मुखिया के मुखारी – कड़ी से कड़ी जुड़ रही,हथकड़ी कका को ढूंढ रही 

मुखिया के मुखारी – कड़ी से कड़ी जुड़ रही,हथकड़ी कका को ढूंढ रही 

27 अप्रैल 2025 : मनु स्मृति की मीमांसा ही नही हुई उसकी प्रतियां भी कई बार जलाई गई ,उसमे वर्णित व्यवस्थाओं का विरोध कर खूब राजनीति हुई  । आज भी मनु स्मृति का विरोध राजनीति का सगल है ,पर वैसी ही व्यवस्थाएं आधुनिक राजनीति में अपनाई हैं, प्रथम ,द्वितीय ,तृतीय ,चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की श्रेष्ठता और सुविधाओं का आधार, क्या कानून को सबके लिए सामान बनाता है ?  प्रथम श्रेणी वालों के घरों की देहरी कानून लांघ ही नही सकती बिना अनुमति जाँच भी नही हो सकती, मंत्री, नेता ,न्यायाधीश और अधिकारी इस श्रेणी  के सम्मानीय हैं, द्वितीय श्रेणी वालों को भी कमोबेश यही विशिष्टता प्राप्त है, तृतीय और चतुर्थ वों है जिनके गिरेबांह में कानून कभी भी हाँथ डाल अपने होने  का अहसास कराता है ,जो न्याय देते हैं वों न्याय की प्रक्रिया से बाहर हैं ,करोड़ो रूपये घर में जलाते हैं फिर भी मिलार्ड कहलाते हैं , व्यवस्थाएं यही क़ानूनी हैं इन्हें संवैधानिक दर्जा है ,छत्तीसगढ़ियों की अधिकांश जनसंख्या तृतीय चतुर्थ श्रेणी वाली अपने प्रथम द्वितीय श्रेणी वालों की कुकर्मों को सहने को मजबूर हैं  । जो मनु स्मृति को गरियाते हैं और उसी का गान गाते है,पिछली कांग्रेस सरकार के  मुखिया जो अपने को कहलवाते थे कका पर बताते लिखवाते थे दाऊ आत्मिक और सामंती शब्दों के बीच उलझे थे, कर्म ,कुकर्म का चुनाव करने में असमर्थ थे ,चुनाव से ही मुखिया बने थे ,पहले चुनावी वादों को तिरोहित किया,फिर ढाई साल वाले को किनारे किया,कका बनने चले थे आत्मीय शब्द छोड़ धुर सामंती हो गए । 

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छत्तीसगढ़ियों के लिए दाऊ नही बाऊ बन गए, बाऊ ने भाऊ दलाली वाले ,दल ही नही, कर्मचारी ,अधिकारी, व्यापारी में ढूंढ लिए,दाऊ के दलालों वाले गिरोह ने घपले घोटालों की झड़ी लगा दी ,विभाग दर विभाग भ्रष्टाचार की कड़ी बना दी । मेधा पुत्रों को लक्ष्मी पुत्र बनाने का झांसा दे ,जेल का दीदार करवा दिया ,लक्ष्मी पुत्रों को भी जेल का निवासी बना दिया,हर धर्म ,हर जाति, हर लिंग की इस भ्रष्टाचार में भागीदारी समदर्शी थी सरकार पुरानी ,दान दें वापस लेने का, राम विरोध जिनके पारिवारिक इतिहास का हिस्सा जो दान दिए चींजे बटोरते हैं ,अपनी जागीर के लिए जमीर बेचते आये है,वों सत्ताधीश हो धृष्टता वही दोहराएं हैं, दाऊ दलाल गिरोह ने  घोटालों का इतिहास लिख दिया, आरोपों की फेहरिस्त है लम्बी जिसने हस्ती सरकार की मिटा दी, नही मिटी है तो बेशर्मी जिसमें दलाली को ही सबकुछ मान लिया ,भाल दलाली से लाल कर लिया, लाली मेरे लाल की जित देखूं तित लाल ------------------------------के तर्ज पर काम किया, अपने लाल को भी दलाल बना दिया ,पिता ,पुत्र दाऊ दलाल  गिरोह के सरगना हैं ,वजूद जिसमें विषकन्याओं का भी, घोटालों की परतें अब तक खुल रहीं ,विभाग न कोई बचा, ना विभाग के कोई अधिकारी, जिनकी दाऊ दलाल  गिरोह में ना हो हिस्सेदारी।  आबकारी के सारे अधिकारी जिनकी घोटालों में हिस्सेदारी  ,IAS सेवा भूल ऐश के झांसे में आ गए ,प्रशासनिक आग थे जो भ्रष्टाचार की राख बन गए।

