रायपुर: महंत जैसे कांग्रेसी नेताओं की चाहत थी की महादेव सट्टा एप्प की जाँच सीबीआई करे, भाजपा सरकार ने उनके ये अरमान पुरे कर दिए सीबीआई जाँच का दायरा बढ़ा रही आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही हो रही, जाँच आगे बढ़ रही। ख्याति लब्ध शिकारियों के हाथ पांव फुल रहे खुद के शिकार बन जाने के अंदेशे से रातों की नींद गायब है,पूर्व मुखिया नौकरशाह और उनके करीबी संसत में हैं,जाँच की आंच में तप रहे भरी गर्मी में जेल की डेहरी लांगने की आशंका से घिरे ,फूली साँस लिए संरक्षण की चाह में इधर -उधर डोल रहे बदहवासी का आलम ये है की अब अपने बैंक लाकरो को भी मज़बूरी में सीबीआई से खुलवा रहे।
सीबीआई की छापेमारी के बाद 15 हज़ार करोड़ के महादेव ऐप सट्टा घोटाले की तहकीकात तेज हो गई है। गुरुवार को सीबीआई ने 2005 बैच के आईपीएस शेख आरिफ से 7 घंटों तक लंबी पूछताछ की। शेख आरिफ से पहले दौर की पूछताछ में ही उनका आमना-सामना हवलदारों और थानेदारों से कराया गया। यही नहीं उनके ठिकानों से जब्त सामग्री को लेकर भी सवाल-जवाब किये गए है। सूत्र तस्दीक करते है कि महादेव ऐप घोटाले में प्रोटेक्शन मनी वसूले जाने का सुनियोजित नेटवर्क शेख आरिफ ने तैयार किया था।
इसी नेटवर्क पर ASI चंद्रभूषण वर्मा हर माह करोड़ों रुपये बतौर प्रोटेक्शन मनी जिम्मेदार दागी आईपीएस अधिकारियों के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री बघेल और उनके सलाहकार विनोद वर्मा के ठिकानों पर पहुंचाया करते थे। सूत्र यह भी तस्दीक करते है कि छापे की जद में आये तमाम दागी पुलिस पुलिस अधिकारियों को आज बैंकों में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी। उनके रिटर्न एवं आयकर दस्तावेजों में घोषित बैंकों के लॉकरों को खोला जा रहा है।
यह भी बताया जाता है कि सभी को उनके अधिकृत-नाधिकृत आय-व्यय के घोषित-अघोषित बैंक एकाउंट के दस्तावेजों के साथ सम्बंधित बैंकों में हाजिरी देने के निर्देश दिए गए है। उधर गुरुवार को रायपुर के तत्कालीन आईजी शेख आरिफ से घंटों पूछताछ की गई। उनकी पत्नी 2001 बैच की आईएएस शम्मी आबिदी के भी सरकारी अभिलेखों में घोषित बैंकों के लॉकरों की तस्दीक कराई जा रही है।
सूत्र यह भी तस्दीक करते है कि शेख आरिफ दंपति के अलावा 2001 बैच के आईपीएस आनंद छाबड़ा और इसी बैच की उनकी आईएफएस पत्नी शालिनी रैना, 2008 बैच के प्रशांत अग्रवाल एवं 2013 बैच के आईपीएस अभिषेक पल्लव को भी उनसे सम्बंधित बैंकों में लॉकर के दस्तावेजों और चाबी के साथ उपस्थित रहने के निर्देश दिए गए है।
बताया जाता है कि रायपुर-भिलाई के अलावा पुलिस अधिकारियों के पैतृक निवास के बैंकों में वित्तीय लेनदेन, स्वयं एवं परिजनों की समस्त स्रोतों से आय के ब्यौरे की भी पड़ताल की जा रही है। शुक्रवार सुबह साढ़े 10 बजे बैंक खुलने के समय सभी संदेहियों को अपनी उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए निर्देशित किया गया है। यह भी बताया जाता है कि ASP संजय ध्रुव और ASP अभिषेक माहेश्वरी को भी समन जारी कर बैंक में मौजूद रहने के लिए कहा गया है। उधर गुरुवार को सीबीआई मुख्यालय में दिनभर गहमा-गहमी रही।
रायपुर के तत्कालीन आईजी और पूर्व वन मंत्री मोहम्मद अकबर के करीबी शेख आरिफ से आमने-सामने की लंबी पूछताछ के दौरान कई चौंकाने वाले खुलासे हुए है। सूत्र तस्दीक करते है कि शेख आरिफ का एएसआई पूर्ण बहादुर सारखी और संमित मिश्रा से आमना-सामना कराया गया है। इसके अलावा आरक्षक अमित दुबे और हवलदार विजय पांडे से भी शेख आरिफ को रूबरू कराया गया है। प्रोटेक्शन मनी बांटने और उसे ठिकाने लगाने के तौर-तरीकों को लेकर एजेंसियों ने दस्तावेजी सबूतों के आधार पर संदेहियों से लंबी पूछताछ की है।
