मुखिया के मुखारी – हम तों  मौन नही रहेंगे...हर राज खोलेंगे 

मुखिया के मुखारी – हम तों  मौन नही रहेंगे...हर राज खोलेंगे 

02 अप्रैल 2025 : पुरुषार्थ का ह्रास हो तों शत्रु बलिष्ठ हो जाते हैं ,यदि ह्रास स्वजनित हो तों हीनता घेरती है ,कर्तव्य बोध से दूर कर जीत को असंभव बनाती है,छत्तीसगढ़ के राजनीतिक पुरुषार्थियों के पुरुषार्थ की दशा ऐसी ही है की उनकी दिशा बिगड़ गई है,राजा कच्चे कान का हो तों उसकी प्रसाशनिक क्षमता उसे सफलता नही दिला पाती, राजा निष्प्रभावी और चाटुकार प्रभावी ,राजा की मुहर से चाटुकार अपने निर्णयों का फरमान जारी करते हैं,जब राज चाटुकारों का हो जाता है ,तों राजा निस्तेज हो झंझावातों में घिर जाता है, राजा पथभ्रष्ट हो जाए तों टके शेर भाजी, टके शेर खाजा अंधेर नगरी,वाला राज ,राजा को ही अँधेरे में कैद कर देता है, यही हो रहा पूर्व मुखिया आरोपों से त्रस्त हैं ,वर्तमान वाले अनिर्णय से ग्रस्त हैं,मंत्री निगम मंडलों में पदाधिकारियों की नियुक्तियां सरकार गठन से  लेकर आज तक लंबित हैं, जब अपनों को ईनाम देने में इतना सोच विचार हो रहा तों फिर आरोपियों को सजा देने के लिए मन कहां कड़ा होगा ,पुरानी सरकार के कौवें कोयल बन पदों पर बैठे हैं , कका के कागों में कोयल की कुहुक सिर्फ सरकार ही सुन रही,छत्तीसगढ़ियों के लिए तों वों काले काग ही हैं, जिनके राजनीतिक आका चील थे जिन्होंने भ्रष्टाचार की सड़ाँध मांस खाई ,तिजौरियों में अपने भरी जिसकी बदबू से पूरा छत्तीसगढ़ हलाकान है ।

पस्त ,मस्त नेता ही हैं,त्रस्त जनता है,जाँच हो रही पर गति उसकी कछुए से भी मंथर है,जाँच अधिकारी आरोपी बन गए पर पुलिस मुख्यालय ना कोई कार्यवाही कर रहा,ना कारण बताओं नोटिस जारी कर पा रहा ,इसका कारण तों ,कारण को भी समझ नही आ रहा होगा ,नामजद आरोपी  खुलेआम घूम रहे फिर आप नए आरोपी बना रहे,पुराने आरोपों पर कार्यवाही क्या हुई ? जों नए आरोपों से तीर नए मार लेंगे या CD कांड वाला ही परिणाम दोहराएंगे  ? पुलिस और अभियोजन दोनों राज्य सरकार के विभाग, महाधिवक्ता कार्यलय में बड़े -बड़े धुरंधर फिर भी न्यायालय में सब धराशाई ,इनके धुल धूसरित हार की वजहें तों होंगी,क्या इन परिस्थितियों का सरकार को भान नही  ? नेता ,नेता की पीठ खुजायेंगे तों क्या पुलिस वाले दोस्ती नही निभाएंगे ? कुछ चुनिदा आरोपी जेल में बंद है,पर चुनिदा लोग आज भी परम वैभव के साथ बयान बीर बने बाहर घूम रहे ,हर घोटालों के खुलासे के साथ ही सबकों पता था की इनमे संलिप्प्त्ता किसकी कौन है आका ,फिर भी सरकार और जाँच एजेंसियां आज तक तार ही ढूंढ रही,भला हो CBI और ED जैसी केन्द्रीय एजेंसियों का जिन्होंने छापे मारे कार्यवाहियां तेज की इन छापों के दौरान जब हो रहे थे हंगामे तों छत्तीसगढ़ पुलिस क्यों तमाशाबीन बनी खड़ी थी ?  ये वही पुलिस है जिसने प्रदर्शन किसानों, शिक्षकों ,कर्मचारियों ,संगठनों,आदिवासी, दलित ,महिला आंदोलनों सहित विपक्षी दलों के प्रदर्शनों पर लाठियां बरसाई ,तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष नंद कुमार साय प्रदर्शन करते राजधानी की सड़कों पर पुलिस की लाठियों से ही घायल हुए थे,क्या छापे के दौरान प्रदर्शन करने वालों की हैसियत साय जी से बड़ी थी  ? या वों कोई पुनीत कार्य कर रहे थे,जिसकी वजह से सरकार की सहृदयता बढ़ी है ,पुराने घपले घोटालों की जांच की नीयत कैसी है और उसकी नियती क्या होगी ?