व्यापारियों ने व्यापार छोड़ ,दलाली को व्यवहार बना लिया ,नेता ,मंत्री कर्लआन के गद्दे छोड़ गर्म कंबल में सों रहे,दाऊ दलाल  गिरोह के कई भागीदार इस सरकार में भी अपना भाग बना रहे ,भाग -भाग के हिस्सेदारों को बचाने का प्रयास कर रहे ,सुशासन वाले इस सरकार की भी  मज़बूरी है गिरोह के सदस्यों से दुरी बहुत जरुरी है ,विभाग खाली हो जाएं तो हो जाएं, अधिकारी सब जेल जाएं तो जाएं ,पर कार्यवाही बहुत जरुरी है,तब के सुराज और अबके सुशासन में फर्क जरुरी है,मनु स्मृति गैर जरुरी और संविधान जरुरी है,तो न्याय सबके लिए सामान को चरितार्थ करना जरुरी है।  जाँच की आंच में सिक गए कई ,उन सिकों के सिसकियों की लडियां बन रही गवाही की कड़ियाँ आरोंप पत्रों में दर्ज नामों पर कब कार्यवाही होगी? दाऊ दलाल गिरोह के सारे सदस्यों का आवास कब कारावास होगा  ? जमीन मिन्स घोटाला , मिन्स मुआवजा, मिन्स अधिकारी ,नेता जमीन अधिग्रहण पर ऐसे ही लगा भ्रष्टाचार का ग्रहण कलंक जिन पर भ्रष्टाचार का है ,वों क्या इस सरकार में कलंक हीन हो गए ?  पैसों के नशेड़ी क्या नशा मुक्त हो गए  ? बदनाम रहजनों की राह से अलग होना होगा, सरकार को इन भ्रष्टाचारियों का संग  सुशासन और न्याय के लिए छोड़ना होगा , कार्यवाही प्रथम श्रेणी के विशिष्टजनों के खिलाफ होनी है ,विशिष्टता उतरने में वक्त लगेगा ,कानून के कांपते हाथों को कार्यवाही करने में वक्त लगेगा ,कडियां जुड़ी होंगी साक्ष्यों की तभी तो दाऊ दलाल गिरोह के लोग कारा गृह में हैं,पर नामजद आरोपी दाऊ क्यों अपने गृह में हैं ? जाँच दिखावा तो नही है, आरोंप राजनीतिक नही हैं, तो फिर राजनीतिक आरोपों की चिंता क्यों  ? राजनीतिज्ञ क्या कानून से बड़े हैं ? समदर्शी भ्रष्टाचार पे समदर्शी कार्यवाही हों, कड़ी -कड़ी जोड़ जब दाऊ दलाल गिरोह के लोगों को पहनाई हथकड़ी तो फिर उसी कारवाई की क्यों नही बन रही लड़ी ,खड़ी क्यों सरकार है ? जब कड़ी से कड़ी जुड़ गई तो काहे का इंतजार है ? कब तक कहोगे सरकार   ----------------------कड़ी से कड़ी जुड़ रही,हथकड़ी कका को ढूंढ रही 






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