वक्फ कानून पर केंद्र का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा:कहा- धार्मिक अधिकार में कोई हस्तक्षेप नहीं

वक्फ कानून पर केंद्र का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा:कहा- धार्मिक अधिकार में कोई हस्तक्षेप नहीं

केंद्र सरकार ने 25 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में नए वक्फ कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं का जवाब दिया. सरकार की तरफ से अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया.इसमें केंद्र ने स्पष्ट किया है कि नए कानूनों से संविधान से मिले मौलिक अधिकारों का उल्लंघन 'नहीं' होगा, इससे केवल वक्फ संपत्तियों के रिकॉर्ड और प्रबंधन की प्रक्रिया को बेहतर किया गया है.

ये भी पढ़े : मुखिया के मुखारी –  धर्मनिरपेक्षता,गोदी मीडिया है हिंदू अस्मिता को तार -तार करने का जरिया 

लाइव लॉ में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया कि वक्फ अधिनियम 1995 के तहत 'वक्फ' को मान्यता मिली हुई है, और यह स्थिति अब भी कायम रहेगी. इसके अलावा नए कानून में 'वक्फ-बाय-यूजर' की धारा को हटाए जाने के विवाद पर सरकार ने स्पष्ट किया कि पहले से पंजीकृत वक्फ भूमियों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.

केंद्र ने यह भी कहा कि एक 'गलत नैरेटिव' फैलाया जा रहा है. अगर कोई वक्फ जमीन 8 अप्रैल 2025 तक पंजीकृत है, तो वह सुरक्षित रहेगी. सरकार ने अपने जवाब में बताया कि पंजीकरण कराना कोई नई शर्त नहीं है. यह 1923 के 'मुसलमान वक्फ अधिनियम', 1954 और 1995 के वक्फ अधिनियमों में पहले से ही मौजूद है.

वक्फ परिषद में गैर मुस्लिम सदस्यों पर क्या कहा?

केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिमों सदस्यों को शामिल करने को लेकर उठ रहे सवालों पर सरकार ने कहा कि केंद्रीय वक्फ परिषद केवल एडवाइज देने का काम करती है न कि जमीनों का प्रबंधन, वहीं राज्य वक्फ बोर्ड के नेचर को सेक्युलर माना जाता है.

सरकार ने अपने जवाब में ये दलील भी दी कि न्यायिक निर्णयों में वक्फ बोर्ड को एक सेक्युलर बॉडी माना गया है, न कि मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था. नया कानून आने के बाद वक्फ बोर्ड की केंद्रीय परिषद में कुल 22 सदस्यों में से अधिकतम 4 गैर मुस्लिम हो सकते हैं. वहीं राज्य बोर्ड में 11 में से अधिकतम 3 गैर मुस्लिम सदस्य हो सकते हैं.

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया था कि क्या हिंदू मंदिरों के ट्रस्ट में मुसलमानों को शामिल किया जा सकता है? अब इसके जवाब में सरकार ने कहा है कि वक्फ को रिलीजियस ट्रस्ट की तुलना में अधिक व्यापक और विकसित माना जाता है. इसके अलावा कुछ राज्यों में हिंदू रिलीजियस ट्रस्ट के लिए कोई विशेष कानून नहीं बनाए गए हैं, इस कारण उन पर सामान्य ट्रस्ट के कानून ही लागू होते हैं.

सरकार ने ये भी कहा कि वक्फ बोर्ड कई बार गैर मुस्लिम की संपत्तियों पर भी अपना अधिकार रखते हैं, इसलिए बोर्ड में गैर मुस्लिमों का होना संतुलन बनाए रखने में मदद करेगा.

सरकार ने कहा कि देश भर में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां वक्फ बोर्ड ने सरकारी संपत्तियों पर अपना दावा किया है. वो भी बिना किसी ठोस दस्तावेजों के. इनमें कलेक्टर ऑफिस, सरकारी स्कूल, ASI-संरक्षित धरोहर और नगर निगम की जमीन भी शामिल हैं. सरकार ने जवाब में कहा कि नए नियम सिर्फ गलत दावों को रोकने के लिए लाए गए हैं.

नए कानून की धारा 2A के प्रावधान के तहत मुस्लिम व्यक्ति द्वारा बनाए गए ट्रस्ट को वक्फ अधिनियम के अंतर्गत नहीं रखा जाएग. सरकार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई फैसलों में इस बात को स्पष्ट किया है.

केंद्र ने यह भी स्पष्ट किया कि उसने कुछ विवादास्पद प्रावधानों पर फिलहाल के लिए रोक लगा दी है. जैसे कि वक्फ बोर्ड में नई नियुक्ति नहीं होगी और पुरानी वक्फ जमीनों पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं होगी. इसके अलावा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि वो अधिनियम के प्रावधानों पर अंतरिम रोक न लगाए क्योंकि संसद द्वारा बनाया गया हर कानून संवैधानिक माना जाता है.अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 5 मई 2025 को तय की है.

ये भी पढ़े :नींबू ने इस किसान की बदली किस्मत, अब लाखों की हो रही है कमाई






You can share this post!


Click the button below to join us / हमसे जुड़ने के लिए नीचें दिए लिंक को क्लीक करे


Related News



Comments

  • No Comments...

Leave Comments