क्लाइमेट में तेजी से बदलाव हो रहा है, जिसकी वजह से बेतहाशा गर्मी पड़ रही है. भारत में भी हर साल गर्मियां बढ़ती जा रही हैं. यही कारण है कि देशभर में कूलिंग की मांग बढ़ रही है.
शहर से लेकर गांव तक एयर कंडीशनर (AC) की बिक्री बढ़ गई है. जिसके चलते देश की बिजली खपत भी बढ़ रही है. 2021-22 और 2023-24 के बीच सालाना AC की बिक्री 8.4 मिलियन यूनिट से बढ़कर करीब 11 मिलियन हो गई है. कूलिंग की मांग में यह उछाल न सिर्फ बिजली ग्रिड पर भारी दबाव डाल रहा है बल्कि एनर्जी डिफिशिएंसी पर चिंताएं बढ़ा रहा है.
हालांकि, बिजली की खपत की बोझ कम करने के लिए केंद्र सरकार ने अहम कदम उठाया है. सरकार अब एक प्रस्तावित फाइनेंशियल इंसेंटिव स्कीम के साथ आगे बढ़ रही है, जिसका मकसद कंज्यूमर्स को पुराने, ऊर्जा-खपत करने वाले एसी को नए, पांच सितारा रेटेड मॉडल से बदलने के लिए इंसपापर्ड करना है. इस स्कीम का टारगेट घरों के लिए बिजली के बिलों को कम करना, बिजी महीनों के दौरान बिजली ग्रिड पर दबाव को कम करना और भारत के बड़े क्लाइमेट एक्शन गोल्स में योगदान देना है.
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विद्युत मंत्रालय और ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) द्वारा समर्थित यह पहल अभी भी अंडर रिव्यू है, लेकिन उम्मीद है कि इसे इंडियन कूलिंग एक्शन प्लान (आईसीएपी) जैसी लॉन्ग
टर्म नेशनल स्ट्रेटजी के साथ अलाइन किया जाएगा, जैसा कि बिजनेस स्टैंडर्ड ने बताया.
ज़रूरी बदलाव की दिशा में एक अहम कदम
भारत की भीषण गर्मियों में एयर कंडीशनिंग ( AC ) अब एक विलासिता नहीं रह गई है, यह एक ज़रूरत बन गई है. लेकिन भारतीय घरों में ज़्यादातर AC अभी भी 3 स्टार से कम रेटिंग वाले हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2023-24 में इमारतों द्वारा खपत की जाने वाली 500 टेरावाट-घंटे (TWh) बिजली का करीब एक चौथाई हिस्सा कूलिंग के लिए होता है.
ऊर्जा दक्षता ब्यूरो के मुताबिक, पुराने एसी को फाइव स्टार रेटेड मॉडल से बदलने से एक परिवार को बिजली बिल में हर साल ₹6,300 तक की बचत हो सकती है. परिवारों के लिए लागत कम करने के अलावा, इससे नेशनल ग्रिड पर दबाव भी कम होगा, खासकर भीषण गर्मी के महीनों के दौरान.
कैसे काम करेगी यह स्कीम?
जबकि आखिरी फ्रेमवर्क को अभी भी अंतिम रूप दिया जा रहा है. अफसर इस बदलाव को किफायती और काबिल बनाने के लिए मल्टी लेयर्ड नजरिए पर विचार कर रहे हैं.जिनमें रीसाइकिलर्स के माध्यम से बायबैक यानी कंज्यूमर्स अपने पुराने एसी को सर्टिफाइड रीसाइकिलर्स को वापस कर सकते हैं और नई ऊर्जा-कुशल इकाई खरीदते वक्त इस्तेमाल करने के लिए एक सर्टिफिकेट प्राप्त कर सकते हैं.
निर्माता छूट ( Manufacturer discounts): एलजी, वोल्टास, ब्लू स्टार, सैमसंग और लॉयड जैसे बड़े ब्रांड कंज्यूमर्स को अपनी पुराने एसी के आदान-प्रदान पर तत्काल छूट दे सकते हैं.
बिजली बिल में छूट: सरकार इस अपग्रेड को प्रोत्साहित करने के लिए डिस्कॉम के साथ मिलकर बिजली बिलों पर छूट देने की संभावना भी तलाश रही है.
इस पहल में इसे ध्यान में रखा गया
यह स्कीम भारत कूलिंग एक्शन प्लान (ICAP) से नजदीक से जुड़ी हुई है, जो साल 2038 तक देश की कूलिंग ऊर्जा मांग को 40% तक कम करने की उम्मीद कर रही है. चूंकि कूलिंग, एयर कंडीशनर का इस्तेमाल करने की तरह, सदी के मध्य तक भारत के कुल बिजली इस्तेमाल का करीब 30% हिस्सा बनने की उम्मीद है, इसलिए ऊर्जा-कुशल उपकरणों पर स्विच करना बहुत अहम है. यह ऊर्जा बचाने, बिजली के बिल कम करने और क्लाइमेट चेंज से लड़ने और बिजली आपूर्ति को स्थिर रखने के भारत के टारगेट्स का सपोर्ट करने में मदद करेगा.
सरकार ने बातचीत शुरू की
रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने स्कीम शुरू करने से पहले उनका सपोर्ट प्राप्त करने और किसी भी मुद्दे को सुलझाने के लिए प्रमुख एसी कंपनियों से बातचीत शुरू कर दी हैय इन चर्चाओं से अहम बातें तय करने में मदद मिलेगी जैसे कि कितनी छूट दी जाए, पुराने एसी को कैसे इकट्ठा और रीसाइकिल किया जाएगा और पूरी प्रोसेस कैसे सुचारू रूप से चलेगी.
दिल्ली में भी इसी तरह का प्रोग्राम चालू
इस बीच, दिल्ली में BSES द्वारा पहले से ही इसी तरह का प्रोग्राम चलाया जा रहा है, जहां कंज्यूमर 3 स्टार तक की रेटिंग वाले पुराने मॉडल को बदलकर पांच सितारा या इन्वर्टर एसी पर 60% तक की छूट पा सकते हैं. एसी चालू हालत में होना चाहिए, और हर एक बीएसईएस कस्टमर प्रति सीए नंबर तीन यूनिट तक बदल सकता है.
इस स्कीम के तहत, दिल्ली में रहने वाले लोग अपने पुराने एसी को बदलकर नया फाइव-स्टार इन्वर्टर एसी ले सकते हैं और उन्हें इसकी कीमत के बारे में ज़्यादा फिक्र करने की ज़रूरत नहीं है. यह ऑफ़र कंज्यूमर्स को ज़्यादा पैसे खर्च किए बिना ज़्यादा ऊर्जा-कुशल AC पाने में मदद करता है, जिससे उनकी जेब पर ज़्यादा बोझ नहीं पड़ता और बिजली के बिल में भी बचत होती है.
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