प्रेमी बंधु और  भगिनी उपस्थित थे।






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