आज है गंगा सप्तमी! गंगा सप्तमी का व्रत इस आरती के बिना है अधूरा..जानें गंगा आरती का महत्व

आज है गंगा सप्तमी! गंगा सप्तमी का व्रत इस आरती के बिना है अधूरा..जानें गंगा आरती का महत्व

वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा सप्तमी का पर्व मनाया जाता है। इस साल यह पावन तिथि 3 मई को पड़ रही है। इस दिन मां गंगा की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, क्योंकि मान्यता है कि इसी दिन मां गंगा का अवतरण पृथ्वी लोक पर हुआ था। गंगा सप्तमी का व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और यह तभी पूरा होता है जब मां गंगा की आरती विधि-विधान से की जाए। ऐसे में सबसे पहले पवित्र स्नान करें। इसके बाद मां गंगा की प्रतिमा स्थापित करें। उन्हें फूल, फल, धूप, दीप आदि चढ़ाएं। अंत में मां गंगा की आरती करें।

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आपे चाहे, तो गंगा तट पर जाकर आरती में शामिल हो सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सच्चे मन से मां गंगा की आरती करने से जीवन में सुख-समृद्धि, पवित्रता और शांति का वास होता है, तो चलिए यहां पढ़ते हैं।

॥ श्री गंगा मैया आरती ॥

नमामि गंगे ! तव पाद पंकजम्,

सुरासुरैः वंदित दिव्य रूपम् ।

भक्तिम् मुक्तिं च ददासि नित्यं,

भावानुसारेण सदा नराणाम् ॥

हर हर गंगे, जय माँ गंगे,

हर हर गंगे, जय माँ गंगे ॥

ॐ जय गंगे माता,

श्री जय गंगे माता ।

जो नर तुमको ध्याता,

मनवांछित फल पाता ॥

चंद्र सी जोत तुम्हारी,

जल निर्मल आता ।

शरण पडें जो तेरी,

सो नर तर जाता ॥

॥ ॐ जय गंगे माता..॥

पुत्र सगर के तारे,

सब जग को ज्ञाता ।

कृपा दृष्टि तुम्हारी,

त्रिभुवन सुख दाता ॥

॥ ॐ जय गंगे माता..॥

एक ही बार जो तेरी,

शारणागति आता ।

यम की त्रास मिटा कर,

परमगति पाता ॥

॥ ॐ जय गंगे माता..॥

आरती मात तुम्हारी,

जो जन नित्य गाता ।

दास वही सहज में,

मुक्त्ति को पाता ॥

॥ ॐ जय गंगे माता..॥

ॐ जय गंगे माता,

श्री जय गंगे माता ।

जो नर तुमको ध्याता,

मनवांछित फल पाता ॥

ॐ जय गंगे माता,

श्री जय गंगे माता।








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