दंतेवाड़ा, 07 अप्रैल 2025 : विगत दिवस मुख्यालय के हाई स्कूल ग्राण्उड में सम्पन्न हुए संभाग स्तरीय ऐतिहासिक बस्तर पंडुम 2025 का आयोजन कई मायनों में गहरी छाप छोड़ गया। बस्तर पंडुम केवल एक महोत्सव नही, बल्कि यह पुरातन आदिम जीवन का समग्र दर्पण था। इस उत्सव ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि जनजातीय समाज ने पीढ़ियों से अपने संस्कृति, लोक नृत्य, संगीत वेशभूषा, खानपान,की विरासत को जीवंत बनाए रखा हैं। कुल मिलाकर बस्तर पंडुम 2025 स्थानीय कला पथक दलों के लिए एक राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर का मंच बन कर उभरा। जहां इन लोक सांस्कृतिक कलाकारों ने अपने लोक संगीत, नृत्य, कलाकृतियां प्रदर्शित कर यह सुनिश्चित किया कि हमारी समृद्ध विरासत अगली पीढ़ी तक पहुंचे।
ये भी पढ़े :मुखिया के मुखारी –बहुमत को तरसाना है,लड़ाकर उन्हें सत्ता पाना हैं
बस्तर पंडुम में सात विधाओं जनजातीय नृत्य, गीत, नाट्य, वाद्य यंत्र, वेशभूषा एवं आभूषण, शिल्प एवं चित्रकला, पेय पदार्थ एवं व्यंजन स्पर्धाओं में विजेता दलों को पुरस्कृत किया गया। इसके अन्तर्गत जनजातीय नृत्य, में कोण्डागांव प्रथम स्थान, दन्तेवाड़ा द्वितीय स्थान, कांकेर का तृतीय स्थान, रहा। इस तरह जनजातीय गीत स्पर्धा में नारायणपुर प्रथम स्थान, कोण्डागांव द्वितीय स्थान, दन्तेवाड़ा को तृतीय स्थान मिला। जनजातीय नाट्य प्रतियोगिता में नारायणपुर प्रथम, बस्तर द्वितीय, दंतेवाड़ा तृतीय, जनजातीय वाद्ययंत्र का प्रदर्शन में कांकेर प्रथम, कोण्डागांव द्वितीय, सुकमा तृतीय, जनजातीय वेशभूषा एवं आभूषण का प्रदर्शन में दन्तेवाड़ा प्रथम, नारायणपुर द्वितीय, बस्तर तृतीय, जनजातीय शिल्प एवं चित्रकला का प्रदर्शन में नारायणपुर प्रथम, दन्तेवाड़ा द्वितीय, बस्तर तृतीय, जनजातीय पेय पदार्थ एवं व्यंजन का प्रदर्शन में बीजापुर प्रथम, सुकमा द्वितीय, नारायणपुर तृतीय स्थान रहा।
ये भी पढ़े :बेंगलुरु में महिला से छेड़खानी पर गृह मंत्री का विवादित बयान
Comments