नई दिल्ली:वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिल गई है। लोकसभा और राज्यसभा में बिल पर देर रात तक चर्चा की गई। हालांकि विपक्षी सांसदों के विरोध के बावजूद बिल पारित हो गया और इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेज दिया गया है।
अब असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने वक्फ बिल की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
अदालत में याचिका दाखिल कर कहा गया है कि यह बिल मुस्लिम समुदाय के मौलिक अधिकारों का खुलेआम उल्लंघन करते हैं। ऐसा नहीं है कि पहली बार केंद्र सरकार के किसी फैसले के खिलाफ विपक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंचा हो। इसके पहले अनुच्छेद 370, ट्रिपल तलाक समेत कई मु्द्दों पर अदालत का दरवाजा खटखटाया गया।
आइए आपको बताते हैं कि केंद्र के कौन-कौन से विषय सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और उन पर क्या फैसला आया…
अनुच्छेद 370:
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा।
अदालत ने निर्देश दिया कि चुनाव आयोग को सितंबर 2024 तक जम्मू और कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने के लिए कदम उठाने चाहिए।
अदालत ने यह भी आदेश दिया कि सरकार को जल्द से जल्द जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करना चाहिए।
इलेक्टोरल बॉन्ड:
सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए राजनीतिक चंदा जुटाने पर तत्काल रोक लगा दी थी। अदालत ने इसे असंवैधानिक करार दिया था।
कोर्ट ने एसबीआई को बॉन्ड से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक करने का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इलेक्टोरल बॉन्ड को अज्ञात रखनासूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19 (1) (ए) का उल्लंघन है।
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए):
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए नागरिकता (संशोधन) अधिनियम पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था।
अदालत ने 4-1 के फैसले से सिटिजनशिप एक्ट की धारा 6A की वैधता को भी बरकरार रखा था।
यह मामला अभी भी अदालत में विचाराधीन है।
तीन तलाक:
मुस्लिम महिलाओं (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 2019 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अभी जारी है।
अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा है कि कानून लागू होने के बाद अब तक कितने मामले दर्ज किए गए हैं।
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि कानून में केवल तलाक देने को ही अपराध घोषित कर दिया गया है, जो एक गंभीर सवाल खड़ा करता है।
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