सूत्र तस्दीक करते है कि महादेव ऐप के अलावा विभिन्न थानों और ACB-EOW में दर्ज FIR के खात्मे-खारिजी के लिए शेख आरिफ ने 1 करोड़ तक की मोटी रकम वसूली थी। उनके कार्यकाल में FIR दर्ज कराने, धारा हटवाने-कटवाने-जोड़ने का रेट तय था। उनके आय के स्रोतों की बानगी हवलदारों और थानेदारों के द्वारा दर्ज कराये जा रहे बयानों से सामने आ रही है। सूत्र यह भी तस्दीक कर रहे है कि 1994 बैच के आईपीएस जीपी सिंह के प्रकरण में 2 किलों सोना प्लांट कर षड्यंत्र रचने के मामले में भी पुलिसकर्मियों ने अपना मुँह खोला है।
उन्होंने तस्दीक कराई है कि अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग कर मोटी रकम कमाने और पुलिस मुख्यालय में अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए शेख आरिफ किस तरह के कार्यों को अंजाम दे रहे थे। जानकारी के मुताबिक दागी आईपीएस अधिकारियों द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय और DOPT द्वारा आय के स्रोतों से सम्बंधित अभिलेखों का पालन नहीं किये जाने और समय-समय राज्य सरकार कों आय के स्त्रोतों की जानकारी नहीं उपलब्ध कराने को लेकर भी पूछताछ के दौरान माथापच्ची चलती रही।
आल इंडिया सर्विस से जुड़ी सरकारी वेबसाइट में इस आईएएस-आईपीएस दंपति की चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा अपडेट और उपलब्ध नहीं होने से पूछताछ में कठिनाइयां भी देखी गई। इन मामलों में शेख आरिफ ने अपना तर्क दिया। बताया जाता है कि आय-व्यय से सम्बंधित कई सवालों पर शेख अनभिज्ञता पूरे समय जाहिर करते रहे, जवाब देने से भी बचते रहे।
लेकिन दस्तावेजी सबूतों को सामने रख सवाल पूछे जाने से बगले भी झांकते रहे। हालांकि मौके पर मौजूद सवालों का आमना-सामना कर रहे हवलदारों और सिपाहियों ने हकीकत बयां करने में देरी नहीं की। महादेव ऐप घोटाले में अपनी सफाई देते हुए उच्चाधिकारियों के फरमानों से उन्होंने जांच अधिकारियों को अवगत कराते हुए अपने बयान भी दर्ज कराये। देश-प्रदेश के धनवान आईएएस-आईपीएस दंपतियों में शेख आरिफ का नाम टॉप-5 में बताया जाता है। छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के अलावा दिल्ली-लखनऊ में भी उनकी नामी-बेनामी सम्पत्तियों के साम्रज्य सुर्ख़ियों में है।
सूत्र यह भी तस्दीक करते है कि शेख आरिफ से पहले दौर की पूछताछ ख़त्म होते ही रायपुर के तत्कालीन एसएसपी एवं आईजी प्रशांत अग्रवाल और आनंद छाबड़ा से भी ऐसी ही पूछताछ के आसार जाहिर किये जा रहे है। दरअसल, दागी पुलिस अधिकारी अपने अर्दली-गनमैन और अन्य पारिवारिक सदस्यों के सहयोग से मोटी नगदी ठिकाने लगाया करते थे।
ऐसे चिन्हित सिपाही-हवलदारों का कालाचिट्ठा एजेंसियों के पास मौजूद है, उसी की निशानदेही पर जारी पूछताछ में ही प्रोटेक्शन मनी वसूले जाने और उसे ठिकाने लगाए जाने के कई अहम सुराग एजेंसियों के हाथ लगे है। फ़िलहाल, सीबीआई मुख्यालय में संदेहियों से जारी पूछताछ को लेकर गहमा-गहमी देखी जा रही है। हालांकि विवेचना से जुड़े तथ्यों और बैंकिंग प्रक्रिया को लेकर सीबीआई की ओर से अभी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है।



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