मुखिया के मुखारी – उठों लाल ----पानी लाई हूँ-----भ्रष्टाचार से सने मेरे तन को धो दों 

मुखिया के मुखारी – उठों लाल ----पानी लाई हूँ-----भ्रष्टाचार से सने मेरे तन को धो दों 

 18 अप्रैल 2025:  उच्चारित एवं ध्वनित शब्दों में अंतर आ जाता था ,जब रेडियो में दो स्टेशन साथ लग जाया करते थे ये फ्रिकवेंशी का मसला था,आज भी मोबाईल के दौर में राम को फोन लगाओं तो लग श्याम को जाता है,आधुनिक तकनीक का दौर भी फुलप्रूफ नही है,तकनीक में भी गलतियाँ होती है तो दावें कैसे फुलप्रूफ हो सकते है ,गलतियाँ संभव है ,छ.ग.सरकार के दावें हैं सुशासन के जीरो टॉलरेंस के पर अब ये सिर्फ वादे लग रहे हैं,कसमें वादे प्यार वफा सब बातें है बातोँ का क्या -------क्या में प्रश्न है जो सरकार से है, क्या उनके सारे दावें वादे से सिर्फ बातों में परिवर्तित हो गए,कोई किसी का नही रे झूठे नाते हैं नातों का क्या वाला रिश्ता सरकार गा रही ,छ.ग. की जनता सुनने को मजबूर हो रही,जनमत ने बहुमत की सरकार बनाई सरकार अपने वादों से मुकर रही, कर्म वही हो रहे जिनसे बदनामियां होती हैं ,सरकारें रुखसत और जनता पीड़ित होती हैं ,जनमत की अपेक्षाओं पर आघात फिर भारी है, फिर भी सुशासन का दावा जारी है ,पूर्ववर्ती सरकार सुशासन के राहों से जब भटक रही थी तो सलाहकारों की भूमिका संदिग्ध लग रही थी, कालांतर में साबित हुआ की पूरी सरकार ही संदिग्ध थी भ्रष्टाचार में संलिप्त थी, सलाहकार के सलाहों से सरकार ने राह नही चुनी थी, सरकार की सलाह ही भ्रष्टाचार की थी,जिन्होंने तब आगाह किया वों बेराह कर दिए गए।

आगाज इन्ही के जेल जाने से हुआ ,घोटालेबाज मजे करते रहे सामूहिक घोटाले होते रहे ,फेहरिस्त लम्बी हो कालिख बन सरकार पर पूत गई, मुखिया भी दुखिया हो गए ,क़ानूनी दावों पेंचों में उलझ गए भ्रष्टाचार की कालिख से हर विभाग रंग गया ,मंत्री ,अधिकारी ,व्यापारी सबने रंगा अपने आपको, छला छत्तीसगढ़ ,जिनसे वर्तमान नही सवंरा वों भविष्य क्या सवांरते, हताशा में डूबे छत्तीसगढ़ियों ने सरकार को ताश की तरह फेंटा, फेंका गुलाम जोकर सब बाहर इक्के का दायरा सीमित हो गया , हुकुम का इक्का मुख्यमंत्री की जगह सिर्फ विधायक बचा और कुछ की ये भी ना बची, सत्ता चली गई बोल नही गए हैं ,छत्तीसगढ़ की तिजोरी लुट अपने सूटकेसों में भरा ,भविष्य ना सुधारा छत्तीसगढ़ का पर अपने सात पुस्तों का सवांर लिया, क्या हुआ जो सत्ता गई पैसा तों अरबों में मिला इन्ही पैसों की गर्मी है राजनीति छत्तीसगढ़ की आज भी इन्ही के हाथों में पड़ी है,उपहार मिला इन घपले घोटालों का आलाकमान जिसके लिए सब सामान घोटाले के आरोपी को राष्ट्रीय महासचिव बना दिया ,जैसा उधो वैसा माधव होना ही था । सिद्धांत ये राजनीति का सत्तारूढ़ दल को भी मानना था पथानुगामी हो गई है ये सरकार भी, वादे सुशासन के उच्चारित आज भी हो रहे पर प्रतिध्वनित दुशासन वाले काज हो रहे, फ्रिकवेंशी गड़बड़ा रही इस सरकार की भ्रष्टाचार के लिए जीरो टॉलरेंस फिर भी भ्रष्टाचार जीरों नही हो रहा है।

