राजस्थानी संस्कृति से हुई गणगौर पूजा व विसर्जन समाज की युवतियों-सुहागिनों में छलका उत्साह

राजस्थानी संस्कृति से हुई गणगौर पूजा व विसर्जन समाज की युवतियों-सुहागिनों में छलका उत्साह

अंतागढ़ : आज राजस्थान के लोक पर्व गणगौर नगर के राजस्थानी (मारवाड़ी) समाज की महिलाओं और युवतियों द्वारा बड़े ही धूमधाम से नाचते-गाते हर्षोल्लास के साथ झांकी व रैली निकाल कर ईश्वर-पार्वती (गणगौर) के मूर्तियों का विसर्जन किया गया।
 
बतादें की होली के दूसरे दिन से  लेकर लगातार 16 दिनों तक चलने वाले इस पारंपरिक रस्म के अंतिम दिवस आज समाज की महिलाएँ व युवतियां  ईश्वर - पार्वती (गणगौर) की पूजा अर्चना कर एवं  रैली व झांकी निकाल कर नगर के नदी में विधिवत विसर्जन किया गया। 16 दिनों तक चलने वाले इस रस्म में 8 दिन कच्ची 8 दिन पक्की गणगौर की पूजा होती है  शीतलाष्टमी को गणगौर का पूजन करने वाली समाज की युवती और महिलाएं पक्की गणगौर बनाने के लिए कुम्हार के घर मिट्टी लेने जाती है और इसके बाद कच्ची मिट्टी को गणगौर ईश्वर-पार्वती का स्वरूप देकर उनका श्रृंगार करती है एवं आगामी 8 दिन तक उनकी पूजा की जाती है. प्रत्येक सुबह महिलाएं और युवतियां बगीचे में जाकर दूब लेकर आती है और गणगौर की पूजा करती है.

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नवविवाहिता और युवतियां जोड़े बना कर सज धज कर और गीत गाकर 16 दिन तक ईश्वर पार्वती (गणगौर) की पूजा अर्चना करती है. गणगौर पूजन के दौरान नव विवाहित युवतियां और महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए गणगौर माता का पूजन करती है. वहीं कुंवारी लड़कियां अपने-अपने लिए अच्छे वर की कामना के लिए गणगौर की पूजा करती है। अंत में पूरे विधी विधान के साथ समाज की महिलाएँ नाचते गाते ईश्वर -पार्वती (गणगौर)  के मूर्तियों का विसर्जन कर कार्यक्रम का समापन करती है।

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