असम में पहले भी एनडीए ने विधानसभा और लोकसभा चुनावों में दमदार प्रदर्शन किया. इसके बाद अब राभा हसोंग की जीत ने उनकी ताकत को और बढ़ा दिया है.
उधर, कांग्रेस की करारी हार ने पूरे राज्य में एक अलग तरह का माहौल बना दिया है. भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने असम के राभा हसोंग स्वायत्त परिषद के चुनावों में 36 में से 33 सीटें जीतकर राज्य में भगवा लहरा दिया है. असम राज्य चुनाव आयोग द्वारा घोषित परिणामों के अनुसार, कांग्रेस, आदिवासी परिषद की सिर्फ एक सीट जीतने में सफल रही है. बीजेपी ने 6 सीटें जीतीं, जबकि उसकी सहयोगी पार्टी राभा हसोंग जौथो संग्राम समिति ने 27 सीटें जीतीं और 2 निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी चुनाव जीता है. शुक्रवार को आए इस नतीजों ने असम की सियासत में हलचल मचा दिया है.
असम में फिर भगवा, सीएम ने जताई खुशी
इस जीत पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने खुशी जताते हुए जनता का आभार व्यक्त किया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा, "असम में एक और भगवा लहर! राभा हसोंग स्वायत्त परिषद के लोगों का दिल से धन्यवाद, जिन्होंने एकजुट होकर पीएम मोदी जी की कल्याणकारी नीतियों, खासकर स्वदेशी समुदायों के लिए, को समर्थन दिया. एनडीए ने 36 में से 33 सीटें जीतीं."
कांग्रेस को मिली सिर्फ एक सीट
एनडीए की इस बड़ी जीत ने साफ कर दिया कि असम में हिमंत बिस्व सरमा और उनकी पार्टी का दबदबा अब भी कायम है. बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने मिलकर कांग्रेस को करारी शिकस्त दी है.. जहां हिंदू बहुल इलाकों में एनडीए का जलवा दिखा, वहीं कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा. उसकी स्ट्राइक रेट महज 0.02% रही, यानी 36 में से सिर्फ एक सीट जीत पाई. चुनाव के नतीजों ने बीजेपी की ताकत को फिर से साबित किया है. पार्टी कार्यकर्ताओं में जश्न का माहौल है, और लोग इसे असम में भगवा लहर की वापसी बता रहे हैं. दूसरी ओर कांग्रेस के लिए ये एक बड़ा झटका है. पार्टी की हार के बाद उसके नेता चुप्पी साधे हुए हैं, और कार्यकर्ताओं में मायूसी छाई है.
क्या है राभा हसोंग स्वायत्त परिषद चुनाव?
राभा हसोंग स्वायत्त परिषद चुनाव असम में होने वाला एक स्थानीय चुनाव है, जो राभा हसोंग स्वायत्त परिषद (Rabha Hasong Autonomous Council - RHAC) के लिए आयोजित किया जाता है. ये परिषद असम सरकार द्वारा 1995 में बनाई गई थी, ताकि राभा समुदाय और आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों के आर्थिक, शैक्षिक, सामाजिक-सांस्कृतिक और जातीय पहचान के विकास को बढ़ावा दिया जा सके. इसका मकसद राभा जनजाति और अन्य स्वदेशी समुदायों को आत्मनिर्भर बनाना और उनकी संस्कृति को संरक्षित करना है.
किस जिलों में हुआ ये चुनाव?
ये परिषद असम के गोलपारा और कामरूप जिलों में फैली हुई है और इसमें 36 निर्वाचन क्षेत्र (कॉन्स्टिट्यूएंसी) शामिल हैं. इन चुनावों में लोग अपने प्रतिनिधियों को चुनते हैं, जो परिषद में उनकी आवाज बनते हैं और स्थानीय स्तर पर नीतियां बनाने में मदद करते हैं. उदाहरण के लिए, हाल का चुनाव 2 अप्रैल 2025 को हुआ था, जिसमें 4,45,586 मतदाताओं ने 630 मतदान केंद्रों पर वोट डाले गए. नतीजे 4 अप्रैल 2025 को आए, जिसमें एनडीए ने 36 में से 33 सीटें जीतीं.
इस चुनाव में भी आरक्षण?
इस चुनाव में 25 सीटें अनुसूचित जनजाति (ST), 6 महिलाओं के लिए और 11 सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित होती हैं. ये परिषद राभा, बोडो, गारो और हाजोंग जैसे समुदायों का प्रतिनिधित्व करती है, जिसमें राभा समुदाय की बहुलता है. इसका मुख्यालय दूधनोई, असम में है. आसान भाषा में कहें तो ये चुनाव राभा इलाकों के लोगों को अपनी सरकार चुनने का मौका देता है, जो उनके हितों और तरक्की के लिए काम करती है.