ताजे CGMSC घोटाले से समझिए ,जिसमे सिर्फ अधिकारियों ,कर्मचारियों की आंशिक संलिप्प्त्ता उजागर हुई है, पूर्व मंत्री आबकारी आदिवासी विधायक शराब घोटाले के लिए जिम्मेदार है ,तों पूर्व स्वास्थ्य मंत्री जों न रहे अब विधायक, उनकी जवाबदारी क्यों नही तय हो रही ? महाराज हैं इसलिए जिन्होंने 15-20 साल पहले औषधि निरक्षकों के रूप में नौकरी की शुरुवात की उनकी CGMSC  में प्रतिनियुक्ति के साथ ही बोलने लगी तूती,हजारों करोड़ के घोटालें यु ही नही हो गए ,कौड़ियों के दाम के दावईयों ,उपकरणों के मोल यु ही करोड़ो में नही लगाए गए,40 % कमीशन जिसमे 5 -5 % के हिस्सेदार सागर ने भी गागर खूब भरा, जब सागर ने गागर में कमीशन की बुँदे भरी तों वों भारी गागर बंगले तक भी पहुंचा,बड़े बंगले ,हीरे जवाहरातों की कीमत बड़े लगा पाएंगे,बड़ा काम है बाबा अभी तों बड़ो पर हम मौन हैं ,छोटे खिलाड़ियों के खेल से अनुमान लगाते हैं ,4 हजार स्क्वायर फीट के कई बंगले अमलेश्वर में  पांच एकड़ जमीन आरंग में, राजनांदगांव में हास्पिटल और काटी पूरी कालोनी, परसदा में खेत ,बिलासपुर में घर दुकान ,मैरिजहाल 2 एकड़ में, गुप्ता जी के नाम पर आरंग में ढाबा ,गुजरात में तीन अपार्टमेन्ट ,दुर्ग में कॉम्प्लेक्स ,बीड़ी गुड़ाखू फैक्टरियों में निवेश , रायपुर से अमेरिका तक नेटवर्क ,मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव से लेकर थोक दवाई दुकानों के मालिकों की मिलीभगत काली कमाई सारी दवाई के धंधे में लगाई, फार्मेसी कॉलेज भी खोल लिया भाईयों ने ,मेडिकल डिवाइस की कंपनी, 9M दवाई कंपनी में हिस्सेदारी की कहानी 72 बार सेम्पल फेल होने के बाद भी 9M ने CGMSC  में दवाई सप्लाई की।

जनकपुर में इनके राज बड़े गहरे हैं,पांडेय ,वर्मा ,चंद्राकर जैसे राजदार ,जमीने बेहिसाब, करोड़ो का लेनदेन राजनीतिक आकाओं से किया ,बताते हैं मोक्षित वाले के दावें बड़े कर्मचारी ,अधिकारी नेता को रखते जेब में सबकों हिस्सेदार कहते ,विधानसभा में प्रश्न यही पुछुवा रहे कहना है इनका,घोटाले कांग्रेस सरकार में भुगतान तब भी लिया और भाजपा सरकार में भी लिया ,सीधे स्वास्थ्य मंत्रियो तक पहुँच बताते हैं ,पहुँच तों बड़ी है जेल की दीवारें फांद कर उनकी कही बाहर आ रही,दिखावा जाँच का न्याय तों नही दिलाएगा, सबूत ही सबूत बिखरे पड़े हैं, एजेंसियां जाँच में उलझी है ,बेनामी निवेश के कागजात बस जाँच एजेंसियों को ही नही मिल रही ,लम्बी है कहानी इतने में समझिए, जरूरत पड़ेगी तों फिर और प्याज के छिलके उतरेंगे ,राज खोलेंगे, सरकार असरकार बनिये, बाबा तों मौन हैं आप मौन मत रहिये क्योकि----------------------------------------------- हम तों  मौन नही रहेंगे...हर राज खोलेंगे 

चोखेलाल

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मुखिया के मुखारी व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल की टिप्पणी 








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