भारतीय खाद्य निगम रायगढ़ में भ्रष्टाचार अलग स्तर पर,कलेक्टर का निर्देश भी नहीं मानती एफसीआई

भारतीय खाद्य निगम रायगढ़ में भ्रष्टाचार अलग स्तर पर,कलेक्टर का निर्देश भी नहीं मानती एफसीआई

रायगढ़ : भारतीय खाद्य निगम रायगढ़ ने भ्रष्टाचार अलग स्तर पर है। अपनी गलती का ठीकरा कभी राइस मिलर्स पर तो कभी गोदाम प्रभारियों पर डालकर एफसीआई मैनेजर मजे ले रहे हैं। इस बार तो हद हो गई। राज्य वेयर हाउस गोदाम के एक प्रभारी ने एफसीआई की मनमानी के विरोध में उसना चावल नहीं लेने का फरमान सुना दिया है। एफसीआई रायगढ़ में चावल शॉर्टेज की जिम्मेदारी को दूसरे के सिर पर डालने की परंपरा रही है। जिले में एफसीआई अरवा और उसना दोनों चावल ले रही है। सामान्यत: एफसीआई का चावल केंद्रीय वेयरहाउस कॉर्पोरेशन के गोदामों में जमा होता है। इस बार एफसीआई के रायगढ़ मैनेजर और सीडब्ल्यूसी प्रभारी ने बेहद चालाकी से उसना चावल जमा करने के लिए औरदा गोदाम को अधिकृत कर लिया।

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उसना चावल में नमी ज्यादा होती है, इसलिए सूखत भी ज्यादा आती है। सूखत की वसूली गोदाम प्रभारी से करने का प्रावधान किया गया है। इसके विरोध में औरदा गोदाम प्रभारी एसके राघव ने आवाज उठाई है। बताया जा रहा है कि अभी तक उसना चावल में 150 क्विंटल का शॉर्टेज बताया जा चुका है जिसकी वसूली करने के भी निर्देश दिए जा रहे हैं। इस वजह से गोदाम प्रभारी दिवालिया होने की कगार पर है। एफसीआई मैनेजर को पत्र लिखकर एक अप्रैल से उसना चावल लेने से इंकार कर दिया गया है। इस मुद्दे पर दो बार बैठक हो चुकी है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। मामला बेहद गंभीर है जो एफसीआई के सिस्टम को सामने ला रहा है। उसना चावल जमा और परिदान के समय नमी का परीक्षण नहीं किया जाता।

स्टेक में सबसे ऊपर की बोरियां सबसे ज्यादा सूखती हैं लेकिन उसका सैम्पल नहीं लिया जाता। जमा और भुगतान के बीच में 1 से डेढ़ प्रतिशत नमी का अंतर आ रहा है लेकिन एफसीआई सिर्फ 0.2 प्रश ही मान्य करता है। इस वजह से बाकी की सूखत को वेयरहाउस मैनेजर के कोटे में डाला जा रहा है। इसकी व्यक्तिगत वसूली करने के नियम से मैनेजर की आर्थिक स्थिति खराब हो रही है। इसलिए एसडब्ल्यूसी औरदा मैनेजर ने उसना चावल नहीं लेने की जानकारी एफसीआई को दी है।

कलेक्टर का निर्देश भी नहीं मानती एफसीआई

उसना चावल वाले मुद्दे पर कलेक्टर कार्तिकेया गोयल के समक्ष भी चर्चा की गई थी। कलेक्टर ने एफसीआई को कुछ अहम निर्देश दिए थे, लेकिन एफसीआई ने इसे माना ही नहीं। खाद्य अधिकारी ने भी एफसीआई को इस बारे में हिदायत दी थी। वेयरहाउस मैनेजर से व्यक्तिगत वसूली होने के कारण मामला बिगड़ गया है।

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