आइब्रो का महत्व
चेहरे की सुंदरता में आइब्रो का एक महत्वपूर्ण स्थान है। सही आकार की भौंहें चेहरे के गुणों को उभारती हैं और आंखों को और भी आकर्षक बनाती हैं। आजकल महिलाएं, चाहे किसी भी उम्र की हों, अपनी ग्रूमिंग के प्रति जागरूक हैं और आइब्रो शेपिंग उनके ब्यूटी रूटीन का एक अनिवार्य हिस्सा बन गई है।आमतौर पर, महिलाएं पार्लर जाकर थ्रेडिंग या वैक्सिंग के माध्यम से आइब्रो शेप करवाती हैं। दोनों विधियां लोकप्रिय हैं, लेकिन इनमें कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं।
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थ्रेडिंग (Threading) क्या है?
थ्रेडिंग एक पारंपरिक तकनीक है, जिसमें कॉटन के धागे का उपयोग करके बालों को जड़ों से निकाला जाता है। यह विधि भारत और मध्य पूर्व में सदियों से प्रचलित है।
थ्रेडिंग के फायदे
1. यह बारीक शेपिंग के लिए बेहतरीन है।
2. इसमें किसी भी रासायनिक पदार्थ की आवश्यकता नहीं होती, जिससे यह संवेदनशील त्वचा के लिए सुरक्षित माना जाता है।
3. यह एक किफायती और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प है।
थ्रेडिंग के नुकसान
1. पहली बार करने पर दर्द महसूस हो सकता है।
2. त्वचा में लालिमा या सूजन हो सकती है।
3. यदि थ्रेडिंग गलत तरीके से की जाए, तो रैशेज या पिंपल्स हो सकते हैं।
वैक्सिंग (Waxing) क्या है?
वैक्सिंग में गर्म या ठंडी वैक्स को त्वचा पर लगाया जाता है और एक स्ट्रिप की मदद से बाल हटाए जाते हैं। हाल के वर्षों में आइब्रो वैक्सिंग काफी लोकप्रिय हो गई है।
वैक्सिंग के फायदे
1. थ्रेडिंग की तुलना में कम दर्द होता है।
2. यह त्वचा की मृत कोशिकाओं को भी हटाती है, जिससे त्वचा चिकनी दिखती है।
3. बालों की वृद्धि धीमी होती है और बाल नरम होते हैं।
वैक्सिंग के नुकसान
1. संवेदनशील त्वचा पर जलन या रैशेज हो सकते हैं।
2. अधिक खिंचाव से त्वचा ढीली पड़ सकती है।
3. गर्म वैक्स से जलने का खतरा होता है।
4. बारीक शेपिंग में कठिनाई हो सकती है।
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