बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे सुप्रीम कोर्ट को लेकर की गई अपनी हाल की टिप्पणियों को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं। विपक्ष उन पर न्यायपालिका पर दबाव बनाने का आरोप लगा रहा है। भारतीय जनता पार्टी ने उनके बयान से खुद को अलग कर लिया है। इसके बाद भी निशिकांत दुबे अपने बयान पर अडिग हैं। अब निशिकांत दुबे ने भारत के 10वें सीजेआई का जिक्र किया है। बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा, ‘क्या आपको पता है कि 1967-68 में भारत के मुख्य न्यायाधीश कैलाशनाथ वांचू जी ने कानून की कोई पढ़ाई नहीं की थी।’ इससे पहले उन्होंने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसवाई कुरैशी को भारत में गृह युद्ध का जिम्मेदार बताया था। आइए अब जानते हैं कौन थे वो सीजेआई, जिसका जिक्र बीजेपी सांसद ने अपनी पोस्ट में किया है।दरअसल, कैलाश नाथ वांचू भारत के दसवें मुख्य न्यायाधीश थे। उन्होंने 12 अप्रैल 1967 से 24 फरवरी 1968 तक इस पद पर काम किया। उनकी सबसे विशेष बात यह थी कि वे भारत के एकमात्र ऐसे मुख्य न्यायाधीश थे जिनके पास कानून की औपचारिक डिग्री नहीं थी। वे भारतीय सिविल सेवा (ICS) के अधिकारी थे और उसी पृष्ठभूमि से न्यायपालिका में आए थे।
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कौन थे कैलाशनाथ वांचू?
वांचू का जन्म 1903 में मध्य प्रदेश में हुआ था। वे अपने परिवार के पहले जज थे। 1924 में उन्होंने भारतीय सिविल सेवा परीक्षा पास की। इसके बाद वे अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के लिए यूनाइटेड किंगडम चले गए। 1926 में वे संयुक्त प्रांत में सहायक मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त हुए और रायबरेली के जिला न्यायाधीश बने। हालांकि, आईसीएस की ट्रेनिंग के दौरान उन्हें क्रिमिनल लॉ के बारे में पढ़ाया गया, जिसे उन्होंने बहुत जल्दी आत्मसात कर लिया। ट्रेनिंग से लौटने के बाद वे उत्तर प्रदेश में कलेक्टर के पद पर काम करने चले गए। वे कलेक्टर के तौर पर भी जाने जाते थे। 1947 में वे इलाहाबाद हाईकोर्ट के कार्यवाहक न्यायाधीश बने। 1956 में उन्हें नए राजस्थान हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
सीजेआई कैसे बने कैलाशनाथ वांचू?
लॉ ट्रेंड की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस वांचू के सीजेआई बनने की कहानी बेहद ही दिलचस्प है। 11 अप्रैल 1967 को तत्कालीन सीजेआई के सुब्बाराव ने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद वांचू को देश का दसवां मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। 24 अप्रैल 1967 को उन्हें देश का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। वे दस महीने तक इस पद पर रहे। 24 फरवरी 1968 को उन्होंने अपने रिटायरमेंट की घोषणा की। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने 355 फैसले सुनाए। जस्टिस मोहम्मद हिदायतुल्लाह ने उनकी जगह ली। निशिकांत दुबे पर होगा एक्शन?
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