कृषि विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने 15 अप्रैल 2025 कृषि भवन, पटना में मुजफ्फरपुर जिले के लक्ष्मण नगर निवासी प्रगतिशील किसान उमा शंकर सिंह से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने सिंह की खेती से जुड़ी नवाचारपूर्ण उपलब्धियों की सराहना की और विभाग की ओर से हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया. किसान उमा शंकर सिंह, जो लगभग 10 एकड़ भूमि पर खेती करते हैं, ने पारंपरिक खेती से हटकर केले, हल्दी, स्वीट कॉर्न और बेबी कॉर्न जैसी उच्च मूल्य वाली फसलों की खेती शुरू की है.
स्वीट और बेबी कॉर्न की खेती से आमदनी में वृद्धि
इन नवाचारों के परिणामस्वरूप उन्हें बेहतर आमदनी प्राप्त हो रही है, और वे अब क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं. उनकी सफलता को देखते हुए सचिव कृषि संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि ऐसे किसानों को प्रोत्साहित करना विभाग की प्राथमिकता है. उनका मानना है कि कृषि में विविधीकरण और मूल्यवर्धित फसलों की ओर बढ़ने से किसानों की आमदनी में उल्लेखनीय वृद्धि संभव है.
मिलेगा अनुदान और तकनीकी समर्थन
सचिव कृषि ने कहा कि विभाग की विभिन्न योजनाओं के तहत उच्च मूल्य वाली फसलों की खेती के लिए किसानों को 75 प्रतिशत तक अनुदान प्रदान किया जाएगा. गरम मौसम के लिए फिलहाल बीज अनुदान की दर बेबी कॉर्न के लिए 50 प्रतिशत या 500 रुपए प्रति किलोग्राम तथा स्वीट कॉर्न के लिए 50 प्रतिशत या 1500 रुपए प्रति किलोग्राम निर्धारित की गई है. इस अनुदान का उद्देश्य किसानों को इन फसलों के प्रति आकर्षित करना और उनकी उत्पादन क्षमता को बढ़ाना है.
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साथ ही, सचिव ने यह भी बताया कि विभाग किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और बाजार से जोड़ने पर जोर दे रहा है. विभिन्न जिलों में किसान इन फसलों की ओर बढ़ते हुए नजर आ रहे हैं और विभाग इन फसलों के लिए उन्हें पूरी सहायता प्रदान करेगा.
राज्य के कृषि परिदृश्य में सुधार की दिशा में कदम
अग्रवाल ने यह भी कहा कि राज्य में फसल विविधीकरण को बढ़ावा देना और किसानों को मूल्यवर्धित कृषि की ओर प्रेरित करना विभाग की प्रमुख प्राथमिकताओं में शामिल है. उनका मानना है कि इससे न केवल
भविष्य में नवाचारों का मिलेगा प्रोत्साहन
अग्रवाल ने यह भी आश्वासन दिया कि कृषि विभाग भविष्य में भी ऐसे नवाचारों को प्रोत्साहित करता रहेगा और किसानों को उन्नत कृषि तकनीकों से जोड़ने का कार्य करता रहेगा. विभाग का उद्देश्य यह है कि किसान न केवल पारंपरिक खेती से हटकर नई विधियों को अपनाएं, बल्कि वे अपनी फसलों की बिक्री और उत्पादन को अधिक लाभकारी तरीके से बढ़ा सकें. यह पहल राज्य के कृषि क्षेत्र को एक नई दिशा देने के साथ-साथ किसानों के जीवनस्तर को सुधारने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है.
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