क्या अनपढ़ आदिवासी वाले मासूमियत की चादर ओढ़ने की तैयारी है ?  पर ऐसा कोई मंत्री मंत्रिमंडल में नही शामिल है ,भ्रष्टाचारियों ने क्या राह बदल ली या सरकार ने ईमान बदल लिया ? नाम क्या भ्रष्टाचार से ही कमाना है ?  कौन सा ऐसा विभाग जहां नही हो रहा भ्रष्टाचार  ? भ्रष्टाचार का भाग, भागी बन रही सरकार है, अभागी छत्तीसगढ़ जिसके भाग में नही ईमानदार सरकार है ? जमीन मुआवजे का घोटाला कर एसडीएम आरटीओ बन जा रहा ,आरा मिल, कैम्पा, तेंदुपत्ता घोटाले की फेहरिस्त फिर भी वनप्रमुख की हस्ती बढ़ते जा रही है ,जनसंपर्क व्यापक का शिकार है, भ्रष्टाचार अंगीकार है, जलजीवन में ना जल है , ना जीवन, भ्रष्टाचार ही जिनका मिशन है, सुशासन में दवा दारू एक हुए जा रहे, शराब की जाँच हो रही दवा वाले आज भी दे रहे अंजाम नए घोटालों को, जेल से दवा घोटाले की  पुस्तिका में नए पन्ने जोड़े जा रहे ,नए आका ढूंढे जा रहे, नए आकाओं ने ठानी है उन्हें इस सरकार की भी छवि भी बिगाड़नी है ,जाँच एजेंसियां जाँच के दावे कर रही पर मूल को नही पकड़ रही, बिना तनख्वाह निकाले बेहिसाब सम्पत्तियों के मालिक बने इन घोटालेबाजो पर पूरी मेहरबानी है, सत्ता का बट्टा अपने उपर लगा चुकी छ.ग. पुलिस क्या जाँच कर रही क्या उसकी ईमानदारी है ? विभाग रंगे भ्रष्टाचार से सारे क्या उन्होंने अपना रंग उतार दिया ,बारी अब अभियोजन की है, जिसने रोज नई पारी बारी -बारी से जमानत वाली चालू की है, मंत्रियो के नामों की चर्चाए हैं ,तक रहे लोग भी पैसों के पुजारी हैं, दाने अभी कुछ पके है पर पुरानी खिचड़ी भ्रष्टाचार वाली पकाने के पुरे इरादें हैं, पके चावल के दाने क्यों नही दिख रहे?  सुशासन में भी क्या  खिचड़ी ही खानी है ?  खाली मंत्री परिषद की जगहें ही नही ईमानदारी भी खाली है,निगम मंडल के अध्यक्ष जो काम मंत्री नही कर पाए कर लेंगे भ्रष्टाचार को रोक लेंगे ? रुखसती के कर्मों की पुनरावृत्ति हो रही ,सरकार सुशासन के दावे कर रही मिशालें आपकी अपनी बन ना जाए आपके अपने लिए मलाल ,महतारी छत्तीसगढ़ कह रही उठों लाल अब आँखे खोलों, पानी लाई हूँ मुहं धो लो -----------------------------------भ्रष्टाचार से सने मेरे तन को धो दो 

सारांश -उठों लाल ----पानी लाई हूँ-----भ्रष्टाचार से सने मेरे तन को धो दों 

चोखेलाल

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मुखिया के मुखारी व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल की टिप्पणी

 






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