CGMSC घोटाला कार्यवाही के नाम पर दिखावा 

CGMSC घोटाला कार्यवाही के नाम पर दिखावा 

 

रायपुर :   रसुखदारो ने सत्ता के संरक्षण में छत्तीसगढ़ के जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर दिया और आज भी कर रहे ,जो स्वास्थ्य विभाग जन औषधि केन्द्रों से गुणवत्ता पूर्ण सस्ती दवाइयां खरीदने के लिए आमजनों को प्रेरित करता है, वों खुद अपनी सीख नही मानता है, कौड़ियों के मोल की दवाइयां और उपकरण स्वास्थ्य विभाग की CGMSC ने करोड़ो में खरीदी ,इस खरीदी से छत्तीसगढ़  सरकार को करोड़ो का चुना लगाया गया । स्तरहीन दवाइयों से छत्तीसगढ़ियों के स्वास्थ्य से खेला गया, सत्ता बदल गई पर व्यवस्थाएं आज भी वैसी ही चल रही हैं ,इन भ्रष्टाचारियों के आका तब भी कोतवाल थे आज भी वही कोतवाल हैं,पुरानी सरकार में करीब 2500 करोड़ का ये दवाई और उपकरणों का घोटाला हुआ ,एक रूपये दाम की चींजें 100 रूपये में खरीदी गई, आपूर्ति की गई दवाइयां सामग्री उपकरण अपने निर्धारित आपूर्ति मूल्यों से कई गुना ऊँचे दामो पर CGMSC द्वारा खरीदी गई,यही सामाग्रियां इन्ही आपूर्ति कर्ताओं के द्वारा कम दामों पर आपूर्ति की गई ,कमीशन जैसा तय हुआ वैसे दाम तय कर दिए गए, कानून के हाथ कितने लम्बे होते हैं अभी ये देखने हैं पर इन भ्रष्टाचारियों के हाथ बहुत लम्बे दिख रहे।

ये पहुँच अपनी बहुत बड़ी बता रहे ,आपूर्तिकर्ताओं का भ्रष्टाचार को इस तरह अंजाम दे पाना बिना सरकारी संरक्षण के संभव नही था,इस घोटाले में तत्कालीन मंत्री के संज्ञान में कुछ ना रहा हो ये संभव नही है CGMSC  के IAS एवं अन्य अधिकारियों के साथ कर्मचारियों की मिलीभगत थी ,इन सबकी संलिप्प्ता इन घोटालों में सीधे दिख रही है, CGMSC के अधिकारियों ने बड़े -बड़े बंगले अमलेश्वर में बनवाये ,आरंग में ढाबा और एकड़ो भूमि खरीदी राजनांदगांव में हॉस्पिटल और कालोनी काटी ,ग्राम परसदा में फार्महाउस ख़रीदा ,बिलासपुर में मैरिजहाल और घर बनवाए, दुर्ग में काम्प्लेक्स गुजरात अहमदाबाद में तीन अपार्टमेंट है  । 20 बल्ड बैंको के मालिक है ,9M दवा कंपनी में हिस्सेदारी है, अपने ससुराली रिश्तेदारों के नाम पर बेनामी संपत्तियां एवं बेनामी निवेश है, रायपुर के एक मेडिकल स्टोर चैन एवं थोक दवा बाजार की थोक व्यापारी के यहां इन अधिकारियों ने अपने काले पैसे निवेशित किए हैं, सालों इन्होंने अपने सैलरी अकाउंट से पैसे नही निकाले है तो फिर इनका शाही जीवन चला कैसे ?

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मेडिकल डिवाइस की फैक्ट्री भी इनके पास है चंद्राकर, वर्मा, शर्मा ,पांडेय बारीक़ जैसे अपने निजी मित्रों को सिंडिकेट में शामिल कर ना सिर्फ अवैध वसूली की बल्कि इन्ही के माध्यम से बेहिसाब बेनामी संपत्तियां बनाई हैं, कमीशन की राशि सीधे राजनेताओं एवं उनके निजी सहायकों को पहुंचाई, IAS अधिकारियों ने भी अपना हिस्सा ले अपनी आँखें मूंद ली ,पिछले 8 महीनों से 700 खून जाँच की मशीने रिएजेंट के नाम से बंद पड़ी हैं, जिसके आपूर्तिकर्ता यही भ्रष्टाचारी हैं जिन्हें अभी भी फायदा पहुँचाने की कोशिशे जारी है। आपूर्ति भुगतान घोटालों के साथ चलता रहा ,घोटाले के खुलासे के बाद भी इस सरकार ने भुगतान कर दिया, ज्ञात घोटाले का भुगतान सरकार ने ऐसे ही तो नही किया होगा ?  व्यवस्थाएं कमीशन हिस्सेदारी और घोटाला आज भी जारी है इस घोटाले की जाँच में कुछ आरोपी जेल में निरुद्ध हैं, पर जेल से ही व्यवसाय घोटालों का आज भी संचालित कर रहे ,सुविधा शुल्क इसका ससम्मान इसका माननीयों तक पहुँच रहा ,सिंडिकेट के कई सदस्य आज भी बाहर है, अपनी नौकरियों पे काबिज हैं आपूर्तिकर्ता अपने राजनीतिक संरक्षण का भरपूर दोहन कर रहा,आरिपियो से IAS अधिकारी अपने भंसाली जैसे दूतों से बतिया रहे ,संदेश भिजवा जाँच प्रभावित कर रहे । अधिकारी IAS हैं प्रशासनिक दांव पेच राजनीतिक संरक्षकों के साथ खेल रहे ,आरोपियों को संरक्षण दे रहे ,जितनी भर्राशाही उस सरकार में चल रही थी उतनी इस सरकार में चल रही ,आका तब भी नेता थे आज भी नेता हैं यदि घोटाले की जाँच दिखावा ना होती तो अब तक जाँच एजेंसियों को सारे घोटालेबाजों तक पहुँच जाना चाहिए था ,आलम ये है इन घोटालेबाजों में एक आरोपी सपत्निक स्वास्थ्य विभाग की नौकरी कर रहे खुद आरोपित हैं, पति पत्नी दोनों ने सालों से तनख्वाह बैंक से नही निकाली है फिर भी अभी तक पत्नी से कोई पूछताछ ना जांच हुई है, CGMSC घोटाले की जाँच क्या मात्र दिखावा नही दिख रही ?






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