NCW रिपोर्ट में चौंकाने वाले दावे,शासन व्यवस्था पूरी तरह चरमराई, महिलाएं गंभीर सदमे में

NCW रिपोर्ट में चौंकाने वाले दावे,शासन व्यवस्था पूरी तरह चरमराई, महिलाएं गंभीर सदमे में

राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद और मालदा जिलों में हाल ही में हुई बड़े पैमाने सांप्रदायिक हिंसा पर अपनी रिपोर्ट दे दी है। आयोग के अनुसार लोगों का राज्य की पुलिस पर से विश्वास खत्म हो गया है।

इसमें कहा गया है कि मुर्शिदाबाद में शासन व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई। हिंसा के बाद से महिलाएं गंभीर सदमे में हैं। हिंसा के दौरान महिलाओं को लक्ष्य बनाया गया है, उन्हें घरों से जबरन घसीटकर लाया गया। आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य सरकार ने अभी तक इस मामले में कोई कदम नहीं उठाया गया है।

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लक्षित हिंसा में घरों से घसीट कर लाया गया
आयोग की अध्यक्ष विजया राहटकर के नेतृत्व में गए जांच दल ने हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया और पीड़ितों, महिलाओं, युवतियों से उनके दर्द को जाना। पीड़ितों ने आयोग की टीम को बताया कि कैसे उनसे अराजकता और अभद्र व्यवहार किया गया। घरों में घुसकर क्रूरता से हमला किया गया, कुछ मामलों में उन्हें अपनी बेटियों को दुष्कर्म के लिए भेजने के लिए कहा गया। इससे इन महिलाओं पर जो आघात पहुंचा है, उसे शब्दों से परे भी बयां नहीं किया जा सकता है। समिति ने कहा की मुर्शिदाबाद जिले में प्रशासनिक मशीनरी और शासन व्यवस्था का पूरी तरह से समाप्त हो गया है। इलाके में पूर्व खुफिया जानकारी और स्पष्ट तनाव के बावजूद राज्य सरकार निवारक या उत्तरदायी कार्रवाई करने में विफल रही, और मूकदर्शक बनकर पूरे मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 12 अप्रैल को हाईकोर्ट को सौंपी गई रिपोर्ट में भी यह माना गया कि सरकार को इस इलाके में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव की जानकारी थी, किंतु राज्य सरकार अपने नागरिकों को सुरक्षा के लिए अपने संवैधानिक कर्तव्यों को पूरा करने में विफल रही।

पुलिस ने दंगाइयों के प्रति नरम रुख रखा
राष्ट्रीय महिला आयोग ने कहा कि इस पूरे मामले पश्चिम बंगाल पुलिस की भूमिका पर भी जनता ने सवालिया निशान लगाया है। पुलिस ने पीड़ितों की सुनवाई नहीं की उनकी मदद के लिए की गई अपीलों को या तो नजर अंदाज किया या फिर धीमी और अप्रभावी तरीके से जवाब दिया। पुलिस ने दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की और उनके प्रति नरम रुख रखा, इससे जनता में पुलिस के प्रति अविश्वास बढ़ गया।

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